गुजरात में गरीब आदिवासियों के हक के करोड़ रुपए पीएम मोदी की रैली में खर्च करने पर आम आदमी पार्टी ने भाजपा सरकार को आड़े हाथ लिया है। ‘‘आप’’ के दिल्ली प्रदेश संयोजक सौरभ भारद्वाज ने कहा कि पीएम मोदी के कार्यक्रम में आदिवासी विकास फंड का 50 करोड़ रुपए उड़ा दिए गए। इसमें से 2.40 करोड़ रुपए सिर्फ मोबाइल टॉयलेट पर खर्च किए गए। शायद टॉयलेट में प्लेटेनियम का कमोड लगवाया गया था। मोदी जी को गुजरात चुनाव के दौरान दिखावा करने के लिए एक स्कूल तक नहीं मिला था और उनके लिए नकली स्कूल बनवाना पड़ा था। ‘‘आप’’ ने आदिवासी विकास फंड से 50 करोड़ रुपए के बेजा इस्तेमाल की जांच कर सारा पैसा वसूलने की मांग की है।
सोमवार को ‘‘आप’’ मुख्यालय पर दिल्ली प्रदेश संयोजक सौरभ भारद्वाज ने राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अनुराग ढांडा के साथ प्रेसवार्ता कर कहा कि गुजरात की भाजपा सरकार ने सिर्फ मोबाइल शौचालय और सफाई पर ही 2 करोड़ 40 लाख 86 हजार 160 रुपए खर्च कर दिए। भाजपा वाले कहते थे कि अरविंद केजरीवाल के बंगले में सोने का कमोड लगे है, लेकिन पीएम की रैली में हुए करोड़ों रुपए खर्च को देखकर लगता है कि प्लैटिनम का कमोड लगा होगा। गुजरात में प्रधानमंत्री के कार्यक्रमों पर लगातार करोड़ों रुपए खर्च हो रहे हैं। गुजरात चुनाव के दौरान मोदी की वहां एक ऐसा स्कूल चाहते थे, जहां वह शूटिंग कर सकें, लेकिन उन्हें एक भी स्कूल नहीं मिला। इसके बाद उनके लिए एक नकली स्कूल और कंप्यूटर लैब बनाकर शूटिंग की गई। जिस गुजरात में शिक्षा और आदिवासियों की ऐसी हालत है, वहां प्रधानमंत्री के एक कार्यक्रम पर करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं।
सौरभ भारद्वाज ने अरविंद केजरीवाल के समय में बने मुख्यमंत्री आवास को लेकर डेढ़ साल तक बहस करने वाले लोगों से कहा कि अब इन लोगों को गुजरात में प्रधानमंत्री की रैली में आदिवासी विकास फंड से 50 करोड़ रुपए खर्च होने पर भी बहस करनी चाहिए। पीएम के कार्यक्रम में 50 करोड़ रुपए खर्च करना बहुत बड़ी लूट है। उन्होंने कहा कि बीबीसी द्वारा आरटीआई के तहत पूछा गया है कि सेंट्रल विस्टा में बन रहे प्रधानमंत्री आवास पर कितने करोड़ रुपए खर्च हो रहा है? लेकिन केंद्र सरकार की यह बताने की हिम्मत नहीं है। केंद्र सरकार कह रही है कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है। इसकी डिटेल नहीं दे सकती है।
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि मुख्यमंत्री आवास के अंदर क्या लगा है और क्या नहीं, इसकी लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) की पूरी फाइलें निकालकर मीडिया में दिन-रात चलाई गईं। तब उसमें सुरक्षा का कोई मामला नहीं था। उपराज्यपाल ने खुद आवास के अंदर की वीडियोग्राफी कराई और एक्स, फेसबुक और वॉट्सऐप पर दिन-रात चलाई गई, तब किसी को सुरक्षा में कोई दिक्कत नहीं थी। प्रधानमंत्री कार्यालय सेंट्रल विस्टा हो रहे खर्च की जानकारी देने से इन्कार कर रही है। एक ही देश और एक ही राज्य में यह कैसे हो सकता है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री के आवास पर हुए 40-42 करोड़ रुपए को बहुत बड़ा मुद्दा बनाया गया, लेकिन उसी दिल्ली में सीएम आवास के समय से बन रहे प्रधानमंत्री आवास में हो रहे खर्च के बारे में किसी को पता नहीं हें पिछले 10-11 साल में हम कहां से कहां आ गए हैं?
इस दौरान अनुराग ढांडा ने कहा कि भाजपा की राज्य सरकारें और केंद्र सरकार हमेशा दलित, पिछड़े और आदिवासी वर्ग के खिलाफ काम करती हैं। ये सरकारें हमेशा उनके अधिकारों का हनन करती हैं और उन्हें कुचलने का प्रयास करती हैं। ताजा मामला गुजरात से जुड़ा है, जहां आदिवासियों के कल्याण के लिए खर्च होने वाले करोड़ों रुपए का वीआईपी मूवमेंट में बेजा इस्तेमाल किया गया। उन्होंने कहा कि गुजरात में डेडियापाड़ा से आम आदमी पार्टी के विधायक चैतर वसावा आदिवासी समाज से आते हैं। उन्होंने इस वीआईपी मूवमेंट में हुए खर्च को लेकर आरटीआई लगाई और जो जवाब वह हैरान करने वाला है।
अनुराग ढांडा ने बताया कि आदिवासी समुदाय के विकास के लिए सरकार के खाते में जो फंड होता है, उसमें से 50 करोड़ रुपए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनसे जुड़े विभिन्न कार्यक्रमों में वीआईपी सुविधाएं जुटाने में खर्च कर दिए गए। प्रधानमंत्री मोदी गुजरात में जनजातीय गौरव दिवस समेत अन्य कार्यक्रमों शामिल हुए थे। डेडियापाड़ा में मोदी जी के आयोजित कार्यक्रम में 7 करोड़ रुपए का केवल पंडाल लगाया गया। पंडाल में 3 करोड़ रुपए का गुंबद (डोम) बनाया गया। मंच बनाने में 5 करोड़ रुपए, चाय-समोसे पर 2 करोड़ रुपए, रैली में लोगों को जुटाने और बसों के इंतजाम में 7 करोड़ रुपए खर्च किए गए। वहीं, शौचालय और साफ-सफाई पर 2 करोड़ रुपए खर्च किए गए।
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अनुराग ढांडा ने कहा कि पीएम मोदी के कार्यक्रम में खर्च हुए करोड़ों रुपए में से ज्यादातर हिस्सा आदिवासी कल्याण के फंड से खर्च किया गया। यह करोड़ों रुपए आदिवासी समाज के कल्याण और उनकी सुविधाओं में खर्च होने थे, लेकिन यह करोड़ों रुपए सिर्फ दिखावे के लिए प्रधानमंत्री, गुजरात के मंत्रियों और वीआईपी लोगों पर खर्च कर दिए गए। उन्होंने कहा कि अनुसूचित जनजाति (एसटी) समाज के ट्राइबल हॉस्टल में बच्चों को सरकार हर महीने खर्च करने के लिए सिर्फ 2100 रुपए देती है। वहीं, प्रधानमंत्री के एक-दो कार्यक्रमों पर ही आदिवासी कल्याण फंड से 50 करोड़ रुपए खर्च कर दिए गए। अगर इस पैसे का सही इस्तेमाल किया जाता, तो आदिवासी समाज के हजारों बच्चों को सुविधाएं और उनके विकास के बहुत सारे काम किए जा सकते थे।
अनुराग ढांडा ने कहा कि भाजपा हमेशा से दलित, पिछड़े समाज और आदिवासी वर्ग को दबाती और कुचलती रही है और उनके पैसों का बेजा इस्तेमाल अपने वीआईपी कार्यक्रमों के लिए करती रही है। आम आदमी पार्टी की स्पष्ट मांग है कि आदिवासी कल्याण फंड से जितना भी पैसा खर्च किया गया, उसकी स्वतंत्र जांच की जाए और दोषी लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। साथ ही आदिवासी कल्याण फंड का सारा पैसा इन नेताओं और अधिकारियों से वसूला जाना चाहिए।
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