राजस्थान सरकार ने स्कूलों में 6 दिसंबर को बाबरी विध्वंस की बरसी को शौर्य दिवस बनाने का आदेश वापस लिया। CM भजन लाल शर्मा के हस्तक्षेप और हाफ इयरली एग्जाम के कारण यह निर्णय लिया गया।
राजस्थान में स्कूलों में 6 दिसंबर को बाबरी विध्वंस की बरसी ‘शौर्य दिवस’ के रूप में मनाने का आदेश शिक्षा विभाग द्वारा जारी किया गया था, जिसे मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा के हस्तक्षेप के बाद तुरंत वापस ले लिया गया। हाफ इयरली एग्जाम को मुख्य कारण बताया गया है।
राजस्थान के सरकारी स्कूलों में शिक्षा विभाग ने प्रारंभिक रूप से आदेश जारी किया था कि 6 दिसंबर को बाबरी विध्वंस की बरसी शौर्य दिवस के रूप में मनाई जाएगी। हालांकि, कुछ ही घंटों में यह फैसला बदल गया। सूत्रों के मुताबिक, मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने आदेश को लेकर नाराजगी जताई और शिक्षा मंत्री मदन दिलावर से इसे वापस लेने का निर्देश दिया।
शिक्षा मंत्री के प्रेस नोट में कहा गया कि हाफ इयरली एग्जाम जल्द ही शुरू होने वाले हैं और इसी कारण आदेश को अपरिहार्य परिस्थितियों के तहत वापस लिया गया। सवाल यह उठता है कि क्या शिक्षा मंत्री को पहले से परीक्षा शेड्यूल की जानकारी नहीं थी।
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सूत्रों के मुताबिक, देर रात शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने अपने स्तर पर आदेश जारी किया था, जिसमें राजस्थान के सभी सरकारी स्कूलों में 6 दिसंबर को बाबरी विध्वंस की बरसी शौर्य दिवस के रूप में मनाने का निर्देश दिया गया। इस खबर के प्रसारित होते ही स्कूलों और शिक्षा जगत में हड़कंप मच गया।
सियासी गलियारों में यह मामला तेजी से फैल गया और दिल्ली स्थित बीजेपी आलाकमान ने भी इस आदेश पर असहमति जताई। इससे सरकार और पार्टी की नकारात्मक छवि बनने का खतरा महसूस किया गया।
बिना मुख्यमंत्री को सूचित किए आदेश जारी करने के कारण शिक्षा मंत्री को भी आलोचना का सामना करना पड़ा। आदेश वापस होने के बाद अब सरकार और पार्टी से जुड़े लोग राहत की सांस ले रहे हैं।
राजस्थान में इस घटना ने यह साफ कर दिया है कि संवेदनशील मामलों में समय पर सही निर्णय लेना और अधिकारियों को उच्च स्तर पर सूचित करना कितना जरूरी है।
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