बिज़नेसविज्ञान-टेक्नॉलॉजी

बेटे को थी सेरेब्रल पाल्सी, बीमारी से सीख नडेला ने डेवलप किए खास कंप्यूटर फीचर्स

दुनिया की सबसे बड़ी साफ्टवेयर कंपनी माइक्रोसॉफ्ट जिनका एक मुख्य विजन रहता है दिव्यांग लोगों तक अपने पर इसकी पहुंच बढ़ाना ताकि वह दिव्यांग लोग उनके एक्सेस को आसानी से इस्तेमाल कर सकें। आपने अपने कंप्यूटर या लैपटॉप की विंडो सेटिंग्स में जाकर एक ऐसे फीचर को देखा है जो हर शब्द को पढ़कर सुनाता हूं या क्या आपने उस ऑप्शन का इस्तेमाल किया है जो हर शब्द को बड़ा करके दिखाता है या फिर आपने कभी अपने लैपटॉप कंप्यूटर की ब्राइटनेस को बढ़ाया है?
तो अगर आप इन सारे “एक्सेसिबिलिटी” फीचर्स को अच्छे से जानते हैं तो समझ लीजिए कि इन्हें दिव्यांग लोगों के लिए ही खास तौर पर बनाया गया है।
और एक्सेसिबिलिटी फीचर को डिवेलप करने का आईडिया कहां से आया है यह कहानी भी बड़ी ही रोचक है, इसका क्रेडिट सत्या नडेला के बेटे जेन को जाता है, वह नडेला की पहली संतान है जिनको जन्म से ही सेरेब्रल पाल्सी नाम की बीमारी थी। जो एक तरीके का ब्रेन डिसऑर्डर है। गत 28 फरवरी को जेन इस दुनिया को छोड़ कर चले गए लेकिन दुनिया भर के लैपटॉप और कंप्यूटर में वह आज भी जिंदा है।

2017 में नडेला ने इस बात की जानकारी देते हुए बताया कि जब वे अपने बेटे जैन के माता-पिता बने थे तो उन्हें और उनकी पत्नी को कैसा अनुभव हुआ था उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट करते हुए बताया कि,
“मुझे साल 1996 का वो दिन बहुत अच्छे से याद है जब मेरा जीवन उत्साह से भरा हुआ था। मेरी पत्नी अनु की उम्र उस समय 25 साल थी और मेरी 29 साल । एक इंजीनियर के रूप में मेरा कैरियर आगे बढ़ रहा था और तभी मुझे पता चला कि अनु प्रेग्नेंट हो गई है और हम अपने पहले बच्चे को इस दुनिया में लाने की तैयारी कर रहे थे अनु की प्रेगनेंसी का 36वां हफ्ता चल रहा था और एक दिन उसने महसूस किया कि पेट के अंदर बच्चे की मुवमेंंट उतनी नहीं हो रही जितनी रोजाना होती थी। हमने उसे लोकल हॉस्पिटल में भर्ती कराया और फिर डॉक्टर्स ने बाहर आकर मिले, वे टेंशन में थे उन्होंने इमरजेंसी सीजीरियन सेक्शन की बात कही और मुझे धैर्य रखने को कहा। ऑपरेशन के बाद जैन ने 13 अगस्त 1996 को रात 11:29 पर जन्म लिया। लेकिन जन्म लेने के बाद जेन आम बच्चों की तरह रोया नहीं डॉक्टर ने बताया कि उसे सेरेब्रल पाल्सी है। 2014 मैं जब मैं माइक्रोसॉफ्ट का सीईओ बना तो कंपनी के प्रयोग डिजाइन करते वक्त मेरे सोचने का तरीका पहले से बदल गया था मेरा लीडरशिप का तरीका भी बदला मैंने स्पेशली एबल्ड पर्सन की तरह सोच कर कंपनी के प्रोडक्ट को डिजाइन करने की कोशिश की और जेन की वजह से ही मैं स्पेशली एबल्ड लोगों को बेहतर सर्विस देने की कोशिश करने लगा।”

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कर आज भी इंजीनियर माइक्रोसॉफ्ट तक नहीं कोई उसका रहस्य समाधान ढूंढ रहे हैं जिनसे दिव्यांग जनों को सशक्त बना पाए और इसका एक बेहतरीन उदाहरण है Microsoft seeing AI, यह माइक्रोसॉफ्ट का एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कॉर्टाना पर बनाया गया एप्लीकेशन है जो 10 टीमों को ऑब्जेक्ट बताने और समझने में मदद करता है

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