UP News: यूपी की योगी सरकार ने पशुपालन और परापशुचिकित्सा क्षेत्र में डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स की नीति बनाने का निर्णय लिया है। ग्रामीण क्षेत्रों में पशु चिकित्सा सेवाओं को मजबूत करना इस पहल का उद्देश्य है।
UP News: सोमवार को यूपी मंत्रीपरिषद् ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में राज्य में पशुपालन और परापशुचिकित्सा क्षेत्र में डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स शुरू करने की नीति बनाने का निर्णय लिया है। इस अभियान का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में पशु चिकित्सा सेवाओं को मजबूत करना है और पशु चिकित्सा विज्ञान में प्रशिक्षित पैरावेट्स की संख्या बढ़ाना है। नई नीति के अनुसार, राज्य में निजी और सरकारी संस्थानों में पशुपालन डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स चलाए जा सकेंगे, जिससे पशुपालकों को आवश्यक प्रशिक्षण प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
पैरावेट्स की भूमिका परापशुचिकित्सा में महत्वपूर्ण होती है
सोमवार को लोकभवन में प्रदेश के पशुधन मंत्री धर्मपाल सिंह ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में पैरावेट्स की भूमिका महत्वपूर्ण है क्योंकि यहां पशु चिकित्सकों की संख्या सीमित है। पूरे देश में लगभग 34,500 पशु चिकित्सक हैं, लेकिन वर्तमान में उत्तर प्रदेश में मात्र 8,193 पशु चिकित्सक हैं। इस कमी के कारण पैरावेट्स को टीकाकरण, घावों की पट्टी, प्राथमिक उपचार और देखभाल जैसे कामों में पशु चिकित्सकों का निरीक्षण करना पड़ता है। पैरावेट्स को ग्रामीण क्षेत्रों में पशु स्वास्थ्य सेवाओं के लिए तैयार किया गया है, लेकिन संसाधनों की कमी और कम प्रशिक्षण के कारण वे कई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।
पैरावेट्स के प्रशिक्षण और कौशल विकास पर सरकार का जोर
पशुधन मंत्री ने कहा कि योगी सरकार ने बेहतर पशु स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए पैरावेट्स को प्रशिक्षित करने के लिए डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स शुरू करने का फैसला किया है। यह नीति पैरावेट्स को टीकाकरण, प्राथमिक चिकित्सा, घावों की देखभाल और पशु चिकित्सा के अन्य आवश्यक प्रक्रियाओं में प्रशिक्षित करेगी। यह कदम पशुपालन और परापशुचिकित्सा क्षेत्र में एक नई दिशा देगा और पेशेवर पैरावेट्स को सशक्त बनाएगा।
प्रमुख पशु चिकित्सा संस्थानों से मान्यता मिलेगी
उनका कहना था कि पं. दीनदयाल उपाध्याय पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय और गो अनुसंधान संस्थान, मथुरा प्रदेश में पशुपालन में प्रमुख संस्थाएं हैं। पशु चिकित्सा महाविद्यालय भी आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कुमारगंज और सरदार बल्लभ भाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मेरठ में चल रहे हैं। अब इन विश्वविद्यालयों द्वारा निजी विश्वविद्यालयों को सम्बद्धता देने के नियम बनाए जाएंगे. इससे निजी क्षेत्रों में भी पशुपालन और परापशुचिकित्सा के पाठ्यक्रम चलाए जा सकेंगे।
नीति के क्रियान्वयन के लिए विशेषज्ञ समिति गठित
योगी सरकार ने नीति बनाने के लिए चार सदस्यीय विशेषज्ञ समिति को पशुधन विभाग के विशेष सचिव की अध्यक्षता में बनाया है। विस्तृत अध्ययन के बाद, समिति ने राज्य में परापशुचिकित्सा और पशुपालन से जुड़े पाठ्यक्रमों की नीति बनाई है। इस नीति से संस्थानों, पाठ्यक्रमों और एकरूपता का निर्धारण होगा।
निजी क्षेत्रों में पाठ्यक्रमों को बढ़ावा मिलेगा
पशुधन मंत्री ने कहा कि योगी सरकार की ये नीति सरकारी संस्थानों तक नहीं सीमित होगी, बल्कि निजी विश्वविद्यालयों में भी ये पाठ्यक्रम चलाए जाएंगे। इस कदम से ग्रामीण क्षेत्रों में पैरावेट्स की संख्या बढ़ेगी और वे पशु चिकित्सा सेवाओं में अधिक भाग ले सकेंगे। राज्य सरकार की इस कार्रवाई से कृषि और पशुपालन क्षेत्र में नए अवसर भी पैदा होंगे। योगी सरकार का यह निर्णय पशुपालन क्षेत्र में एक नई दिशा तय करेगा और ग्रामीण इलाकों में पशु चिकित्सा सेवाओं की गुणवत्ता को बढ़ाएगा।।