दिल्ली हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में स्पष्ट किया है कि दिव्यांग छात्रों को समान शिक्षा का अधिकार केवल सरकारी या वित्तपोषित स्कूलों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह अधिकार निजी स्कूलों पर भी लागू होता है जिन्हें सरकार या स्थानीय निकायों द्वारा मान्यता प्राप्त है। यह आदेश दिल्ली के एक ऑटिज्म से पीड़ित छात्रा के मामले में दिया गया, जिसमें स्कूल ने उसके पुनः दाखिले के आदेश को चुनौती दी थी।
निजी स्कूलों पर दिव्यांग छात्रों के अधिकारों का दायित्व
हाई कोर्ट की डबल बेंच ने स्कूल की अपील खारिज करते हुए सिंगल जज के आदेश को बरकरार रखा। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम का उद्देश्य न केवल भेदभाव रोकना है, बल्कि समाज में उन्हें समान अवसर और समावेशन प्रदान करना भी है। इसके तहत, धारा 16 सभी मान्यता प्राप्त निजी एवं गैर-वित्तपोषित स्कूलों पर भी लागू होती है।
स्कूलों के लिए निर्देश: विशेष शिक्षा संबंधी जरूरतों की पहचान और सहायता
दिल्ली हाई कोर्ट ने निजी स्कूलों को निर्देश दिया कि वे दिव्यांग या लर्निंग डिसेबिलिटी से ग्रसित छात्रों की पहचान करें और उनकी जरूरत के अनुसार उचित शिक्षा और सहायता प्रदान करें। इसका उद्देश्य दिव्यांग बच्चों को सामान्य शिक्षा प्रणाली में पूरी तरह से शामिल करना और उनकी शैक्षणिक प्रगति सुनिश्चित करना है।
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