उज्जैन अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव 2025 में CM मोहन यादव ने जीवन संतुलन पर जोर दिया, और कहा कि हर स्कूल के बच्चे के बैग में भगवद गीता होनी चाहिए, ताकि नैतिक और आध्यात्मिक शिक्षा मिल सके।
अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव: मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने आज उज्जैन के दशहरा मैदान में आयोजित अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव का शुभारंभ किया। इस अवसर पर उन्होंने उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए कहा कि गीता केवल एक धर्मग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन को संतुलित रखने और कर्म, भक्ति एवं ज्ञान के मार्ग पर चलने की शिक्षा देने वाला अनमोल संदेश है।
हर बच्चे के बैग में हो गीता:
सीएम यादव ने कहा, “भक्ति योग, ज्ञान योग और कर्म योग का सार गीता में है। हर स्कूल के बस्ते में और हर बच्चे के साथ गीता होनी चाहिए। यह जीवन को संतुलित करने और कर्मों व आत्मा के बीच सामंजस्य स्थापित करने का मार्ग दिखाती है।” उन्होंने यह भी बताया कि गीता हमें व्यावहारिक ज्ञान देती है, जो किसी अन्य ग्रंथ में नहीं मिलता।
गीता महोत्सव में बच्चों और साधु-संतों की सहभागिता:
कार्यक्रम में साधु-संतों के साथ-साथ बच्चों और बुजुर्गों ने भी भाग लिया और एक साथ गीता पाठ किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज प्रदेश को गीता भवन की सौगात भी दी जाएगी। उन्होंने आगे कहा कि गीता हमारा पवित्र ग्रंथ है और इसमें जीवन का हर संदेश निहित है।
धर्मग्रंथ में एकता और प्रेम का संदेश:
डॉ. यादव ने कहा कि भगवान श्री कृष्ण ने 5,000 साल पहले सांदीपनि आश्रम में शिक्षा ग्रहण करते समय अमीर-गरीब सबको समान अवसर दिए। उन्होंने एकता, प्रेम और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी। उन्होंने बताया कि कष्टों में भी मुस्कुराना और कर्म करते रहना गीता का सबसे महत्वपूर्ण संदेश है।
शिक्षा और धर्म की प्राथमिकता:
मुख्यमंत्री ने कहा कि कंस का वध करने के बाद शिक्षा और धर्म को महत्व देना बच्चों और युवाओं के लिए सीख है। भगवान श्री कृष्ण ने कर्म, धर्म और मानवता की स्थापना के लिए अपना जीवन समर्पित किया और यही सिखाता है कि जीवन में सत्कर्म और धर्म के मार्ग पर चलना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
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