आज भारत के लिए गर्व का दिन है क्योंकि भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला और उनकी टीम ने एक्सिओम-4 मिशन के बाद सफलतापूर्वक अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) से पृथ्वी पर वापसी की है। शुभांशु और उनके तीन साथियों ने लगभग 22 घंटे के लंबे सफर के बाद कैलिफोर्निया के समुद्री तट पर सुरक्षित लैंडिंग की। आइए जानते हैं कि आखिर अंतरिक्ष से वापस आने की प्रक्रिया कैसी होती है और किन-किन खतरों से गुजरना पड़ता है।
शुभांशु शुक्ला की वापसी का पूरा सफर
सोमवार शाम भारतीय समयानुसार 4 बजकर 45 मिनट पर शुभांशु शुक्ला की टीम ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन से पृथ्वी के लिए प्रस्थान किया। मंगलवार दोपहर लगभग 3 बजे यह टीम कैलिफोर्निया के समुद्री तट पर उतरी, जहां से उनका पुनर्वास शुरू होगा।
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अंतरिक्ष से पृथ्वी पर लौटने की जटिल प्रक्रिया
स्टेप 1: स्पेसक्राफ्ट में प्रवेश
अंतरिक्ष यात्रियों को वापसी के लिए एक विशेष कैप्सूल में बैठना होता है। शुभांशु का कैप्सूल ड्रैगन नामक स्पेसक्राफ्ट था, जो पृथ्वी की ओर प्रस्थान करता है। यह कैप्सूल ISS से अलग होकर पृथ्वी की ओर बढ़ता है।
स्टेप 2: वायुमंडल में प्रवेश और तापमान का सामना
कैप्सूल जब पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करता है, तब अत्यधिक घर्षण के कारण तापमान हजारों डिग्री तक बढ़ जाता है। इसे रोकने के लिए कैप्सूल के बाहरी हिस्से में हीट शील्ड लगी होती है जो इसे गर्मी से बचाती है।
स्टेप 3: गति को कम करना
धरती की ओर तेजी से बढ़ते कैप्सूल की गति को कम करने के लिए बड़े पैराशूट्स का इस्तेमाल किया जाता है। ये पैराशूट्स कैप्सूल की गति को धीरे-धीरे घटाते हुए समुद्र में सुरक्षित उतारने में मदद करते हैं। शुभांशु और उनकी टीम का कैप्सूल कैलिफोर्निया के समुद्री तट पर उतरा जिसे ‘स्प्लैशडाउन’ कहते हैं।
स्टेप 4: पुनर्वास और मेडिकल जांच
पृथ्वी पर आने के बाद, अंतरिक्ष यात्री कैप्सूल से बाहर निकलते हैं और उन्हें डॉक्टरों की निगरानी में रखा जाता है। इसका मकसद स्पेस में बिताए समय के बाद शरीर को पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण में ढालना होता है। शुभांशु और उनकी टीम को भी लगभग 7 दिनों तक पुनर्वास की प्रक्रिया से गुजरना होगा।
क्यों है यह प्रक्रिया जरूरी?
अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण का अभाव शरीर के लिए चुनौतीपूर्ण होता है। मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं और शरीर को फिर से सामान्य स्थिति में लाना आवश्यक होता है। इसके अलावा वायुमंडल में तेज़ गति और गर्मी से सुरक्षित उतरना भी बड़ी चुनौती होती है, जिसके लिए विशेष तकनीक और सावधानी बरती जाती है।
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