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लाला लाजपत राय की जयंती पर आइए जाने उनके कुछ अनसुने किस्से

लाला लाजपत राय को पंजाब केसरी के नाम से जाना जाता है उनका जन्म 28 जनवरी 1865 को भारत के धुडिके में हुआ था आइए लाला लाजपत राय की जयंती पर आपको बताएं कुछ अनजाने किस्से–
लाला लाजपत राय जयंती हर साल उनकी जयंती के रूप में ही मनाई जाती है लाला लाजपत राय एक भारतीय राष्ट्रवादी लेखक राजनीतिक और हिंदू वर्चस्व आंदोलन के नेता थे इनका जन्म 28 जनवरी 1865 को भारत के धुडिके में हुआ था इन्होंने अपनी भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी वे लोकप्रिय रूप से पंजाब के शेर और पंजाब केसरी के रूप में जाने जाते थे लाला लाजपत राय लाल बाल पाल यानी लाला लाजपत राय ,बाल गंगाधर तिलक और बिपिन चंद्र पाल की तिकड़ी के 3 सदस्यों में से एक थे इनकी जयंती मनाने के लिए हम आपको कुछ इनके प्रेरणादायक और प्रसिद्ध उदाहरण बताते हैं।
उन्होंने कहा था कि
1– अगर मेरे पास भारतीय पत्रिकाओं को प्रभावित करने की शक्ति होती तो मेरे पहले पृष्ठ पर शिशुओं के लिए दूध वयस्कों के लिए भोजन और सभी के लिए शिक्षा मोटे मोटे अक्षरों में छपता।
2–लाला लाजपत राय ने कहा था जो सरकार अपनी निर्दोष प्रजा पर हमला करती है उसको सरकार कहलाने का कोई हक नहीं है ध्यान रहे ऐसी सरकार ज्यादा दिन नहीं चलती उन्होंने कहा कि मैं घोषणा करता हूं कि मुझ पर मारा गया प्रहार ताबूत में आखिरी कील होगा
3–जो शाट मुझे लगे वह भारत में ब्रिटिश शासन के ताबूत की आखिरी कील है।
4–हार और असफलता कभी-कभी जीत के आवश्यक कदम होते हैं
5– एक व्यक्ति को सांसारिक लाभ प्राप्त करने की चिंता किए बिना सत्य की पूजा करने में साहसी और ईमानदार होना चाहिए
6–हमारी अपनी अवधारणा के अनुसार जीवन क्या होना चाहिए अपने स्वयं के व्यक्तित्व को विकसित करने के लिए अपने आदर्शों को आगे बढ़ाने के लिए और उद्देश की एकता को सुरक्षित करने के लिए जो हमें दुनिया के अन्य राष्ट्रों से अलग करेगा यही हमारे जीने की अवधारणा होनी चाहिए।
7–उन्होंने कहा जब से गाय और अन्य जानवरों की गुरुर हत्या शुरू हुई है मुझे आने वाली पीढ़ी की चिंता सताने लगी है।
7–मैं हिंदू मुस्लिम की एकता में इमानदारी से विश्वास करता हूं मैं मुस्लिम नेताओं पर भरोसा करने के लिए भी पूरी तरह से तैयार हूं लेकिन कुरान और हदीस के आदेशों के बारे में क्या नेताओं ने ओवरराइट नहीं कर सकते हैं क्या हम तब बर्बाद हैं मुझे आशा नहीं है मुझे आशा है की विद्वान दिमाग और बुद्धिमान से इस घटना से बाहर निकलने का कोई रास्ता अवश्य खोज निकालेगा इसीलिए भारतीयों के पास उन्हें शब्द बनाने के लिए अंग्रेजों के प्रति आभारी होने का कोई कारण नहीं है दुनिया के अंदर सभी अच्छी चीजों के बदले जो ने विदेशी के अप्राकृतिक शासन से वंचित कर दिया गया है
8–राष्ट्र के निर्माण की प्रक्रिया एक नैतिक प्रक्रिया है आप द्वेधता का अभ्यास करके इस तरह के काम को सफलता के साथ नहीं कर सकते हैं।
9– मैं हमेशा मानता था कि कई विषयों पर मेरी चुप्पी लंबे समय में शायद फायदा दिलाएगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
हमारे लिए सही काम एक लोकतांत्रिक राज्य के लिए प्रयास करना जिसमें हिंदू मुस्लिम और अन्य समुदाय भारतीय के रूप में भाग ले सके ना की किसी विशेष धर्म के अनुयायी के रूप में।

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