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सुर कोकिला के सम्मान में अमेरिका के वाशिंगटन डीसी में भारतीय ध्वज को आधा झुकाया गया

रविवार को देश की सुर कोकिला भारत रत्न लता मंगेशकर का 92 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। सुर की देवी के निधन से भारत समेत दुनिया के कई देशों में उनके चाहने वाले बेहद गमगीन हैं। इस बीच, महान गायिका लता मंगेशकर जी के सम्मान में अमेरिका के वाशिंगटन डीसी में भारतीय दूतावास में राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे को आधा झुकाया गया है।
वहीं, इसके पहले संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति समेत अमेरिका में रह रहे प्रवासी भारतीय सदस्यों ने रविवार को प्रसिद्ध पार्श्व गायिका व सुर की देवी लता मंगेशकर को श्रद्धांजलि दी।

संयुक्त राष्ट्र महिला की सहायक एवं महासचिव अनीता भाटिया ने कहा कि भारत की सुर कोकिला लता मंगेशकर नहीं रहीं। हम उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हैं। साथ ही कहा कि उनकी खूबसूरत आवाज हमारी यादों और हमारे दिलों में हमेशा अंकित रहेगी ।

बता दें कि केवल अमेरिका ही नहीं विश्व के कई अन्य देशों से सुर कोकिला लता मंगेशकर को लोगों ने श्रद्धांजलि दी है। इसमें प्रमुख रूप से फ्रांस, पाकिस्तान और नेपाल जैसे अन्य देश शामिल हैं। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने लता मंगेशकर को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उनके निधन से उपमहाद्वीप ने दुनिया की एक महान गायिका को खो दिया है। उनके गीतों को सुनकर पूरी दुनिया में इतने सारे लोगों को बहुत खुशी मिलती है।

कुछ लोग जीते जी किंवदंती बन जाया करते हैं. उनके अमर होने के संकेत पूरी दुनिया को मिलते रहते हैं. देश-विदेश की विभिन्न भाषाओं में एक हजार से भी अधिक गानों को स्वर देने वाली ‘स्वर कोकिला’ के नहीं रहने पर इस तरह के बहुत से रिकॉड उनके नाम स्पष्टतः दिखाई देंगे. रोचक यह भी है कि वह सहज ही किस तरह आम से खास और खास से आम होती गईं. इस सिलसिले में वह हर खास-ओ-आम के करीब भी रहीं.

 

हम बात उन कुछ प्रसंगों की कर रहे हैं, जहां लता मंगेशकर नाम के एक हाड़-मांस के पुतले को कुछ खास लोग देखते-सुनते समय क्या सोचते रहे. यह जरूर था कि हमारे-आप जैसे उस शरीरधारी को देवतुल्य भी मान लिया गया. तलत महमूद ने तो कहा भी था कि सरस्वती और लक्ष्मी दोनों एक साथ कम ही रहा करती हैं. लता शायद इन दोनों के मेल से अवतरित तीसरी देवी हैं.

 

लता जी को देवी न भी मानें, तो भी वह विशिष्ट इनसान जरूर थीं. यह तो देश-दुनिया को पता है कि चीन के साथ 1962 के युद्ध के बाद 1963 में सैनिकों के बीच लताजी ने ‘ऐ मेरे वतन के लोगों! जरा आंख में भर लो पानी’ गाकर सुनाया तो वहां मौजूद अन्य लोगों के साथ प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की आंखें भी भर आईं थीं. निश्चित ही वह माहौल गीत के शब्दों के साथ लता मंगेशकर के सुर की संगति से उत्पन्न हुआ था.

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