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बीटिंग रिट्रीट में गूंजा सेना का शौर्य गान

बीटिंग रिट्रीट में गूंजा सेना का शौर्य गान

विजय चौक पर बीटिंग रिट्रीट समारोह शुरू हो गया है। इस कार्यक्रम में सशस्त्र बलों के सर्वोच्च कमांडर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह शामिल हैं। शो के दौरान देश में निर्मित 1000 ड्रोन विजय चौक पर बीटिंग रिट्रीट समारोह में आसमान में एक नया ही रंग भरते दिखाई देंगे। चीन रूस और ब्रिटेन के बाद भारत हजारों ड्रोन के साथ इतने बड़े पैमाने पर ड्रोन शो का आयोजन करने वाला चौथा देश बन गया है।

पहली बार अविस्मरणीय ड्रोन शुरू होगा

ये पहली बार है जब बीटिंग द रिट्रीट समारोह के अंत में केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड द्वारा वित्त पोषित और आईआईटी दिल्ली के पूर्व छात्रों के नेतृत्व भारतीय स्टार्टअप बोट लैब की ओर से लाइट शो के एक हिस्से के तौर पर ह़जार ड्रोन ने प्री रिकॉर्डेड और संगीतमय प्रस्तुति दी।

बीटिंग द रिट्रीट समारोह के समापन के मौके पर लेज़र शो के दौरान वंदेमातरम की धुन बजाई गई जिसने दर्शकों में भक्ति कि लहर और जोश भर दिया। आजादी के अमृत महोत्सव के तहत आयोजित 10 मिनट के ड्रोन शो का आयोजन स्टार्टअप बोट लैब डायनेमिक्स द्वारा किया गया था। समारोह के समापन के लिए टुकड़ियों के कमांडर ने राष्ट्रपति से मंजूरी मांगी जिसके साथ ही बलों ने अपनी कैंपों में वापसी परेड शुरू की। बैंड ने वापसी मे “सारे जहाँ से अच्छा” की धुन बजाई जिसने सभी को अभिभूत कर दिया। “ए मेरे वतन के लोगों” की धुन ने पूरे बीटिंग रिट्रीट समारोह में जैसे देशभक्ति की एक अलग ऊर्जा भर दी। समारोह में मौजूद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने हौसला अफजाई करते हुए बैंड का तालियों से स्वागत किया। बीटिंग द रिट्रीट के मौके पर नॉर्थ ब्लॉक साउथ ब्लॉक सहित राष्ट्रपति भवन को रंगबिरंगी लाइटों से सजाया गया है। कार्यक्रम में भारतीय सेना नौसेना वायुसेना और केंद्रीय सशस्त्र बलों के बैंड की ओर से 26 धुनें बजाई जा रही है, पहली बार विजय चौक पर प्रोजेक्शन मैपिंग का शानदार नजारा दिखाई देगा। हर साल 29 जनवरी को राजधानी दिल्ली के विजय चौक पर बीटिंग रिट्रीट समारोह का आयोजन किया जाता है। इसके साथ ही गणतंत्र दिवस के समारोह का समापन होता है। यह समारोह सेना की वापसी का प्रतीक है। इस दौरान राष्ट्रपति सेनाओं को अपनी बैरकों में लौटने की इजाजत देते हैं। यह समारोह बीते दौर की एक झलक होती है। यह एक ऐसी परंपरा का हिस्सा है जिसमें सेनाओं की वापसी पर उनका बैंड धुनों से जोरदार स्वागत करता है। पाइप और ड्रम बैंड, वायु सेना, नौसेना और सेना के बैंड अपनी शानदार प्रस्तुतियां देते हैं।

 

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