धर्मदिल्ली

जी20 सम्मेलन स्थल के बाहर लगी विशाल नटराज मूर्ति की क्यों हो रही है चर्चा?

जी20 सम्मेलन स्थल के बाहर लगी विशाल नटराज मूर्ति की चर्चा

विश्व के सबसे प्रमुख और महत्वपूर्ण आर्थिक मंचों में से एक, जी20 (G20) सम्मेलन, बिना शक ही एक ऐतिहासिक घटना है जिसमें विभिन्न देशों के नेता और निर्णयकर्ता एक साथ आकर्षित होते हैं और वैश्विक आर्थिक मुद्दों पर चर्चा करते हैं। इस साल, जी20 सम्मेलन का आयोजन एक महत्वपूर्ण और अद्वितीय तरीके से हुआ है, क्योंकि यह अगले दिनों में भारत के दिल्ली में हो रहा है। इस सम्मेलन के महत्व को और भी बढ़ा देने के लिए, जी20 सम्मेलन स्थल के बाहर एक विशाल नटराज मूर्ति की स्थापना की गई है, जिसके बारे में चर्चा हो रही है।

इस नई नटराज मूर्ति का उद्घाटन, जी20 सम्मेलन के पहले दिन, भारतीय संस्कृति के एक महत्वपूर्ण प्रतीक के रूप में किया गया है। यह मूर्ति एक शिवलिंग के चारों ओर जगह पाने वाले एक छक्के के रूप में है, और उसके शिव के तंतु और तांत्रिक गुणों को प्रकट करते हैं। इसके साथ ही, नटराज के रूप में भगवान शिव को दर्शाने का यह प्रतीक महाशिवरात्रि के अवसर पर और भी महत्वपूर्ण होता है।

इस मूर्ति के स्थापना के पीछे कई कारण हैं, जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:

1. संस्कृति और परंपरा का प्रतीक: नटराज मूर्ति भारतीय संस्कृति और परंपरा का महत्वपूर्ण प्रतीक है। इसके माध्यम से भारत अपनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर को दुनिया के सामने प्रस्तुत कर रहा है।

2. आध्यात्मिकता का प्रतीक:  नटराज मूर्ति भगवान शिव के आध्यात्मिक महत्व का प्रतीक है। यह दुनियाभर के लोगों को आध्यात्मिक तथा मानवता के मूल्यों की ओर मोड़ने का संदेश देता है।

3. वैश्विक धार्मिक सहयोग:  इस मूर्ति के द्वारा, भारत वैश्विक धर्मिक सहयोग की ओर एक सकारात्मक कदम बढ़ा रहा है। यह दिखाता है कि भारत अपने धर्मिक विविधता के बावजूद, सभी धर्मों के साथ एकमत है।

4. वैश्विक धार्मिक सहयोग: इस मूर्ति के द्वारा, भारत वैश्विक धर्मिक सहयोग की ओर एक सकारात्मक कदम बढ़ा रहा है। यह दिखाता है कि भारत अपने धर्मिक विविधता के बावजूद, सभी धर्मों के साथ एकमत है।

जी20 सम्मेलन के इस मूक्ति के माध्यम से, भारत ने वैश्विक मंच पर अपने संस्कृतिक धरोहर का प्रदर्शन किया है और एक और उच्च पहaचान हासिल की है। यह निश्चित रूप से जी20 सम्मेलन के दौरान चर्चा के पुराने प्राथमिक विषयों में से एक है और भारत के सांस्कृतिक धरोहर को आगे बढ़ाने का एक उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करता है। इसके साथ ही, यह भारतीय संस्कृति के महत्व को और भी प्रमोट करेगा और वैश्विक संवाद में योगदान करेगा।

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