पितृपक्ष 2025: श्राद्ध कब करें, कैसे करें और क्या है पवित्र, स्कंदपुराण से जानें शास्त्रीय मार्गदर्शन

पितृपक्ष 2025: पितरों को भी इसी तरह श्राद्ध किया जाता है। लेकिन निमित श्राद्ध दान के लिए भी कई तिथियां हैं। आपके सभी प्रश्नों के जवाब यहाँ हैं, जैसे श्राद्ध का मुहूर्त और शुद्धि।
पितृपक्ष 2025 कब से है: भाद्रपद की पूर्णिमा से श्राद्ध की शुरुआत होती है। श्राद्ध पक्ष अश्विन अमावस्या पर समाप्त होगा। सितंबर की 7 तारीख से 21 तारीख तक यह अवधि होगी। पूर्णिमा का श्राद्ध 7 सितंबर 2025 को होगा, और सर्वपितृ अमावस्या 21 सितंबर 2025 को होगी। (पितृपक्ष 2025) पितरों को भी इसी तरह श्राद्ध किया जाता है। लेकिन निमित श्राद्ध दान के लिए भी कई तिथियां हैं। हम आपके सभी प्रश्नों के उत्तर देंगे। स्कंदपुराण में भगवान शिव ने माता पार्वती को श्राद्ध से जुड़ी कुछ खास बातों के बारे में बताया गया है। इसमें किस समय श्राद्ध करना चाहिए। इसके अलावा किस चीज को पहले शुद्ध कर लेना चाहिए और किन चीजों को श्राद्ध में पवित्र माना गया है।
स्कंदपुराण कहता है कि सुबह के तीन मुहूर्त और दोपहर के तीन मुहूर्त सही हैं। लेकिन शाम के तीन मुहूर्तों को नहीं श्राद्ध करना चाहिए। श्राद्ध के दौरान इन सात चीजों (शरीर, द्रव्य, स्त्री, भूमि, मन, मंत्र और ब्राह्यण) की शुद्धि का खास ध्यान रखना चाहिए। इसके अलावा, श्राद्ध करते समय तीन पवित्र वस्तुओं को मानना चाहिए: तिल, नाती कुतपकाल और तिल। कुतुपकाल (दोपहर का समय), नाती यानी बेटी का बेटा, तिल के बिना श्राद्ध पूरा नहीं माना जाता। तीन चीजें प्रशंसा के योग्य हैं; उदाहरण के लिए, अगर आप शुद्धि, शांतता और शांतता (यानी बिना उतावले हुए) श्राद्ध करते हैं, तो यह प्रशंसा योग्य है।
पितृपक्ष 2025: श्राद्ध की तिथियां
स्कंदपुराण के अनुसार आश्विन शुक्ला नवमी, कार्तिक की द्वादशी, चैत्र ओर भादों की तृतीया, फाल्गुन की अमावास्या, पौष की एकादशी, आषाण की दशमी, माघ की सप्तमी, श्रावण की कृष्णाष्टमी आषाढ, कार्तिक, फाल्गुन, चैत्र ओर ज्येष्ठ कीं पूर्णिमा ये तिथियां ऐसी कहीं गई हैं, जो श्राद्ध के लिए किए गए दान के पुण्यको अक्षय करनेवाली है ।
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