UP Assembly Election 2022: क्‍या जाट लैंड ने ले लिया बीजेपी से किसान आंदोलन का बदला, 2017 के मुकाबले 5 फीसदी कम पड़ा वोट

UP Assembly Election 2022: यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के पहले चरण का मतदान हो चुका है। चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार पश्‍चि‍मी उत्‍तर प्रदेश के इस जाट लैंड में करीब 59 फीसदी मतदान पड़ा है। ताज्‍जुब की बात तो ये है कि 2012 और 2017 के विधानसभा चुनावों में इस जाट लैंड पर 60 फीसदी ज्‍यादा मतदान हुआ था। अब सवाल यह है क्‍या इस जाट लैंड ने किसान आंदोलन का बदला बीजेपी से ले लिया है। क्‍या वाकई किसान और शहरी लोग बीजेपी सरकार से आज‍िज आ चुके हैं। क्‍योंकि इस इलाके में पि‍छले चुनाव के मुकाबले करीब 5 फीसदी कम मतदान पड़ा है। जोकि एक बड़ा अंतर कहा जा सकता है।

2017 के मुकाबले 5 फीसदी कम पड़ा वोट
पश्चिमी यूपी के इस इलाके में 2017 के चुनाव में पहले चरण में ही मतदान हुआ था। उस साल इस जाट लैंड में मतदान फीसदी 64 फीसदी तक टाप गया था। बीजेपी की लहर, पीएम नरेंद्र मोदी का जादू, उसके बाद सीएम फेस के रूप में योगी आदित्‍यनाथ जैसा कट्टर हिंदुवादी चेहरे ने बीजेपी को 300 से ज्‍यादा सीटें दिलाई और इस इलाके में 50 से ज्‍यादा सीटों पर कब्‍जा जमाकर सभी पार्टियों को ध्‍वस्‍त कर दिया था, लेकिन किसान बिल के बाद शुरू हुए आंदोलन और उसके बाद बजट में भी किसानों को कुछ खास तवज्‍जों ना देना। करीब 59 फीसदी मतदान इस बात की ओर संकेत है कि बीजेपी इस बार पश्‍च‍िमी उत्‍तर प्रदेश में थोड़ी पिछड़ती हुई दिखाई दे सकती है।

2012 में 62 फीसदी तक पड़े थे वोट
वहीं बात साल 2012 के चुनावों की करें तो इस जाट में चुनाव का फेज सबसे आख‍िरी था। यानी 7वें चरण तमें मतदान होते थे। उस समय  इस राज्‍य की राजनीति और लोगों के वोट करने तरीका और सोच थोड़ा अलग था। 6 चरणों के मतदान के बाद यहां के लोग डिसाइड करते थे कि क‍िस ओर जाना है। वहीं तब तक पॉलिटिकल पार्टी और नेता की हवा का अंदाजा हो जाता था। 2012 में सपा की पश्‍च‍िमी यूपी में बेहतर प्रदर्शन का यही कारण था। 7वें चरण में मतदान होने से पश्‍चि‍मी यूपी मुस्लिम, ओबीसी और जाट बाहुल्‍य इलाकों में सपा और अख‍िलेश की धूम मच गई थी। जिसकी वजह से 62 फीसदी तक मतदान हो गया था।

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