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विदेशी कंपनियों ने UPI पर दबाव डाला, संसदीय समिति ने घरेलू कंपनियों को सपोर्ट की सिफारिश की

UPI Transactions

PhonePe और Google Pay जैसे ऐप देश में UPI भुगतान पर दबाव डालते हैं। इन कंपनियों ने देश के डिजिटल पेमेंट्स मार्केट में लगभग 83% हिस्सेदारी हासिल की है। दोनों फिनटेक कंपनियों का स्वामित्व विदेशियों के पास है। इन दोनों कंपनियों को अब चुनौती मिल सकती है। सरकार को एक संसदीय समिति ने घरेलू फिनटेक कंपनियों को डिजिटल भुगतान क्षेत्र में मदद करने की सलाह दी है।

विदेशी कंपनियों के पास मालिकाना हक से चिंता 

संसदीय समिति की रिपोर्ट में विदेशी कंपनियों के स्वामित्व वाले डिजिटल पेमेंट्स प्लेटफॉर्म पर चिंता व्यक्त की गई है। समिति ने कहा कि सरकार इन उपकरणों की खोज करने की कोशिश करनी चाहिए। देसी कंपनियों को भी इस क्षेत्र में आगे बढ़ने के मौके मिलने चाहिए। पेटीएम पेमेंट्स बैंक आरबीआई की कठोर कार्रवाई का सामना कर रहा है, इसलिए समिति की यह रिपोर्ट 58 पन्नों की है। उसके बैंकिंग सेवाओं को बंद कर दिया गया है। पेटीएम ने इसके बाद कई समस्याओं का सामना किया है।

भीम UPI की हालत खस्ता 

संसदीय समिति की रिपोर्ट के अनुसार, नवंबर 2023 तक फोनपे के पास यूपीआई मार्केट में 46.91% हिस्सेदारी थी। गूगल पे भी 36.39 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ दूसरे स्थान पर है। BHIM UPI, जो देश में ही बनाया गया है, बाजार में केवल 0.22% हिस्सेदारी है। यही कारण है कि यूपीआई ट्रांजेक्शन वैल्यू में फोनपे और गूगल पे सबसे अच्छे हैं।

बाजार हिस्सेदारी की लिमिट 30 फीसदी हो

हाल ही में, यूपीआई पेमेंट्स नेटवर्क को संभालने वाली कंपनी नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने भी इस समस्या पर चिंता व्यक्त की है। एनपीसीआई चाहता है कि बाजार हिस्सेदारी की अधिकतम सीमा ३० प्रतिशत हो। 2020 में एनपीसीआई ने पहली बार ऐसा किया था। वह भी मेक इन इंडिया को फिनटेक क्षेत्र में बढ़ावा देना चाहती है।

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पेटीएम के खिलाफ एक्शन से हो रहा लाभ

आरबीआई के कठोर उपायों के कारण पेटीएम के ग्राहक कम हो रहे हैं। दूसरी तरफ, एक नवीनतम रिपोर्ट ने दावा किया कि गूगल पे, भीम एप और फोनपे के डाउनलोड तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। पेटीएम पेमेंट्स बैंक के खिलाफ कार्रवाई से एयरटेल पेमेंट्स बैंक भी लाभ उठाया है।

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