मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने खेत में जोता हल, धान की रोपाई कर जताया किसानों को सम्मान

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने खटीमा के नगरा तराई गांव में खेत जोतकर और धान की रोपाई कर किसानों के श्रम को सम्मानित किया। उन्होंने ‘हुड़किया बौल’ के जरिए पारंपरिक संस्कृति को भी जीवंत किया।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का एक नया और प्रेरणादायक रूप शनिवार को सामने आया, जब उन्होंने कुमाऊं दौरे के दूसरे दिन खटीमा के नगरा तराई गांव में खुद बैलों से हल जोतकर और धान की रोपाई कर किसानों के परिश्रम को नमन किया। अपने बचपन की यादों को ताज़ा करते हुए मुख्यमंत्री ने खेत में उतरकर वास्तविक खेती का अनुभव साझा किया और अन्नदाताओं के योगदान को सराहा।

सोशल मीडिया पर साझा की भावुक झलक- मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर धान रोपाई की तस्वीरें साझा करते हुए लिखा: “खटीमा के नगरा तराई में अपने खेत में धान की रोपाई कर किसानों के श्रम, त्याग और समर्पण को अनुभव कर पुराने दिनों का स्मरण किया। अन्नदाता न केवल हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं, बल्कि संस्कृति और परंपरा के संवाहक भी हैं।” उनकी यह पोस्ट वायरल हो गई और हजारों लोगों ने इसे सराहा, इसे एक धरती से जुड़े नेता की असली पहचान बताया।

‘हुड़किया बौल’ से जोड़ा सांस्कृतिक मूल्यों से

धान रोपाई के दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड की लोक परंपरा ‘हुड़किया बौल’ का भी निर्वहन किया। इसमें उन्होंने भूमि देवता (भूमियां), जल देवता (इंद्र) और मेघ देवता की वंदना की, जो फसल की समृद्धि और मौसम की अनुकूलता के प्रतीक हैं। यह अनुष्ठान ना केवल खेती की परंपरा का हिस्सा है बल्कि उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत को भी जीवंत करता है।

किसानों को सम्मान, आत्मनिर्भर कृषि की प्रेरणा

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने खेत में पसीना बहाकर किसानों के परिश्रम और योगदान की अहमियत को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि आज जब देश आत्मनिर्भर भारत की ओर बढ़ रहा है, तो आत्मनिर्भर कृषि इसकी रीढ़ बनती है। मुख्यमंत्री का यह कदम युवा पीढ़ी को खेती और भारतीय परंपरा से जोड़ने का संदेश भी देता है

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