Ebrahim Raisi: भारत को ईरान का साथ चाहिए क्यों: चाबहार पोर्ट, रईसी की मौत पर राष्ट्रीय शोक, उपराष्ट्रपति का दौरा?

Ebrahim Raisi (इब्राहिम रईसी) News:

Ebrahim Raisi (इब्राहिम रईसी) ईरान के राष्ट्रपति के अंतिम संस्कार समारोह शुरू हो गया है। राष्ट्रपति Ebrahim Raisi जो हेलिकॉप्टर दुर्घटना में मारा गया था, 23 मई को उत्तर-पूर्वी शहर मशहद में सुपुर्द-ए-खाक होगा। यह उपराष्ट्रपति मोहसिन मंसूरी ने बताया। भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ उनके शोक कार्यक्रम में भाग लेंगे। भारत ईरान को बहुत महत्व देता है। यह इसी से समझा जा सकता है कि भारत ने Ebrahim Raisi की मौत पर एक दिवसीय राष्ट्रीय शोक घोषित किया है, और उपराष्ट्रपति धनखड़ भी ईरान जा रहे हैं।

ईरान और भारत के बीच दशकों पुरानी दोस्ती है। लेकिन पिछले कुछ समय में, दोनों देशों की मित्रता बढ़ी जब ईरान ने भारत को दस साल के लिए अपने चाबहार पोर्ट का अधिकार दे दिया। बीते सप्ताह, भारत ने ईरान के साथ चाबहार बंदरगाह के संचालन के लिए दस साल का समझौता साइन किया। भारत के लिए चाबहार पोर्ट महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे अफगानिस्तान और मध्य एशिया तक सीधी पहुंच होगी। भारत पहले मध्य एशिया और अफगानिस्तान में व्यापार करने के लिए पाकिस्तान पर निर्भर था। पाकिस्तान और चीन ने चाबहार पोर्ट को नियंत्रित करने में भारत को असफल रहा। दोनों ने ईरान पर बहुत दबाव डाला, लेकिन रईसी उनके दबाव में जरा भी न झूके|

भारत को ईरान का साथ चाहिए क्यों

कुल मिलाकर, रईसी ही भारत को चाबहार बंदरगाह देने के असली कारण रहे थे। रईसी ने भारत के लिए चाबहार पोर्ट खोला। रईसी को चीन की ओर अधिक झुकाव था और उनकी काफी कट्टर छवि थी। लेकिन उन्होंने अपने कार्यों से इसे झूठ बोल दिया। ईरान में हसन रूहानी के बाद Ebrahim Raisi के राष्ट्रपति बनने पर काफी उहापोह हुआ। माना जाता था कि भारत और ईरान के रिश्ते रईसी के कार्यकाल में बिगड़ेंगे।लेकिन मध्य ईस्ट से लेकर यूक्रेन-रूस और हमास-इजरायल युद्धों की चिंगारियों के बीच भारत और ईरान ने विनम्रता दिखाई और अपने संबंधों को खटास नहीं आने दिया। ऐसे कई अवसर हुए, जब ईरान ने कश्मीर मुद्दे पर भारत का संतुलित समर्थन किया।

भारतीय उपराष्ट्रपति ईरान क्यों जा रहे हैं

अब सवाल उठता है कि Ebrahim Raisi की मौत पर भारत में राष्ट्रीय शोक क्यों है और  उपराष्ट्रपति क्यों जा रहे ईरान? वास्तव में, भारत ने रईसी के कार्यकाल में भी ईरान के साथ अच्छे संबंध बनाए रखे हैं। इसका एक बड़ा उदाहरण चाबहार पोर्ट है। भारत चाहता है कि ईरान के साथ उसके संबंध, रईसी के जाने के बाद भी पूर्ववत रहे या बेहतर रहे। भारत को ईरान के कठिन समय में खड़े रहना महत्वपूर्ण है क्योंकि चाबहार पोर्ट से भारत के कई हित जुड़े हुए हैं। यही कारण है कि प्रधानमंत्री मोदी ने रईसी की मौत के बाद अपनी पहली प्रतिक्रिया में कहा कि भारत इस दुख की घड़ी में ईरान के साथ सहयोग करेगा। राष्ट्रीय शोक और उपराष्ट्रपति के दौरे से भारत ने दिखाया कि वह ईरान के हर कठिन समय में उसके साथ है।

चाबहार पोर्ट बहुत महत्वपूर्ण

भारत मिडिल ईस्ट में ईरान को बहुत महत्व देता है। चाबहार पोर्ट इसकी सबसे बड़ी वजह है। चाबहार पोर्ट के कारण भारत को ईरान का साथ हर समय चाहिए। भारत को पाकिस्तान, चीन और पाकिस्तान को तुरंत जवाब देने की क्षमता इसी पोर्ट से मिलती है। अब चाबहार पोर्ट पर नियंत्रण होने से भारत को पाकिस्तान से कोई व्यापार नहीं करना होगा। भारत की यह डील रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि चाबहार पोर्ट से भारत को मध्य एशिया तक एक सरल और सीधा रास्ता मिलेगा। इससे भारत के मध्य एशिया, अफगानिस्तान और यूरेशिया के साथ संबंधों में सुधार होगा। यह पहली बार है जब भारत किसी विदेशी बंदरगाह का प्रबंधन अपने हाथ में ल रहा है|

चाबहार पोर्ट डील  पर कोई असर न पड़े

भारत को चाबहार पोर्ट की अधिक आवश्यकता है क्योंकि चीन ने पाकिस्तान में ग्वादर पोर्ट बनाया है। Ebrahim Raisi की मौत के बाद भी भारत ईरान से बेहतर संबंधों की उम्मीद करेगा। यह भी सही है कि ईरान में सर्वोच्च नेतृत्व की अनुमति के बिना कुछ भी संभव नहीं है। ईरान का अगला राष्ट्रपति भी उनके प्रति निष्ठावान होगा। भारत इसलिए अपने इन कदमों से ईरान को बताने की कोशिश कर रहा है कि वह उसके साथ खड़ा है| भारत ने इन कदमों को उठाया ताकि Ebrahim Raisi की मौत के बाद चाबहार पोर्ट डील पर कोई विपरीत असर न पड़े। ईरान पहले की तरह भारत का साथ देता रहेगा।

Exit mobile version