उत्तर प्रदेश ने 37,000 करोड़ रुपये के रेवेन्यू सरप्लस के साथ सीएजी रिपोर्ट में देश का नंबर वन स्थान हासिल किया। योगी सरकार के नेतृत्व में यूपी ने गुजरात सहित अन्य राज्यों को पीछे छोड़ते हुए आर्थिक विकास में नया कीर्तिमान स्थापित किया है।
उत्तर प्रदेश ने आर्थिक मोर्चे पर बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए सीएजी (महालेखाकार) की रिपोर्ट में रेवेन्यू सरप्लस वाले राज्यों की सूची में पहला स्थान हासिल किया है। वित्त वर्ष 2023-24 में ₹37,000 करोड़ के राजस्व अधिशेष के साथ यूपी ने गुजरात (₹19,856 करोड़) सहित सभी बड़े राज्यों को पीछे छोड़ दिया है। यह सफलता मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में लागू नीतियों का परिणाम है, जिसने प्रदेश को सतत विकास की राह पर अग्रणी बना दिया है।
दोगुनी रफ्तार से बढ़ रहा है यूपी का विकास
सीएजी रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तर प्रदेश की टैक्स कलेक्शन और बजट दोनों में पिछले आठ वर्षों में जबरदस्त वृद्धि हुई है। वर्ष 2017-18 में ₹95,000 करोड़ से बढ़कर 2024-25 में ₹2,25,000 करोड़ टैक्स कलेक्शन पहुंच गया है। वहीं, राज्य का बजट ₹3.84 लाख करोड़ से बढ़कर ₹8.08 लाख करोड़ हो चुका है। प्रदेश का सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) भी ₹13.6 लाख करोड़ से बढ़कर 2025-26 में ₹30 लाख करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है।
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बीमारू से विकास की मिसाल बनी उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश कभी पिछड़ेपन और आर्थिक तंगी का पर्याय माना जाता था, लेकिन अब यह प्रदेश देश के आर्थिक मानचित्र पर नई ऊंचाइयों पर है। सीएजी की रिपोर्ट ने इसे पूरी तरह साबित कर दिया है कि योगी सरकार की नीतियों ने प्रदेश को विकास के पथ पर डाला है। यह उपलब्धि राजनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि सत्तापक्ष इसे विपक्ष पर बड़ा प्रहार करने के लिए इस्तेमाल कर सकता है।
भाजपा शासित अन्य राज्यों का आर्थिक प्रदर्शन
सीएजी की रिपोर्ट में भाजपा शासित कई अन्य राज्यों का भी उल्लेख है जो राजस्व अधिशेष वाले हैं। गुजरात, ओडिशा, झारखंड, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, केरल, मध्य प्रदेश और गोवा जैसे राज्य भी आर्थिक तौर पर मजबूत स्थिति में हैं। पूर्वोत्तर के अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मिजोरम, नागालैंड, त्रिपुरा और सिक्किम भी रेवेन्यू सरप्लस वाले राज्यों की सूची में शामिल हैं।
राजस्व घाटे से जूझ रहे राज्य
हालांकि, देश के 12 राज्य अभी भी राजस्व घाटे का सामना कर रहे हैं। इनमें आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, पंजाब, हरियाणा, असम, बिहार, हिमाचल प्रदेश, केरल, महाराष्ट्र और मेघालय शामिल हैं। ये राज्य आर्थिक सुधारों के लिए अतिरिक्त प्रयासों की आवश्यकता रखते हैं।
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