Nirjala ekadashi 2025 Kab Hai: निर्जला एकादशी कब है और इस व्रत का महत्व और तिथि जानें

Nirjala ekadashi 2025 Kab Hai: ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को यह व्रत किया जाता है। एक तरफ जहां एकादशी में अन्न का संयम करना पड़ता है, वहीं निर्जला एकादशी में जल का संयम करना पड़ता है।
Nirjala ekadashi 2025 Kab Hai: सबसे बड़ी एकादशी को निर्जला एकादशी कहा जाता है। यह कहा जाता है कि इस दिन व्रत रखने से सभी एकादशी का फल मिलता है। निर्जला एकादशी इस वर्ष 6 जून को मनाई जाएगी। निर्जला एकादशी का व्रत भी मुश्किल है। इस दिन व्रत रखने का संकल्प करके पूरे दिन निर्जला रहना होता है और अगले दिन दान करके और ब्रह्मण को खाना खिलाकर पारण किया जाता है। ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को यह व्रत किया जाता है। एक तरफ जहां एकादशी में अन्न का संयम करना पड़ता है, वहीं निर्जला एकादशी में जल का संयम करना पड़ता है। इस दिन निर्जला रहकर दान पुण्य करने बहुत अधिक महत्व है। इस दिन जो व्रत रखता है और दान पुण्य करता है, उसे कई गुना अधिक फल मिलता है। इस व्रत में नियमों का भी पालन करना पड़ता है, तभी व्रत सफल माना जाता है।
इस व्रत की कहानी भीम से जुड़ी है।
आपको बता दें कि इस व्रत का पौराणिक महत्व भी है। भीम ने व्यासजी से कहा कि मैं भूखा नहीं रह सकता, इसलिए मुझे कोई व्रत बताओ, जिसे करने से मुझे स्वयं सद्गति मिलेगी। तब व्यासजी ने कहा कि एक निर्जला करने से वर्ष भर की पूरी एकादशी नहीं हो सकती। इस दिन व्रत रखना पूरी एकादशी का फल देगा।इसलिए इस दिन को भीमसेनी एकादशी भी कहते हैं। इस व्रत में स्नान और दान बहुत महत्वपूर्ण हैं। कहा जाता है कि इस व्रत को रखने वाला स्वर्ग जाता है।
निर्जला एकादशी व्रत की तिथि
ज्येष्ठ माह का शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की 6 जून 2025 को रात 02 बजकर 15 मिनट पर शुरू होगी जिसका समापन अगले दिन यानी 7 जून 2025 को सुबह 4 बजकर 47 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के कारण यह व्रत 6 जून को रखा जाएगा। एकादशी का पारण द्वादशी के दिन यानी 7 जून 2025 को किया जाएगा।