अंडर-19 टीम के तूफानी गेंदबाज रवि कुमार ने अपने प्रदर्शन से देश के लोगों का दिल जीत लिया है। उन्होंने नॉकआउट मुकाबलों में शानदार गेंदबाजी कर टीम इंडिया को फाइनल में पहुंचाया। रवि ने सेमीफाइनल तक पांच मैच में 6 विकेट लिए थे। फाइनल मुकाबले में उन्होंने इंग्लैंड के कप्तान टॉम प्रिस्ट को जीरो पर क्लीन बोल्ड कर दिया और ओपनर जैकब बेथेल को विकेट के सामने एलबीडब्ल्यू कर दिया।
रवि का क्रिकेटर बनने का सफर आसान नहीं रहा है। रवि कुमार का साथ अगर भाग्य ने नहीं दिया होता तो वे अंडर-19 की टीम में भी नहीं होते। अंडर-16 टीम के लिए जब उन्हें चुना गया था तो कैंप से ही बाहर उनको निकाल दिया गया था। रवि को बताया गया कि बोन टेस्ट में उनकी उम्र ज्यादा है। इसके बावजूद रवि कुमार अपने लक्ष्य से नहीं भटके।
किस्मत से उन्हें बंगाल की अंडर-19 टीम में जगह मिल गई। बंगाल अंडर-19 टीम में चुने जाने के बाद रवि कुमार ने फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। उन्होंने वहां अपनी शानदार गेंदबाजी से सबको प्रभावित किया। इसके बाद रवि का चयन भारतीय अंडर-19 टीम में हो गया। उन्होंने चैलेंजर्स ट्रॉफी और एशिया कप में शानदार बेहतरीन गेंदबाजी की।
इसके बाद अंडर-19 वर्ल्ड कप के लिए चुन लिए गए। अंडर-19 वर्ल्ड कप के पहले मैच में साउथ अफ्रीका के खिलाफ उन्हें कोई सफलता नहीं मिली थी। उन्होंने 30 रन दिए थे। इसके बाद आयरलैंड के खिलाफ 11 रन देकर एक विकेट अपने नाम किया था। अपेक्षाकृत कमजोर युगांडा के खिलाफ छह रन दिए थे, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली थी।
रवि कुमार ने ग्रुप दौर के मुकाबलों को भुलाकर नॉकआउट मैचों में जबरदस्त वापसी की। उन्होंने क्वार्टरफाइनल में बांग्लादेश के खिलाफ 14 रन देकर 3 विकेट अपने नाम किए। इसके बाद सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 37 रन पर दो विकेट झटके।
रवि पढ़ाई से ज्यादा खेल पर ध्यान देते थे, लेकिन मां को यह पसंद नहीं था।
उनके पिता ने इसे बारे में एक इंटरव्यू में कहा था कि खेलने को लेकर रवि और उसकी मां में कई बार बहस हो चुकी है। वह अपनी मां से कहता था- आज आप मुझे खेलने से रोक रही हैं, लेकिन एक दिन मैं टेलीविजन पर दिखूंगा। रवि ने मां से कहे इस बात को सही साबित किया। अब वे टेलीविजन पर लगातार दिख रहे हैं और क्रिकेट प्रेमी उनके प्रशंसक भी बन रहे हैं। रवि कुमार बाद में कोलकाता चले गए। वहां वे खेल को सिर्फ मजे के लिए खेलते थे, लेकिन कोच अमित भारद्वाज के संपर्क में आने के बाद इसे गंभीरता से लेने लगे। फिर उन्होंने अपनी गेंदबाजी पर विशेष ध्यान दिया। उनके पिता राजिंदर सिंह CRPF में असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर हैं। देश के एक सिपाही राजिंदर सिंह अब अपने बेटे की उपलब्धियों से काफी खुश हैं। उन्होंने बातचीत में कहा कि पहले मुझे कम लोग जानते थे, लेकिन अब कई लोग जान गए हैं। यहां तक कि अफसरों ने मुझे बुलाकर बधाई दी है।