Russia Ukraine News: बांग्लादेश और पाकिस्तान के छात्रों को भारत के तिरंगे पर भरोसा

यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद से वहां से घर लौटे कासिफ हसन के घर में हर्ष का माहौल है। हमले के बाद से ही घर वाले लगातार कासिफ के संपर्क में था। पड़ोसी देश बांग्लादेश और पाकिस्तान सहित अन्य देशों के लोग भी भारत के ध्वज के सहारे ही अपनी जान बचाकर सुरक्षित यूक्रेन से निकल रहे हैं।

यूक्रेन की निप्रो पैथराक्स मेडिकल यूनिवर्सिटी में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहा बेहट के गांव ताजपुरा के रहने वाले डा.सगीर हसन का बेटा कासिफ हसन शनिवार को वापस लौट आया। गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस पर बेटे कासिफ हसन को देखकर पिता डा. सागीर हसन और बहनोई दानिश ने भावुक होकर उसे गले लगा लिया। घर पहुंचने पर परिवार में उत्सव का माहौल बन गया। मां से लेकर बहनों व अन्य स्वजन ने कासिफ को बारी-बारी से भावुक होकर गले लगाया।

6 घंटे करते रहे इंतजार

कासिफ हसन ने बताया कि हमले के बाद से ही निप्रो शहर में 24 फरवरी को कर्फ्यू लग गया था। 26 फरवरी को रूस की सेना निप्रो शहर के आसपास तक पहुंचने लगी थी। इस बीच वह लोग बंकरों में ही रहे। 2 मार्च को वह वहां से निकलकर रेलवे स्टेशन पहुंचे, उन्हें स्लोवाकिया बार्डर पर पहुंचने के लिए कहा गया था। उन्होंने बताया कि स्लोवाकिया में माइनस छह डिग्री तापमान होने के कारण बेहद ठंड थी। बार्डर पर 6 घंटे तक इंतजार करते रहे। इसके बाद भारतीय दूतावास से संपर्क करने पर उन्हें बार्डर से एक बस द्वारा होटल पहुंचाया गया। यहां से उन्होंने चार मार्च को भारतीय वायुसेना के विमान से उड़ान भरी और हिंडन एयरबेस पहुंचे।

कासिफ हसन का कहना था कि यूक्रेन में भारतवासी राष्ट्रीय ध्वज लेकर खतरों से बचते हुए निकल ही रहे है। बांग्लादेश और पाकिस्तान सहित अन्य देशों के लोग भी भारतीय ध्वज के सहारे ही अपनी जान बचाकर सुरक्षित यूक्रेन से निकल रहे हैं। डा. सागीर अहमद व पत्नी तसमीम फातिमा ने बेटे के सकुशल घर पहुंचने पर प्रधानमंत्री मोदी व भारत सरकार का शुक्रिया अदा किया, उनका कहना था कि बेटे के अलावा यूक्रेन में फंसे देश के लोगों को सुरक्षित वतन वापस लाने में प्रधानमंत्री मोदी ने बहुत बड़ा काम किया है।

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