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Gandhi Jayanti 2023: महात्मा गांधी के चरखे की रोचक कहानी ने गुलाम भारत को जीवंत किया

Gandhi Jayanti 2023

Gandhi Jayanti 2023: कवि प्रदीप ने गांधी जी के बारे में लिखा गया गीत, “दे दी हमें आजादी बिना खड़ग बिना ढाल, साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल”, सदियों तक अहिंसा के उस पुजारी को खोजने की प्रेरणा देगा, जिसके पीछे पूरा देश खड़ा था। मकसद एक ऐसे अंग्रेजी शासन को ध्वस्त करना था जिसके अधीन कोई प्रकाश नहीं आता था। जो अपराजेय सैन्य बल रखता था।

जिस बर्बर आतताई अंग्रेजी सरकार ने बंदूकों के बल पर पूरी दुनिया को अपने अधीन कर लिया था। महात्मा गांधी ने चरखा को अहिंसक सत्याग्रह का सबसे प्रभावी हथियार बनाया। दक्षिण अफ्रीका से महात्मा गांधी के भारत आने से पहले भी पंजाब और गुजरात के कुछ हिस्सों में सूत की कटाई होती थी, लेकिन तब इसे सिर्फ दो जून की रोटी का जरिया माना जाता था।

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चरखे को दैवीय अस्त्र मानते थे महात्मा गांधी

Gandhi Jayanti 2023: इसे बापू ने अहिंसा, स्वावलंबन और आत्मनिर्भरता का ऐसा प्रतीक बनाया, जिससे देशवासियों में नया जीवन आया। इस चरखे ने अपनी प्रचंड शक्ति को भूल चुके देशवासियों को एक नई अंगड़ाई के साथ उठ खड़े होने और ब्रिटिश शासन का विरोध करने का संकेत दिया। यही चरखा बापू की बदौलत देश का आर्थिक स्वावलंबन और आत्मनिर्भरता का प्रतीक बन गया। महात्मा गांधी के हाथों में आने वाली एक साधारण चीज ने सोए हुए भारत को जगाने और पूरी दुनिया को एक नई शक्ति देने का दैवीय हथियार बन गया।

ग़ुलाम भारतवासियों की एकता को खतरा बनाने वाला चरखा

Gandhi Jayanti 2023: गांधी जी के एक संबोधन से पता चलता है कि वे चरखे को भारत की आजादी का अचूक मंत्र मानते थे। किसी ने चरखे पर इतना जोर क्यों दिया? इसके जवाब में उन्होंने जो कुछ कहा, वह आज भी भारत की आत्मनिर्भरता के लिए महत्वपूर्ण है।

Gandhi Jayanti 2023: “भारत के 40 करोड़ लोग अगर चरखे पर सूत कातें, तो वे लाखों लोगों के उपयोग के लिए खादी का सूत कात सकते हैं,” बापू ने कहा। Milo में कुछ लाख लोगों को काम मिलेगा, लेकिन चरखा देश के हर आदमी को मजबूती देगा। इसका अर्थ है शोषण से मुक्ति। इसका अर्थ है कि हिंदू मुसलमानों में एकता है। इसका अर्थ है कि बेरोजगारी समाप्त हो गई है।बापू के आह्वान पर पूरे देश ने चरखे पर सूत कातना शुरू किया, जो सविनय अवज्ञा और स्वदेशी आंदोलन का सबसे मजबूत आधार बन गया। दुनिया का सबसे बड़ा सैन्य बल भी इसी शक्ति से परास्त हुआ।

87 साल DHARMENDRA ने वीडियो SHARE कर कहा कि अब पैरों में भी दम नहीं है।

भारत के कच्चे माल से अंग्रेजों ने कपड़ा बनाया

Gandhi Jayanti 2023: गुलामी के दौर में भारत से ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन कपास और कच्चा माल इंग्लैंड ले जाता था और वहां कपड़े बनाकर वापस भारत में बेचता था. पूरे देश ने महात्मा गांधी के आह्वान पर चरखे पर सूत काटना शुरू किया, जो अंग्रेजों के खिलाफ ऐसा विरोध था कि यह भारत के स्वतंत्रता संग्राम से पहले ही आर्थिक आत्मनिर्भरता का एहसास दिलाता था।

 

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