राजस्थान: शादी समारोह में 250 लोग हो सकेंगे शामिल, नाइट कर्फ्यू से भी मिली निजात –

राजस्थान में कोरोना के घटते मामलों को देखते हुए सरकार ने कोरोना पाबंदियों में एक बार फिर छूट देते हुए नई गाइडलाइन जारी की है. जिसमें अब रात 11:00 बजे से सुबह 5:00 बजे तक का नाइट कर्फ्यू हटा दिया गया है. वहीं शादी समारोह की बात की जाए तो उसमें भी 100 लोगों की दर को बढ़ाकर 250 कर दिया गया है. धार्मिक स्थलों पर भी श्रद्धालुओं को जाने की अनुमति दे दी गई है.

कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए अभी तक मंदिरों में प्रसाद, माला आदि चढ़ाने पर रोक लगी थी. लेकिन अब सरकार ने श्रद्धालुओं के लिए यह पाबंदी खत्म कर दी है. अब भक्त मंदिर से लेकर हर धार्मिक केंद्र पर दर्शन के लिए जा सकते हैं और श्रद्धापूर्वक प्रसाद भी चढ़ा सकते हैं. गृह विभाग गाइडलाइन में  संशोधन कर नई गाइडलाइन जारी कर दी गई है. जो कि 5 फरवरी से लागू हो जाएगी.

नई गाइडलाइन के अंतर्गत अब हर तरह की सार्वजनिक समारोह, राजनीतिक, सामाजिक एवं धार्मिक गतिविधियों में अब 250 लोगों के शामिल होने की अनुमति होगी. हालांकि इस लिमिट में बैंड वालों को शामिल नहीं किया गया है. कुछ पाबंदियां अभी भी जारी रहेंगी. दसवीं से बारहवीं कक्षा तक के स्कूल खोलने की मंजूरी पहले ही दी जा चुकी है. अब नाइट कर्फ्यू खत्म होने से लोगों को रात भर आवाजाही पर भी रोक नहीं रहेगी.

डबल डोज वैक्सीनेशन वाले लोग ही समारोह में होंगे शामिल –
नई गाइडलाइन के अंतर्गत शादी समारोह में जाने वाले लोगों के लिए वैक्सीनेशन की शर्त रखी गई है. जी हां किसी भी तरह का समारोह या सार्वजनिक आयोजन हो तो उसमें वैक्सीन की डबल डोज वाले लोग ही सम्मिलित हो सकेंगे. प्रशासन इसकी देखरेख करेगा. हर समारोह का आयोजन के पहले अनुमति लेनी होगी.

कांग्रेस विधायकों के ट्रेनिंग कैंप की लिमिट बढ़ाकर 120 की –
6 और 7 फरवरी को एक फाइव स्टार होटल में कांग्रेसी विधायकों का ट्रेनिंग कैंप है. इस रेजिडेंशियल ट्रेनिंग कैंप में सभी विधायक और समर्थक विधायक शामिल होंगे. लेकिन इसमें भी एक शर्त है कि उन विधायकों की संख्या 120 होगी.

बजट सत्र की लिमिट बढ़ाई –
आगामी विधानसभा का बजट सत्र 9 फरवरी से शुरू हो रहा है. जिसे देखते हुए सरकार ने शादी से लेकर अन्य समारोह में शामिल होने वाले लोगों की संख्या बढ़ाई है. पहले 100 लोगों के शामिल होने की अनुमति थी जिसे बढ़ाकर ढाई सौ कर दिया गया है. ऐसा इसलिए क्योंकि विधानसभा सत्र में 200 विधायक और अफसर कर्मचारी मिलाकर यह संख्या ज्यादा होती.

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