Brain Ageing Causes: डिप्रेशन दिमाग को समय से पहले बूढ़ा बना रहा है, मस्तिष्क पर क्या असर होता है? जानिए

Brain Ageing Causes: फिट रहने के लिए मानसिक स्वास्थ्य भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि शारीरिक स्वास्थ्य भी। एक नवीनतम अध्ययन ने पाया कि तनाव, चिंता और डिप्रेशन में रहने से दिमाग की बनावट बदल जाती है और आदमी दिमाग से बूढ़ा हो जाता है।
Brain Ageing Causes: आज शरीर से अधिक दिमाग का इस्तेमाल होता है। पहले जहां ज्यादातर लोग शारीरिक श्रम करके आजीविका चलाते थे, वहीं अब व्हाइट कॉलर जॉब वाले लोगों की संख्या बढ़ गई है। लंबे समय तक कंप्यूटर पर बैठकर काम करने वाले लोगों का दिमाग शरीर से अधिक इस्तेमाल होने लगा है। जिससे मेंटल हेल्थ के मुद्दे भी तेजी से बढ़ रहे हैं। दैनिक जीवन में तनाव इतना बढ़ा है कि बहुत से लोग डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं। एक अध्ययन ने पाया कि तनाव और डिप्रेशन दिमाग को समय से पहले बूढ़ा बनाते हैं।
अवसादग्रस्त लोगों का मस्तिष्क उनकी वास्तविक आयु से अधिक बूढ़ा दिख सकता है, जैसा कि साइकोलॉजिकल मेडिसिन नामक एक मैग्जीन में छपी एक अध्ययन ने बताया है। जिसके परिणामस्वरूप दिमाग का कॉग्निटिव डिक्लाइन होता है। ऐसी परिस्थितियों में व्यक्ति की याददाश्त प्रभावित होती है। क्रिटिकल थिंकिंग सहित महत्वपूर्ण संज्ञानात्मक कार्य (Essential Cognitive Functions) कम हो गए हैं। डिमेंशिया और अल्जाइमर जैसी न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारियों का जोखिम दिमाग की उम्र बढ़ने से बढ़ता है।
डिप्रेशन दिमाग को बूढ़ा करता है
मेजर डिप्रेसिव डिसऑर्डर, एक क्लीनिकल मानसिक बीमारी है, सिर्फ मूड को कम नहीं करता, बल्कि मस्तिष्क की संरचना को बदलता है। इससे दिमाग जल्दी बूढ़ा हो जाता है। जिससे व्यक्ति की वास्तविक उम्र से अधिक उम्र लगती है। इस अध्ययन में 670 लोगों के मस्तिष्क स्कैन का विश्लेषण किया गया, जिनमें से 239 अवसाद से पीड़ित थे और बाकी को कोई समस्या नहीं थी। उन्होंने अलग अलग दिमाग के एरिया की मोटाई का आकलन करके मस्तिष्क की आयु का अनुमान लगाया।
जिससे पता चला कि डिप्रेशन से पीड़ित लोगों का मस्तिष्क वास्तव में उन लोगों की तुलना में बहुत अधिक बूढ़ा दिखाई देता है, जिनकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं हुई थी। ऐसे लोगों के मस्तिष्क की संरचना ही बदल गई। पतलेपन, खासतौर से बाएं वेंट्रल क्षेत्र और प्रीमोटर आई फील्ड में देखा गया।
ऐसा क्यों होता है?
अध्ययन में मस्तिष्क के कुछ हिस्सों में पतलेपन की वजह भी बताई गई है। शोधकर्ताओं ने डोपामाइन, सेरोटोनिन और ग्लूटामेट जैसे न्यूरोट्रांसमीटर स्तरों और मस्तिष्क के पतलेपन के बीच एक संबंध पाया है। ये भावनाओं और संज्ञानात्मक क्षमताओं को नियंत्रित करना महत्वपूर्ण है। जब कोई व्यक्ति दुखी होता है, तो इन न्यूरोट्रांसमीटर के स्तर असंतुलित हो जाते हैं, जिससे मस्तिष्क की संरचना बदल जाती है। साथ ही, प्रभावित क्षेत्रों में कुछ जीन भी सक्रिय हो सकते हैं, जो प्रोटीन बाइंडिंग पर असर डालते हैं।