खारकीव की बर्बादी की कहानी, वहां से स्वदेश लौटी स्वाति की जुबानी, पढ़ें आगे

यूक्रेन से वापस अपने देश भारत लौटी स्वाति सेक्टर-14 करनाल में सुरक्षित अपने घर पहुंच चुकी हैं। स्वाति यूक्रेन के खारकीव में पिछले 5 साल से थी और इन 5 सालों में उन्होंने खारकीव शहर का विकास होते देखा और पिछले 10 दिनों में फिर से उस शहर की पूरी तरीके से बर्बादी भी देखी। इस दौरान दहशत और तबाही का मंजर उन्होंने अपनी आंखों से देखा। खारकीव शहर यूक्रेन के साथ-साथ स्वाति का घर भी था जो आज बर्बादी के कगार पर पहुंच चुका है और स्वाति को खारकीव किस बर्बादी पर आज रोना आ रहा है।
स्वाति ने मीडिया से बातचीत के दौरान बताया कि नाइजीरियन ने उन लोगों पर गन तान दी थी उनका कहना था कि केवल उन लोगों को ही निकलने दिया जाएगा बाकी कोई नहीं जाएगा इसके बाद सभी भारतीयों ने वेस्टर्न जुडिशल काउंसिल से बात की इसका जवाब देते हुए उन्होंने यह बताया कि केवल दो रास्तों से ही निकला जा सकता है पहला है ट्रेन दूसरा बस। हालांकि उन्होंने यह भी बताया कि कल बस सुरक्षित निकली थी जबकि उस से 1 दिन पहले एक बस में ब्लास्ट हुआ था हम बहुत ज्यादा रिस्क लेकर 40 किलोमीटर दूर बॉर्डर पहुंचे थे।
स्वाति ने आगे बताया कि वह खारकीव मे 5 साल से रह रही थी और खारकीव उनके लिए अपने घर जैसे ही थी लेकिन युद्ध के दौरान उन्होंने खारकीव को पूरा तहस-नहस होते देखा है और 24 को पहले हमले के साथ यही कहा जा रहा था कि शाम को खारकीव पर उस कब जाकर लेकर लेकर 11 दिनों की जंग के बाद भी रूस यूक्रेन के खारकीव शहर पर कब्जा नहीं कर पाया। उन्होंने यह भी बताया कि हम लगातार ब्लास्ट की आवाज सुन रहे थे, हमें काफी डर भी लग रहा था और इसी बीच कई लोगों को मैं हौसला भी देखने को मिला।

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उन्होंने बताया कि 24 को हमारी फ्लाइट थी जिसके लिए हम खारकीव से निकल गए थे लेकिन सुबह 5:00 बजे हमारे पास कॉल आया कि युद्ध शुरू हो गया है और 6:00 बजे फ्लाइट कैंसिल हो गई है जब एयरपोर्ट जाकर देखा तो वहां पर उसने कब्जा किया हुआ था और मिलिट्री होने वहां से वापस भेज रही थी हममें से कुछ एंबेसी की तरफ तो कुछ इंडियन हॉस्टल की तरफ निकल गए।

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