डीजीपी गौरव यादव ने कहा कि Punjab Police अपने अधिकारियों को ज्ञान और कौशल से लैस करने के लिए इसी तरह की कार्यशालाओं का आयोजन जारी रखेगी।
पंजाब पुलिस भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के प्रावधानों की बारीकियों पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया, जिसमें इस अनुच्छेद के दायरे के संबंध में विभिन्न माननीय न्यायालयों, विशेष रूप से भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय के फैसलों पर विशेष ध्यान दिया गया। यह अनुच्छेद व्यक्तियों के जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार की रक्षा करता है, जो भारतीय संविधान का एक अत्यंत महत्वपूर्ण अनुच्छेद है।
राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी के पूर्व निदेशक और प्रतिष्ठित कानूनी विद्वान डॉ. बलराम गुप्ता ने एक ज्ञानवर्धक मुख्य भाषण दिया, जिसमें उन्होंने विशेष रूप से इस लेख के दायरे को 1951 के ऐतिहासिक मामले ए.के. गोपालन बनाम मद्रास राज्य से लेकर 2017 के ऐतिहासिक मामले न्यायमूर्ति के.एस. पुट्टस्वामी (सेवानिवृत्त) एवं अन्य बनाम भारत संघ तक विस्तारित करने पर ध्यान केंद्रित किया।
उल्लेखनीय है कि डॉ. बलराम के. गुप्ता एक प्रतिष्ठित कानूनी विद्वान हैं, जिनका करियर 55 वर्षों से अधिक लंबा है। उन्होंने 1968 में आईसीपीएस, नई दिल्ली में संसदीय फेलो के रूप में अपनी यात्रा शुरू की थी। उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय में विधि के प्रोफेसर और विधि विभाग के अध्यक्ष, गुरु नानक देव विश्वविद्यालय में विधि संकाय के मानद डीन और राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी, भोपाल के निदेशक सहित विभिन्न प्रतिष्ठित पदों पर कार्य किया है। डॉ. गुप्ता को 2016 में रोटरी इंटरनेशनल से लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड मिला है।
डॉ. गुप्ता ने पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) पंजाब गौरव यादव और विशेष डीजीपी मानव संसाधन विकास (एचआरडी) एवं कल्याण ईश्वर सिंह के साथ कार्यशाला में उत्साहपूर्वक भाग लेने वाले सभी वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को संबोधित किया। कार्यशाला में विशेष डीजीपी सामुदायिक मामले प्रभाग गुरप्रीत कौर देव, विशेष डीजीपी नीति एवं नियम एसके अस्थाना, विशेष डीजीपी रेलवे शशि प्रभा द्विवेदी भी शामिल हुए।
डॉ. गुप्ता के संबोधन में मौलिक अधिकारों को बनाए रखने के महत्व पर जोर दिया गया, विशेष रूप से पुलिसिंग के संदर्भ में।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जहां तक व्यक्तियों के जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा का सवाल है, यह अनुच्छेद अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि जहां तक संविधान और अन्य कानूनों में निहित व्यक्तियों के अधिकारों को बनाए रखने का सवाल है, पुलिस को एक महत्वपूर्ण संवैधानिक कर्तव्य का निर्वहन करना होता है।
डॉ. गुप्ता ने आगे विचारपूर्ण और तीक्ष्ण बातचीत की, जिससे सत्र उत्पादक और प्रभावशाली बन गया।
डीजीपी गौरव यादव ने कहा कि पंजाब पुलिस इसी तरह की कार्यशालाएं और प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करती रहेगी, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि हमारे अधिकारी निष्पक्ष, निष्पक्ष और मानवीय तरीके से अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने के लिए आवश्यक ज्ञान और कौशल से लैस हों।
इस अवसर पर एडीजीपी तकनीकी सहायता सेवाएं राम सिंह, एडीजीपी एनआरआई प्रवीण कुमार सिन्हा, एडीजीपी ट्रैफिक एएस राय, एडीजीपी साइबर क्राइम वी नीरजा, निदेशक पीपीए फिल्लौर अनीता पुंज, एडीजीपी प्रोविजनिंग जी नागेश्वर राव, निदेशक पंजाब बीओआई एलके यादव, एडीजीपी आईवीसी नौनिहाल सिंह, एडीजीपी इंटेलिजेंस आरके जायसवाल, एडीजीपी कानून एवं व्यवस्था एसपीएस परमार, एडीजीपी आंतरिक सुरक्षा शिव कुमार वर्मा, आईजीपी मुख्यालय डॉ. सुखचैन सिंह गिल, आईजीपी रेलवे बलजोत सिंह, आईजीपी बाबू लाल मीना, डीआईजी नीलांबरी जगदले, डीआईजी अलका मीना, डीआईजी जे एलनचेजियन और डीआईजी सुखवंत सिंह गिल सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी कार्यशाला में शामिल हुए।