Vasundhara Raje: वसुंधरा ने कहा कि “वफा का वह दौर अलग था, आज तो लोग उसी की अंगुली काटते हैं जिससे वह चलना सीख जाता है…” इसका संकेत किस ओर है?

Vasundhara Raje: अब वसुंधरा राजे के मन में लोकसभा चुनाव के दौरान जो कसक थी, वह धीरे-धीरे बयानों के माध्यम से सामने आ रही है। उदयपुर में एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि वफा का वह दौर अलग था। उस समय, लोग किसी के किए हुए को मानते थे, लेकिन आज, लोग उसी अंगुली को पहले काटने की कोशिश करते हैं जिससे वह चलना सीख जाता है।

Vasundhara Raje: भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने राजस्थान के उदयपुर में एक ऐसा बयान दिया, जो सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है। वसुंधरा राजे ने सुंदर सिंह भंडारी चैरिटेबल ट्रस्ट की ओर से आयोजित विशिष्ट जन सम्मान समारोह और व्याख्यान माला कार्यक्रम में भाषण दिया। उस समय, उसने कहा कि सुंदर सिंह भंडारी ने चुन-चुनकर लोगों को भाजपा में शामिल किया। सुंदर सिंह भंडारी ने एक वृक्ष को वृक्ष बनाया। उन्होंने संगठन को मजबूत किया। कार्यकर्ताओं को ऊंचा उठाया।

वसुंधरा ने इशारों में किसे सुना गईं ?

उनका कहना था कि भंडारी जी ने राजस्थान में भैरोंसिंह शेखावत सहित कई नेताओं को प्रेरित किया था, लेकिन वफा का वह दौर अलग था। उस समय, लोग किसी के किए हुए को मानते थे, लेकिन आज, लोग उसी अंगुली को पहले काटने की कोशिश करते हैं जिससे वह चलना सीख जाता है।

बयानों से चुनाव की कसक

वसुंधरा राजे के इस बयान के बाद अब कई राजनीतिक अर्थ निकाले जा रहे हैं। माना जाता है कि राजस्थान विधानसभा और लोकसभा चुनावों के दौरान वसुंधरा राजे और पार्टी नेतृत्व के बीच तल्खी देखने को मिली है, उसकी जड़ें खुलने लगी हैं। चुनाव के दौरान मन में जो कसक थी, अब बयानों के माध्यम से प्रकट हो रही है। कार्यक्रम में असम के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया भी उपस्थित थे। राजे ने कहा कि गुलाबचंद कटारिया ने चुन-चुनकर जनता को भाजपा में शामिल किया है। अब कटारिया असम के महामहिम हैं, लेकिन वह दूर रहकर भी हमारी देखभाल करता है।

पार्टी नेतृत्व से मतभेद की सूचना

राजस्थान विधानसभा चुनाव के दौरान वसुंधरा राजे और गुलाबचंद कटारिया के बीच टिकट बंटवारे को लेकर भी विवाद हुआ था। साथ ही, चुनावों के बाद पार्टी नेता ने राजे को नजरअंदाज करके भजनलाल शर्मा को राज्य का मुख्यमंत्री पद दिया था। नतीजतन, वसुंधरा राजे और भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के बीच मतभेद की खबरें दबे स्वर में ही चर्चा में रहती हैं।

Exit mobile version