दुनिया भर में स्वर कोकिला के नाम से मशहूर लता मंगेशकर के आज भी लाखों फैंस हैं. अपनी मधुर आवाज से लोगों को दीवाना बनाने वाली लता मंगेशकर ने काफी समय तक अपने मधुर गीतों से दर्शकों का मनोरंजन किया है. उनके गाने आज भी लोगों के जहन में जिंदा है. जिस कारण लता मंगेशकर हमेशा लोगों के दिलों धड़कन में जिंदा रहेंगी. आपको बता दें कि लता जी ने करीब 36 क्षेत्रीय भाषाओं में भी गाने गाए, जिसमें मराठी, बंगाली और असमिया भाषा भी सम्मिलित है.
जन्म से जुड़े कुछ किस्से –
28 सितंबर 1929 को इंदौर के मराठा परिवार में जन्म लेने वाली लता मंगेशकर का नाम पहले हेमा था. जन्म के 5 साल बाद ही उनके माता-पिता ने इनका नाम बदलकर लता रख दिया. पांच भाई-बहनों में सबसे बड़ी लता मंगेशकर ने सिर्फ 5 साल की उम्र में ही गाना सीखना शुरू कर दिया था. इंडस्ट्री में अपनी सुरमई आवाज से एक अलग पहचान बनाने वाली लता दीदी को दादा साहब फाल्के अवार्ड से लेकर भारत रत्न जैसे बड़े अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है. लता दीदी के पिता दीनदयाल रंगमंच के कलाकार थे, जिनकी वजह से लता जी की रुचि संगीत में अधिक थी जिस कारण उनको संगीत कला विरासत में मिली थी.
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खाने में जहर देकर मारने की की गई थी कोशिश –
अपनी मधुर आवाज से गाने गाकर दुनिया भर के लोगों पर जादू करने वाली लता मंगेशकर के जीवन में एक बुरा वक्त ऐसा आया था. जब उन्हें जान से मारने की कोशिश भी की गई थी. यह बात बीते वर्ष 1963 की है जब फिल्म ’20 साल बाद’ मैं लता जी को गाना था. इस गाने के लिए संगीत निर्देशक हेमंत कुमार ने पूरी तैयारी कर ली थी. लेकिन रिकॉर्डिंग शुरू होने से कुछ घंटे पहले ही अचानक लता जी की तबीयत काफी बिगड़ गई. उनके पेट में दर्द होने लगा और साथ ही उल्टियां शुरू हो गई.
इस दौरान लता जी 3 दिन तक मौत से जूझती रही. करीब 10 दिन बाद सेहत में सुधार होने पर डॉक्टर ने बताया कि उन्हें खाने में धीमा जहर दिया गया था. जिसकी वजह से उनकी हालत बिगड़ गई. इस संबंध में लता जी ने एक इंटरव्यू में बताया था कि वह ‘हमारी जिंदगी का सबसे भयानक दौर था. इस दौरान वह इतनी कमजोर हो गई थी की लगभग 3 महीने तक बहुत मुश्किल से बिस्तर से उठ पाती थी’.
उन्होंने यह भी बताया कि उन दिनों हालात ऐसे हो गए थे कि मैं अपने पैरों से चल भी नहीं सकती थी. लता मंगेशकर के मुताबिक काफी लंबे इलाज के बाद में ठीक हो गई थी. उन्होंने बताया उनके परिवार के डॉक्टर आरपी कपूर और लता जी के दृढ़ संकल्प ने उन्हें ठीक कर दिया. 3 महीने तक बिस्तर पर रहने के बाद वह फिर से गाना रिकॉर्ड करने के लिए तैयार हो गई थी. सेहत में सुधार के बाद उन्होंने पहला गाना हेमंत कुमार द्वारा कंपोज किया हुआ ‘कहीं दीप जले कहीं दिल’ गाया था.
आपको बता दें हिंदी सिनेमा की इस दिग्गज सुरमई गायिका के गाने ना सिर्फ पुराने लोग पसंद करते हैं, बल्कि नई पीढ़ी के लोग भी इन्हें बड़े शौक से सुनते हैं. अपने दमदार आवाज से इंडस्ट्री में अपनी अमित पहचान बनाने वाली लता मंगेशकर आज भी करोड़ों दिलों की धड़कन है. मशहूर गायिका लता मंगेशकर के निधन पर देश में 2 दिनों का राजकीय शोक घोषित किया गया है.