Tilkut Chauth 2025: जनवरी में तिलकुटा चौथ कब है? जानें सही दिनांक, पूजा का समय और सूर्योदय का समय

Tilkut Chauth 2025: पंचांग के अनुसार, हिंदू धर्म में 17 जनवरी 2025 को सकट चौथ है, जिस दिन माताएं हर साल अपने बच्चों की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। यह व्रत माघ महीने की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है।

Tilkut Chauth 2025: सनातन धर्म में जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली के लिए व्रत और उपवास करना बहुत शुभ माना जाता है। महिलाएं हर साल माघ कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मातासकट चौथ का व्रत रखती हैं। इसे सकट चौथ भी कहते हैं। दृक पंचांग के अनुसार, मकर संक्रांति 17 जनवरी 2025 को मनाई जाएगी। माताएं अपने बच्चे की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए यह व्रत रखती हैं और प्रथम पूजनीय देवता गणेशजी की पूजा करती हैं। तिलकुट बनाकर गणेशजी को चढ़ाया जाता है। इस दिन चंद्रदेव की पूजा और अर्घ्य भी की जाती है। इसके बिना कोई भी व्रत या पूजन पूरा नहीं होता। सकट चौथ का व्रत रखने से जीवन के सारे दुख-कष्ट दूर होते हैं और मनचाहे परिणाम मिलते हैं। आइए जानें सकट चौथ की सही तिथि, शुभ मुहूर्त पूजाविधि और सूर्योदय का समय..।

सकट चौथ कब है?

दृक पंचांग के अनुसार, माघ महीने की चतुर्थी तिथि 17 जनवरी 2025 को 04 बजकर 06 मिनट पर शुरू होगी और 18 जनवरी 2025 को 05 बजकर 30 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में, शुक्रवार, 17 जनवरी 2025 को सकट चौथ मनाया जाएगा। सकट चौथ के दिन सौभाग्य और सुंदरता का मिश्रण होगा। इस दौरान धर्म-कर्म के कार्य शुभ फलदायी माने गए हैं।

सूर्योदय के समय: सकट चौथ पर रात 09 बजकर 09 मिनट चांद निकलता है। चांद अलग-अलग स्थानों पर निकलने के समय में कुछ बदलाव हो सकता है।

सकट चौथ 2024: पूजा प्रक्रिया

सकट चौथ की सुबह जल्दी उठो। स्नान करने के बाद स्वच्छ कपड़े पहनें। घर का मंदिर साफ करें। गणेशजी और अन्य सभी देवताओं की पूजा करें और आरती करें। इसके बाद पूरे दिन निर्जला रहना चाहिए। इस दिन तिल और गुड़ से बनाया गया लड्डू गणेशजी को चढ़ाया जाता है। तिल-गुड़ के लड्डू और अन्य भोजन तैयार करें। शाम को गणेश पूजा करना शुरू करें। एक छोटी चौकी पर लाल रंग का कपड़ा डालें। गणेशजी की प्रतिमा उस पर रखें। गणेशजी को पीला कपड़ा देकर उनका अभिषेक करें। इसके बाद गणेशजी की प्रतिमा पर सभी पूजा सामग्री (लाल फूल, रोली, मौली, हल्दी, दूर्वा, चंदन, धूप-दीप) डालें। गणेशजी को सिंदूर का तिलक लगाएं। तिल-गुड़ के लड्डू सहित गणेशजी को भोग लगाएं। गणेशजी को नमस्कार करते हुए मंत्र ‘ऊँ गं गणपतये नमः’ का जाप करें। गणेश चालीसा पढ़ें। श्रीगणेश तिलकुटा चौथ की कथा का पाठ करें। चंद्रोदय के बाद चंद्रमा को जल अर्घ्य दें। परिवार के सदस्यों में प्रसाद वितरण करें और स्वंय भी प्रसाद ग्रहण करके व्रत खोलें।

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