सिंहस्थ-2028 की तैयारियों को लेकर मध्य प्रदेश सरकार ने 2675 करोड़ रुपये के 33 विकास कार्यों को मंजूरी दी है। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने सभी निर्माण कार्य दिसंबर 2027 तक पूर्ण करने के निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में मंत्रालय में सिंहस्थ-2028 की तैयारियों की समीक्षा बैठक हुई। बैठक में 2675 करोड़ रुपये की लागत से 33 निर्माण एवं विकास कार्यों को मंजूरी दी गई। मुख्यमंत्री ने सभी कार्यों को दिसंबर 2027 तक पूर्ण करने का निर्देश दिया ताकि यह महापर्व विश्वस्तरीय आयोजन बन सके।
बैठक में उज्जैन, खंडवा, मंदसौर और खरगोन जिलों में प्रस्तावित कार्यों की समीक्षा की गई। उज्जैन में 25, खंडवा में 3, मंदसौर में 2 और खरगोन में 3 कार्य किए जाएंगे। इनमें नगरीय विकास, लोक निर्माण, रेलवे, पर्यटन, गृह, जल संसाधन विभाग के महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट शामिल हैं।
मुख्यमंत्री ने स्थानीय लोगों की सहभागिता और उनकी राय का सम्मान करने पर जोर देते हुए कहा कि भीड़ प्रबंधन, यातायात व्यवस्था, स्वच्छता एवं स्वास्थ्य जैसी व्यवस्थाएं सात जोनों में विभाजित उज्जैन में प्रभावी ढंग से की जाएंगी। विशेष रूप से 12 किलोमीटर लंबा 6-लेन मार्ग (MR-22) का निर्माण किया जाएगा जो सभी घाटों को जोड़ेगा और सिंहस्थ के दौरान बस रैपिड ट्रांजिट के रूप में काम करेगा।
इसके अलावा, बड़नगर रोड के विकल्प के रूप में नईखेड़ी मार्ग का विकास, महाकाल मंदिर, रामघाट और अन्य प्रमुख स्थलों तक पहुंच के लिए कई फोरलेन एवं सिक्सलेन मार्ग स्वीकृत किए गए हैं, जिससे ट्रैफिक जाम में कमी आएगी।
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क्षिप्रा नदी के घाटों का भी उन्नयन किया जाएगा, जिसके लिए लगभग 122 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं। मंदसौर के पशुपतिनाथ मंदिर के लिए 12 करोड़ रुपये की लागत से घाट और सौंदर्यीकरण कार्य भी शामिल हैं।
ओंकारेश्वर में श्रद्धालुओं के लिए झूला पुल के समानांतर नए पुल का निर्माण और मंदिर परिसर के विकास के लिए भी स्वीकृति दी गई है। महेश्वर में ‘अहिल्या लोक’ परियोजना के लिए 110 करोड़ रुपये और धामनोद से बड़वाह तक 62 किलोमीटर सड़क चौड़ीकरण के लिए 1441 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं।
जल संसाधन विभाग ने कान्ह नदी डायवर्शन और जल निरंतर प्रवाह योजना की प्रगति की जानकारी दी। साथ ही, ऊर्जा, संस्कृति, पर्यटन, गृह और नगर विकास विभागों के कार्यों की भी समीक्षा की गई।
मुख्यमंत्री ने सभी विभागों को निर्देश दिए कि सिंहस्थ-2028 के लिए सभी तैयारियां समय पर पूरी हों और यह आयोजन प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत और धार्मिक आस्था का गौरव बने।
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