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COP28 के आयोजन पर दुबई में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “विकासशील देशों ने जलवायु समस्या में योगदान नहीं किया लेकिन समाधान में शामिल हैं।”

COP28

COP28: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत और संयुक्त अरब अमीरात की जलवायु परिवर्तन कार्यक्रमों में बेहतर सहयोग की उम्मीद जताई है। अरबी अखबार अल-इत्तिहाद को दिए एक इंटरव्यू में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “भारत आशावादी है कि संयुक्त अरब अमीरात द्वारा आयोजित COP28 प्रभावी जलवायु कार्रवाई में नई गति लाएगा।” भारत और संयुक्त अरब अमीरात भागीदार हैं। जलवायु परिवर्तन पर विश्वव्यापी बहस को प्रभावित करने के लिए हमारे एकजुट प्रयासों में दृढ़ता है।

UAE के अखबार अल-इत्तिहाद से बातचीत में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “यह पहचानना आवश्यक है कि विकासशील देशों ने समस्या के निर्माण में योगदान नहीं दिया है।” फिर भी, विकसित देश इसके समाधान में भाग लेने के लिए उत्सुक हैं। वे प्रौद्योगिकी और आवश्यक धन के बिना योगदान नहीं कर सकते। इसलिए मैंने अपेक्षित प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और जलवायु वित्तपोषण की पुरजोर वकालत की है।

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पिछले सम्मेलन का लक्ष्य नहीं हो सका है पूरा

विकासशील देशों का समर्थन करना और कॉर्बन उत्सर्जन को कम करना इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य होगा। इस अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम से पहले, आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (ओईसीडी) ने एक नई रिपोर्ट जारी की है। इसमें कहा गया है कि पिछले कुछ वर्षों में हुए शिखर सम्मेलनों में किए गए वादे पूरे नहीं हुए हैं, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण वादा था कि सभी विकसित देशों को पर्यावरण को बचाने के लिए 100 बिलियन डॉलर देने का समझौता किया गया था। विकसित देशों ने विकासशील देशों को सिर्फ 89.6 बिलियन डॉलर देने का लक्ष्य रखा।

COP क्या है?

दुबई में होने वाले इस वैश्विक सम्मेलन (COP) का नाम कॉन्फ्रेंस ऑफ द पार्टीज है। इन देशों में से कुछ ने 1992 में संयुक्त राष्ट्र जलवायु समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इसके 198 सदस्यों में से 160 वैश्विक नेता शामिल होंगे। COPE की 28वीं बैठक है। इसलिए इसे COP28 नाम दिया गया है। ऐसी उम्मीद है कि इसमें धरती के तापमान को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक कम करने का दीर्घकालिक लक्ष्य रखा जाएगा। 2015 में पेरिस में लगभग 200 देशों ने इस पर सहमति बनाई। दुनिया भर में इसमें 70 हजार से अधिक लोग शामिल हो सकते हैं।

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