अकाली दल भी इस कुकर्म में समान रूप से भागीदार है, यही कारण है कि वह एमजीएनरेगा को समाप्त करने पर चुप्पी साधे हुए है: मुख्यमंत्री भगवंत मान
पंजाब विधानसभा के विशेष सत्र के दौरान मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि नवस्थापित ‘विक्षित भारत – गारंटी रोजगार एवं आजीविका मिशन ग्रामीण (VB-G RAM G)’ का उद्देश्य दलितों, महिलाओं और सबसे गरीब परिवारों से भोजन, रोजगार और सम्मान छीनना है। उन्होंने जोर देकर कहा कि केंद्र सरकार ने मात्र 14 घंटों में संसद से इस नए कानून को पारित कराकर अधिकार-आधारित एमजीएनआरईजीए योजना की आत्मा को खोखला कर दिया है।
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इस कदम को तत्काल वापस लेने की मांग करते हुए कहा कि यह भाजपा की पंजाब विरोधी मानसिकता को उजागर करता है, देश के आम लोगों की कीमत पर पसंदीदा उद्योगपतियों को पुरस्कृत करता है, और यह एक मूलभूत प्रश्न उठाता है कि भारत कैसे ‘विश्व गुरु’ या ‘विकसित भारत’ बनने की आकांक्षा रख सकता है, जबकि सबसे कमजोर वर्गों को उनके भोजन और आजीविका के बुनियादी अधिकार से वंचित किया जा रहा है। उन्होंने अकाली दल की जानबूझकर की गई चुप्पी को भी जानबूझकर और अवसरवादी बताया।
इस मुद्दे पर चर्चा के लिए बुलाए गए विशेष सत्र में बहस समाप्त करते हुए मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि केंद्र ने एमजीएनआरईजीए योजना का नाम बदलकर ‘वीबी-जी राम (जी)’ करके इसके मूल सार को ही नष्ट कर दिया है। इससे गरीब श्रमिकों, महिलाओं और लाखों बेरोजगार परिवारों से गारंटीशुदा मजदूरी/रोजगार का अधिकार छीन लिया गया है और राज्यों पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ डाला गया है। उन्होंने कहा, “पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह द्वारा सावधानीपूर्वक परिकल्पित एमजीएनआरईजीए योजना वर्षों के विचार-विमर्श के बाद लागू की गई थी। लेकिन अब वीबी-जी राम जी को संसद ने मात्र कुछ घंटों में पारित कर दिया है।”
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि दुर्भाग्यवश केंद्र सरकार ने योजना का मूल स्वरूप बदल दिया है। एमजीएनआरईजीए मांग आधारित योजना थी, जबकि वीबी-जी-रामजी एक मानदंड आधारित योजना है, जो जनहित में नहीं है। उन्होंने बताया, “पिछले वित्तीय वर्ष में पंजाब में लागू एमजीएनआरईजीए योजना के तहत महिलाओं की भागीदारी 60% और अनुसूचित जाति की 70% दर्ज की गई है। इसका अर्थ है कि एमजीएनआरईजीए योजना के अधिकांश लाभार्थी समाज के सबसे वंचित वर्गों से हैं।” मुख्यमंत्री ने कहा कि नए अधिनियम के प्रावधानों के लागू होने से रोजगार के अवसरों की कमी के कारण इन वंचित वर्गों की आर्थिक स्थिति और खराब हो जाएगी।
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि नए अधिनियम के प्रावधानों का उद्देश्य अनुसूचित जाति और महिलाओं को सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर करना है, जिससे असमानता बढ़ेगी और अनावश्यक संकट पैदा होगा। उन्होंने आगे कहा, “केंद्र सरकार का यह अधिनियम आम आदमी से रोजी-रोटी छीनने के उद्देश्य से बनाया गया है, जिन्हें एमजीएनआरईजीए योजना से बहुत लाभ मिला है। पहले कमजोर वर्गों को इस योजना के माध्यम से सुनिश्चित रोजगार मिलता था, लेकिन अब यह उद्देश्य विफल हो जाएगा।”
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि केंद्र सरकार फसलों पर किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी देने के बजाय, मजदूरों को उनके पूर्ववर्तियों द्वारा दी गई गारंटी छीन रही है, जिससे भारी परेशानी होगी। उन्होंने आगे कहा, “यह कदम केंद्र सरकार की एक चाल है, जिसका मकसद सिर्फ अपने चहेते उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाना है, जिनके लिए प्रधानमंत्री की विदेश यात्राएं भी तय की जाती हैं। विडंबना यह है कि राष्ट्रीय राजधानी में आरामदेह दफ्तरों में बैठे लोग राज्य के गांवों में विकास कार्यों की योजना बना रहे हैं।”
भगवंत मान ने कहा कि असल में भाजपा पंजाब विरोधी मानसिकता से ग्रस्त है, जिसके चलते वह दिन-प्रतिदिन राज्य के हितों के विरुद्ध निर्णय ले रही है। चंडीगढ़, पंजाब विश्वविद्यालय, बीबीएमबी और अन्य मामलों पर केंद्र सरकार के निर्णयों का हवाला देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार का हर कदम जनता के हितों को लूटने के उद्देश्य से उठाया गया है। उन्होंने आगे कहा, “अपनी पंजाब विरोधी मानसिकता के कारण ही मोदी सरकार पंजाब के हितों को नुकसान पहुंचाने वाले फैसलों की एक श्रृंखला लेकर राज्य को बर्बाद करने पर तुली हुई है।”
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि अगर भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार की इच्छा पूरी हुई तो वे राष्ट्रगान से पंजाब का नाम भी हटा देंगे। उन्होंने कहा, “केंद्र सरकार पंजाब और पंजाबियों के खिलाफ जाकर राज्य के लोगों के साथ बार-बार सौतेला व्यवहार कर रही है। केंद्र सरकार ने पहले अग्निवीर योजना शुरू करके अनुसूचित जाति के युवाओं को सेना में भर्ती होने के अवसरों से वंचित किया और अब इस योजना में बदलाव करना उनके जीवन पर एक और हमला है।”
भगवंत मान ने कहा, “एक तरफ साहब के दोस्त जैसे अडानी लोग तरह-तरह की सब्सिडी पा रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ मोदी सरकार राजकोषीय प्रबंधन के नाम पर गरीब-समर्थक योजनाओं का बजट कम कर रही है। ‘शब्दों के उस्ताद’ मोदी इन योजनाओं के बारे में लोगों को बेवकूफ बनाने के लिए आंकड़ों से खिलवाड़ कर रहे हैं; इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। केंद्र सरकार को योजनाओं का नाम बदलने के बजाय जनता के कल्याण पर ध्यान देना चाहिए था।”
भगवंत मान ने सवाल उठाया कि गरीबों को भोजन और अन्य बुनियादी नागरिक सुविधाओं से वंचित करके भारत विश्व गुरु या विक्षित भारत कैसे बन सकता है, और कहा कि यह वास्तव में निंदनीय है। अकाली दल की चुप्पी पर कटाक्ष करते हुए मुख्यमंत्री ने अकाली नेताओं को चुनौती दी कि वे बताएं कि भाजपा नेताओं द्वारा महान गुरु साहिबानों के कार्टून सोशल मीडिया पर अपलोड करने पर वे चुप क्यों हैं। उन्होंने आगे कहा, “ऐसा लगता है कि अकाली नेतृत्व विधानसभा चुनावों से पहले भगवा पार्टी के साथ गठबंधन करने के अवसर की प्रतीक्षा में चुप है।”
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि अगले आठ महीनों तक अकाली दल गठबंधन की उम्मीद में भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के सभी कुकर्मों पर मूक दर्शक बने रहेंगे। उन्होंने पंजाब और पंजाबियों से जुड़े मुद्दों पर राज्य के भाजपा नेताओं की चुप्पी पर भी निशाना साधा और कहा कि वे राज्य की जनता के प्रति वफादार नहीं हैं। मुख्यमंत्री ने कहा, “यह योजना केंद्र सरकार की समाज के गरीब तबके से भोजन छीनने की साजिश है और राज्य सरकार केंद्र के नापाक मंसूबों को कभी सफल नहीं होने देगी।”
पंजाब सरकार की गरीब-समर्थक पहलों को गिनाते हुए मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि राज्य सरकार ने राज्य के अटॉर्नी जनरल कार्यालय में अनुसूचित जाति के वकीलों के लिए आरक्षण दिया है और समाज के कमजोर और वंचित वर्गों को सशक्त बनाने के लिए अमृतसर और पटियाला के फ्लाइंग स्कूलों में अनुसूचित जाति के छात्रों के लिए सीटें आरक्षित की गई हैं।
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कांग्रेस नेताओं पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा कि सुखविंदर सिंह सुखी जैसे नेता जनता के कल्याण की बात करते हैं, जबकि कांग्रेस नेता सिर्फ अपने स्वार्थों की चिंता करते हैं। उन्होंने आगे कहा, “राजनीति में घटिया हरकतें करने के बजाय, पूरे पंजाब को एकजुट होकर केंद्र सरकार के इस गरीब-विरोधी कदम का पुरजोर विरोध करना चाहिए।” मुख्यमंत्री ने कहा कि हम जनता की ए टीम हैं और राज्य और यहां की जनता के कल्याण के लिए हर संभव कदम उठाएंगे। उन्होंने केंद्र सरकार को चेतावनी दी कि वह इस तरह के जनविरोधी कदम न उठाए, अन्यथा राज्य की जनता उन्हें गांवों में प्रवेश नहीं करने देगी। उन्होंने कहा, “पंजाब सरकार इस विधेयक का पुरजोर विरोध करेगी और इन नापाक मंसूबों में केंद्र सरकार की कामयाब नहीं होगी।”
मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार कमजोर और वंचित वर्गों को उनके अधिकारों से वंचित करने पर तुली हुई है, जिसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा, “यह अनुसूचित जाति के भाइयों की गरिमा और गौरव पर सीधा हमला है, जिसे सहन नहीं किया जा सकता। केंद्र का यह कदम अनुचित और अस्वीकार्य है। राज्य सरकार पंजाबियों के अधिकारों की संरक्षक है और किसी को भी उन्हें छीनने की अनुमति नहीं दी जाएगी।”
मुख्यमंत्री ने कांग्रेस पार्टी पर इस मुद्दे को भटकाने के लिए घटिया हथकंडे अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस को अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए कि वे नई योजना को स्वीकार करते हैं या नहीं। उन्होंने आगे कहा, “कांग्रेस पार्टी किसी न किसी बहाने से बहस से भागना चाहती है क्योंकि उनकी मानसिकता अभिजात्य वर्ग की है। यह कांग्रेस के गरीब-विरोधी रवैये और भाजपा के साथ उनकी मिलीभगत को दर्शाता है, जिसके कारण वे इस मुद्दे पर चर्चा नहीं करना चाहते।”
मान ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जब सदन को केंद्र सरकार द्वारा चलाए जा रहे गरीब-विरोधी अभियानों पर चर्चा करनी चाहिए थी, तब कांग्रेस इस तरह के हंगामे में लिप्त है। उन्होंने जोर देकर कहा, “कांग्रेस देश के राजनीतिक परिदृश्य से पूरी तरह से मिट चुकी है और उसका असली चेहरा बेनकाब हो गया है। कांग्रेस नेता अपनी ही पार्टी के प्रमुख अनुसूचित जाति के नेताओं के खिलाफ जहर उगल रहे हैं, जो उनकी सामंती मानसिकता को दर्शाता है।”
मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने कांग्रेस विधायक सुखपाल सिंह खैरा पर जमकर निशाना साधा और उन्हें सत्ता का भूखा राजनेता बताया, जो जनता का ध्यान आकर्षित करने के लिए उत्सुक है। उन्होंने कहा, “सुखपाल सिंह खैरा मीडिया की सुर्खियों में आने के लिए घटिया हरकतें करते हैं, खासकर तब जब उनकी पार्टी में नेतृत्व परिवर्तन की संभावना है। राज्य और जनता के मुद्दों को उठाने के बजाय, कांग्रेस विधायक को निजी प्रचार की ज्यादा चिंता है, जिसके चलते वे सदन की मर्यादा का उल्लंघन करने से भी नहीं हिचकिचाते।”
पंजाब विधानसभा ने एमजीएनआरईजीए को समाप्त करने की कड़ी निंदा करते हुए इसे दलितों के अस्तित्व और गरिमा पर हमला बताया है।
पंजाब विधानसभा ने मंगलवार को मंत्री तरुणप्रीत सिंह सोंड द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पारित कर दिया। प्रस्ताव में कहा गया है कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की कार्रवाई न केवल प्रशासनिक रूप से पीछे हटने के समान है, बल्कि दलित श्रमिकों और गरीब दलित परिवारों की आजीविका, गरिमा और अस्तित्व पर सीधा हमला है।
सदन ने इस बात की पुष्टि की कि एमजीएनआरईजीए दलित श्रमिकों के लिए आखिरी आर्थिक सहारा था, जिसके द्वारा वे अपने गांवों में रोजगार पा सकते थे, अपने बच्चों को शिक्षित कर सकते थे और आत्मसम्मान के साथ जीवन यापन कर सकते थे। सदन ने कहा कि इस योजना को समाप्त करना एक घोर दलित विरोधी मानसिकता को दर्शाता है और दलितों को जीवनयापन के लिए शहरी झुग्गी बस्तियों में पलायन करने के लिए मजबूर करेगा।
प्रस्ताव में आगे कहा गया कि एमजीएनआरईजीए को कमजोर करके भाजपा दलितों के वोट हासिल करने का अपना नैतिक अधिकार खो देती है। इसमें शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) की इस मुद्दे पर चुप्पी को भी निंदनीय बताया गया।
इसलिए सदन ने तत्काल निर्णय को रद्द करने, एमजीएनआरईजीए को उसके मूल अधिकार-आधारित स्वरूप में पूर्ण रूप से बहाल करने और काम तथा समय पर मजदूरी की गारंटी देने की मांग की। प्रस्ताव के समापन में यह दोहराया गया कि पंजाब विधानसभा दलितों और श्रमिक वर्ग के साथ मजबूती से खड़ी है।
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