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पिता का सपना पूरा कर बेटी बनी सब इंस्पेक्टर, पिता बोले शाबास

पिता का सपना पूरा कर बेटी बनी सब इंस्पेक्टर, पिता बोले शाबास

कहते हैं मेहनत और ज़िद के सामने किस्मत भी घुटने टेक देती है. हम बात कर रहे हैं एक ऐसी लड़की की जिसने बचपन से ही देश सेवा का सपना देखा. लेकिन कहते हैं ना जब जज्बा और जुनून बड़ा हो तो गरीबी और किस्मत साथ नहीं देती. कुछ ऐसा ही हुआ श्री गंगानगर के रायसिंहनगर की रहने वाली सुनीता वर्मा के साथ , जब उन्होंने देश सेवा की तैयारी करनी शुरू करी तब उन्हें कई मुश्किलों का सामना भी करना पड़ा. पढ़ाई के सामने अक्सर गरीबी ही उनका सपना पूरा होने से रोकती है. जब सुनीता ने देश सेवा के लिए तैयारी शुरू की तब उनके पास पढ़ाई के लिए रुपए नहीं थे, उन्होंने एक फ्री कोचिंग संस्था में अपनी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी की है.

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जैसे तैसे पढ़ाई तो चल रही थी उसी बीच उनको एक और बड़ा झटका लगा. जब उनके पिता की मौत हो गई. जिससे वह पूरी तरह से टूट चुकी थी. लेकिन उन्होंने अपने पिता के सपने और अपने जुनून को कम नहीं होने दिया. और एक बार फिर वही जुनून के साथ तैयारी करना शुरू कर दिया. वर्तमान समय में केंद्रीय पुलिस संगठन की परीक्षा में एसआई पद पर चयन हो गई हैं.

एक नहीं 6 से ज्यादा परीक्षाओं प्रारंभिक टेस्ट किया पास  –

सुनीता ने बताया कि वह शुरू से ही रक्षा से जुड़े क्षेत्र में जाना चाहती थी. जिसके लिए उन्होंने सीपीओ सीजीएल से जुड़ी परीक्षाओं में पार्टिसिपेट किया, उन्होंने बताया कि बीए कंप्लीट करने के बाद ही परीक्षाओं की तैयारी शुरू कर दी थी. अभी हाल ही में उन्होंने 1 सप्ताह पहले सीपीओ एसआई के पद पर सिलेक्शन पा लिया है, सुनीता ने बताया कि उन्होंने अब तक सेंट्रल पुलिस ऑर्गेनाइजेशन, नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन की परीक्षा में भाग लिया है. कहा कि वह 6 से अधिक फ्री टेस्ट पास करने में सफल रही हैं| अब वह फिजिकल की तैयारियां पूरी मेहनत के साथ कर रही है. जिसमें उन्हें इन दिनों काफी मेहनत भी करनी पड़ रही है. फिजिकल में उन्होंने बताया कि वह इन दिनों 100 मीटर की दौड़, 400 मीटर की दौड़, लंबी कूद ऊंचाइयों की तैयारियां कर रही हैं.

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उन्होंने अपने परिवार के बारे में बताते हुए कहा कि उनके पिता जगदीश, मिस्त्री का काम करते थे. उनके दो छोटे भाई हैं, माँ संतरो देवी ग्रहणी है, परिवार की आर्थिक हालत कुछ ठीक नहीं है. जिसकी वजह से मैं कोचिंग सेंटरों में अपनी पढ़ाई नहीं कर पाई और ना ही बड़े शहरों में पढ़ाई के लिए जा पाई. लेकिन उनका सपना देश सेवा करने का था. जिसके लिए वह कुछ ना कुछ ढूंढती नजर आती रहती थी. इसी बीच उनके पिता को जैतसर में डिफेंस एकेडमी के कोच कुलवंत सिंह के बारे में जानकारी मिली. जिसके बाद पिता मुझे वहां लेकर गए. फ्री कोचिंग दी और पिता ने पैसे जोड़ के मेरे रहने खाने का इंतजाम किया. उन्होंने वहां पर 1 साल कड़ी मेहनत से तैयारियां की, लेकिन पिता की मौत के बाद वह पूरी तरह टूट चुकी थी. और काफी दिनों तक पढ़ाई से दूर रही. लेकिन पिता के सपनों को और उनकी सुनाई कहानियों को सोच-सोच कर एक बार फिर वह तैयारियां करना शुरू की. और आखिर में उन्होंने अपने पिता का सपना पूरा किया.

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