कश्मीर में तलाशी अभियान के दौरान जकुरा इलाके में अंधाधुंध गोलीबारी में 2 आतंकी ढेर
जम्मू-कश्मीर: जम्मू कश्मीर के श्रीनगर के जकुरा इलाके में तलाशी अभियान के दौरान छिपे हुए आतंकियों ने अचानक अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी। इस दौरान श्रीनगर पुलिस ने जवाबी कार्रवाई की। जिसमें 2 आतंकवादी, इखलाक अहमद हाजम (29 जनवरी को हसनपोरा अनंतनाग में एचसी अली मोहम्मद की हत्या के पीछे का मास्टरमाइंड) और आदिल निसार डार, दोनों आतंकी संगठन लश्कर (टीआरएफ) से जुड़े थे, क्रॉस-फायरिंग में ढेर हो चुके हैं।
पुलिस के अनुसार, मारा गया आतंकवादी इखलाक 29 जनवरी, 2022 को हसनपोरा अनंतनाग में एचसी अली मोहम्मद की हालिया हत्या के पीछे मास्टरमाइंड था। वह 18 जनवरी, 2022 को कैमोह-यारीपोरा रोड पर एक आईईडी विस्फोट में भी शामिल था।
J&K | 2 terrorists, Ikhlaq Ahmad Hajam (mastermind behind killing of HC Ali Mohammad at Hasanpora Anantnag on Jan 29) & Adil Nisar Dar, both linked with proscribed terror outfit LeT (TRF), were encountered in a cross-firing in the Rangpora Zakura area of Srinagar: Kashmir Police
— ANI (@ANI) February 5, 2022
छिपे हुए आतंकवादियों द्वारा अंधाधुंध गोलीबारी के बाद मुठभेड़ हुई, जबकि श्रीनगर पुलिस द्वारा एक घेरा और तलाशी अभियान चलाया जा रहा था। ढ़ेर किए गए आतंकियों के पास से 2 पिस्तौल और 5 हथगोले सहित आपत्तिजनक सामग्री, हथियार और गोला-बारूद की बरामदगी की गई हैं।बता दें कि,जम्मू कश्मीर में आतंकियो के खिलाफ चल रहा अभियान तेजी से जारी है ताकि घाटी में शांति व्यवस्था बनी रह सके।
पुलिस ने कहा, श्रीनगर के रंगपोरा जकुरा इलाके में आतंकवादियों की मौजूदगी के संबंध में फोर्स द्वारा एक घेराबंदी और तलाशी अभियान शुरू किया गया था। तलाशी अभियान के दौरान, जैसे ही तलाशी दल संदिग्ध स्थान की ओर बढ़ा, छिपे हुए आतंकवादियों ने तलाशी दल पर अंधाधुंध गोलियां चलाईं, जिसका प्रभावी ढंग से जवाब दिया गया, जिससे मुठभेड़ हुई।इस मुठभेड़ में दो आतंकवादी मारे गए और उनके शव मुठभेड़ स्थल से निकाले गए।
पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, मारा गया आतंकवादी इखलाक अहमद जून 2021 से सक्रिय था और आदिल निसार अगस्त 2021 से सक्रिय था। दोनों ही वगीर्कृत आतंकवादी थे और वे पुलिस/सुरक्षा बलों पर हमले और नागरिक अत्याचारों सहित कई आतंकवादी अपराध मामलों में शामिल समूहों का हिस्सा थे। इसके अलावा उन्होंने भोले-भाले युवाओं को आतंकी गुटों में शामिल होने और ओजीडब्ल्यू नेटवर्क को पुनर्जीवित करने के लिए प्रेरित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।