संत बलबीर सिंह सीचेवाल का बाढ़ नियंत्रण के लिए बड़ा बयान, कुदरत के करीब जाकर ही मिलेगी राहत

संत बलबीर सिंह सीचेवाल ने पंजाब में बाढ़ नियंत्रण के लिए कुदरत के करीब जाने और दरिया के लिए बाढ़ क्षेत्र छोड़ने की सलाह दी। धुसी बांधों को मजबूत करने व ट्यूबवेल के पास पेड़ लगाने पर भी जोर दिया गया।

पंजाब में पर्यावरण प्रेमी और राज्यसभा सदस्य संत बलबीर सिंह सीचेवाल ने कहा है कि बाढ़ जैसी आपदा से बचने के लिए हमें कुदरत के करीब जाना होगा और दरिया के लिए बाढ़ क्षेत्र छोड़ना होगा। पिछले 29 दिनों से बाढ़ प्रभावित इलाकों में पीड़ितों की मदद कर रहे संत सीचेवाल ने जलवायु परिवर्तन को ध्यान में रखते हुए किसानों को अपनी फसलों के चयन में सावधानी बरतने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि वर्तमान विकास मॉडल ने जंगलों और पहाड़ों का विनाश कर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया है, जिससे प्राकृतिक आपदाओं की संभावना बढ़ गई है।

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संत सीचेवाल ने बताया कि पंजाब में सतलुज, ब्यास, रावी और घग्गर नदियों के किनारे लगभग 900 किलोमीटर लंबे धुसी बांध हैं, जिनमें से कई बांध पुराने और कमजोर हो चुके हैं। बाढ़ के चलते ये बांध पानी की बढ़ती मात्रा को संभालने में असमर्थ रहे। उन्होंने सुझाव दिया कि इन धुसी बांधों को मजबूत करने के लिए पक्की सड़कों का निर्माण किया जाए और बांधों पर वृक्षारोपण किया जाए।

संत सीचेवाल ने कहा कि बाढ़ से बचाव का सबसे सरल उपाय है कि हर ट्यूबवेल के पास कम से कम पांच पेड़ लगाए जाएं। पंजाब में लगभग 14 लाख ट्यूबवेल हैं, अगर हर ट्यूबवेल पर पांच पेड़ लगाए जाएं, तो राज्य में 70 लाख नए पेड़ होंगे जो न केवल बाढ़ को कम करेंगे बल्कि समय पर वर्षा लाने में भी मददगार साबित होंगे। उन्होंने सभी से पर्यावरण संरक्षण और प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाए रखने का आग्रह किया ताकि भविष्य में बाढ़ जैसी आपदाओं से बचा जा सके।

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