यूक्रेन पर रूस का हमला हो चुका है। रूस के लड़ाकू विमान यूक्रेन की राजधानी के ऊपर मंडरा रहे हैं। यूक्रेन की जनता बमबारी से बचने के लिए सुरक्षित जगह पर जाने को बेताब है। यूक्रेन में कई भारतीय छात्र भी फंसे हुए हैं। वहां फंसे छात्र ही नहीं बल्कि भारत में मौजूद उनके परिजन भारत सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं। परिजन भारत सरकार पर तरह-तरह के लापरवाही के आरोप लगा रहे हैं। लेकिन फिर भी कहीं से मदद नहीं मिल रही।ऐसे में विदेश में फंसे लोगों को पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की याद आ रही है। हर कोई यही कह रहा है की सुषमा स्वराज होती तो ऐसा ना होता।
आपको बता दें सुषमा स्वराज ने कई मामलों में विदेश में फंसे लोगों को भारत बुलवाया था। संकट की घड़ी में यूक्रेन में फंसे लोगों को सुषमा स्वराज की याद आना लाजमी है।सुषमा जी के विदेश मंत्री रहते हुए बस एक ट्वीट पर भारत के जहाज विदेशों में अटके भारतीयों को लाने के लिए पहुंच जाता था।विदेश मंत्री के पद पर रहते हुए सुषमा जी ने विदेश मंत्रालय का पूरा अर्थ ही बदल दिया था। सुषमा जी वर्ष 2014 से वर्ष 2019 तक विदेश मंत्री के पद पर रही । अपने पांच वर्षों के अच्छे कार्यकाल में सुषमा स्वराज जी ने लगभग 186 देशों में मौजूद क़रीब 90 हजार से अधिक भारतीयों तक विदेश मंत्रालय की मदद पहुंचाई थी।
हालांकि इस मामले में भारत सरकार ने भी सक्रियता दिखाई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के हमले के तुरंत बाद उच्च अधिकारियों संग बैठक कर पूरे मामले की जानकारी ली है। सरकार द्वारा भारतीयों को यूक्रेन की पश्चिमी शहरों की तरफ जाने की सलाह दी गई है। आपको बता दें यूक्रेन में करीब 20000 भारतीय लोगों के फंसे होने की संभावना है। बड़ी संख्या में मेडिकल स्टूडेंट्स भी यूक्रेन में फंसे हैं। लोग तरह-तरह से वीडियो और संदेश के माध्यम से अपनी स्थिति बयान कर रहे हैं। भारत सरकार भी हेल्पलाइन नंबर जारी करके हर संभव मदद देने में जुटी है।