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रोहतक PGI पर आयोग ने 1.28 लाख रुपये का जुर्माना लगाया क्योंकि महिला को डिलीवरी के समय संक्रमण हुआ था. जानें पूरा मामला।

रोहतक PGI

Rohtak में PGIMS: PGIIMS को निजी अस्पताल पर खर्च हुए 68 हजार 263 रुपये का 9 प्रतिशत ब्याज, 50 हजार रुपये मुआवजा के तौर पर और 10 हजार रुपये कानूनी व्यय के तौर पर देना होगा।

हाइलाइट्स की डिलीवरी के समय महिला का संक्रमण संक्रमण सेवाओं में कमी से हुआ था, इसलिए उपभोक्ता आयोग ने PGI को जिम्मेदार ठहराया कि वह महिला के इलाज पर 68 हजार 263 रुपये देने के लिए जिम्मेदार है, साथ ही 50 हजार मुआवजा देने के लिए और 10 हजार कानूनी खर्च देने के लिए।

दीपक खोखर और रोहतक: PGIIMS रोहतक को जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने डिलीवरी के समय एक महिला को हुए संक्रमण का दोषी ठहराया है। हालाँकि, वार्ड में महिला चिकित्सकों की कमी नहीं थी। इस महिला को सफाई और सेवाओं की कमी से संक्रमण हुआ था। महिला बाद में शहर के एक निजी अस्पताल में भर्ती हुई।

ऐसे में, आयोग के अध्यक्ष नागेंद्र कादियान ने पीजीआईएमएएस के चिकित्सा अधीक्षक को 9 प्रतिशत ब्याज के साथ इलाज पर खर्च हुए 68 हजार 263 रुपये देने का आदेश दिया है। साथ ही पीजीआईएमएस पीड़ित महिला को पच्चीस हजार रुपये मुआवजा और दसवीं हजार रुपये कानूनी खर्च देना होगा।

 

भरत कॉलोनी रोहतक की सरिता कौशिक को 15 जुलाई 2017 को पीजीआईएमएस के वार्ड नंबर 2 की यूनिट नंबर 4 में प्रसव पीड़ा के कारण दाखिल डिलीवरी के लिए भर्ती कराया गया था। इस महिला ने एक बच्ची को सामान्य डिलीवरी से जन्म दिया। लेकिन सुविधाओं और साफ सफाई की कमी से महिला को गुप्तांग में संक्रमण हुआ।

18 जुलाई को महिला को पीजीआईएमएस से छुट्टी देकर उसके परिजन घर ले गए। लेकिन घर पहुंचने पर महिला की स्थिति कुछ खराब हो गई। 18 जुलाई को परिजनों ने उसे पास के Sunny Global Hospital ले गया। वहां पर डॉक्टरों ने दवाई देने के बाद 21 जुलाई को आने के लिए कहा। 21 जुलाई को महिला को भर्ती कर लिया गया और यह महिला 29 जुलाई तक इस निजी अस्पताल में भर्ती रही। इलाज पर काफी राशि खर्च हुई।

उपभोक्ता आयोग को दी शिकायत
15 जुलाई 2018 को सरिता कौशिक ने जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग शिकायत दर्ज करा दी। जिसमें डिलवरी के दौरान लापरवाही के लिए पीजीआईएमएस के यूनिट नंबर 4 की एचओडी डा. मीनाक्षी चौहान, पीजीआईएमएस के चिकित्सा अधीक्षक व वार्ड नंबर 2 की महिला चिकित्सक डा. भोपाली दास को जिम्मेदार ठहराया। इस महिला का कहना था

कि डिलीवरी के दौरान पीजीआईएमएस में काफी लापरवाही बरती गई। एचओडी डा. मीनाक्षी चौहान ने खुद डिलीवरी कराने की बजाय जिम्मेदारी पीजी स्टूडेंट्स को सौंप दी। डा. भोपाली दास ने भी अपनी ड्यूटी सही तरीके से नहीं की। सामान्य डिलीवरी के बावजूद उसके गुप्तांग से काफी खून बहा और दर्द हुआ। अच्छे तरीके से टांके नहीं लगाए गए।

4 लाख मुआवजे की मांग
18 जुलाई तक इलाज चला लेकिन कोई आराम नहीं हुआ। हालत दिन प्रतिदिन खराब हुई। पीजीआईएमएस से उसे जबरन छुट्टी भी दे दी गई। बाद में उसे सनफ्लैग ग्लोबल हॉस्पिटल में इलाज कराना पड़ा। जिस पर काफी राशि खर्च हुई। उसकी बच्ची को भी पीलिया हो गया था। उसे शारीरिक के साथ-साथ मानसिक तौर पर परेशानी हुई।

सरिता कौशिक ने 4 लाख रुपए मुआवजा और 50 हजार रुपये हर्जाने के तौर पर पीजीआईएएमस से मांग की।

पीजीआईएमस ने कही ये बात
उपभोक्ता आयोग ने पीजीआईएमएस के चिकित्सा अधीक्षक और महिला डॉक्टरों को नोटिस जारी किए। अपने जवाब में पीजीआईएमएस ने बताया कि सरिता कौशिक की डिलीवरी के लिए रेजीडेंट डॉक्टर्स को तैनात किया गया था। एचओडी डा. मीनाक्षी चौहान व डा. भोपाली दास की कोई गलती नहीं थी। लेबर रूम में तैनात महिला डॉक्टरों ने डिलीवरी कराई थी।

डिलीवरी के बाद गुप्तांत में थोड़ा बहुत रक्तस्राव सामान्य है। महिला को पीजीआईएमएस से जबरन छुट्टी नहीं दी गई।

डॉक्टरों की सलाह के बावजूद महिला और उसके परिजन पीजीआईएमएस से घर जाना चाहते थे। परिजनों ने इस बारे में सहमति दी थी। साथ ही पीजीआईएमएस से छुट्टी के बाद अगर महिला की हालत इतनी ही ज्यादा खराब थी तो उसे 18 जुलाई को ही निजी अस्पताल ने भर्ती क्यों नहीं किया।

नवजात बच्ची की देखरेख भी शिशु रोग विशेषज्ञ ने की थी और उसे भी बेहतर इलाज दिया गया था। डिलीवरी और उसके बाद महिला व उसके परिजनों ने किसी प्रकार की कोई शिकायत नहीं की थी।

 

साफ सफाई और सुविधाओं की कमी
उपभोक्ता आयोग के सामने निजी अस्पताल की महिला चिकित्सक डा. आशीलू डागर के भी बयान दर्ज हुए। उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष नागेंद्र कादियान और सदस्य तृप्ति पानू व विजेंद्र सिंह ने यह निष्कर्ष निकाला कि इस मामले में पीजीआईएमएस की महिला डॉक्टरों की तो कोई लापरवाही नहीं थी

लेकिन पीजीआईएमएस में साफ सफाई और सुविधाओं की कमी की वजह से सरिता कौशिक को गुप्तांग में संक्रमण हुआ। टॉयलेट में भी सफाई नहीं पाई गई।

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