Uttarakhand में 1 हजार पैरा मेडिकल और नर्सिंग सीटें बढ़ाई गईं, धामी सरकार ने मंजूरी दी
Uttarakhand में पैरा मेडिकल और नर्सिंग क्षेत्र में नौकरी के बढ़ते अवसरों से हेल्थ सेक्टर में पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों की संख्या में वृद्धि हुई है।
Uttarakhand News: पैरा मेडिकल और नर्सिंग कोर्स में छात्रों की बढ़ती दिलचस्पी को देखते हुए राज्य सरकार ने इस सत्र में एक हजार नई सीटों को मंजूरी दे दी है।
उत्तराखंड में पैरा मेडिकल और नर्सिंग क्षेत्र में नौकरी के बढ़ते अवसरों से हेल्थ सेक्टर में पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों की संख्या में वृद्धि हुई है। पैरा मेडिकल और नर्सिंग कोर्स में छात्रों की बढ़ती दिलचस्पी को देखते हुए राज्य सरकार ने इस सत्र में एक हजार नई सीटों को मंजूरी दे दी है।
हाल ही में राज्य में कई नए निजी और सरकारी मेडिकल कॉलेज खुले हैं। और भी नए अस्पताल खुल रहे हैं। इससे नर्सिंग, मेडिकल और पैरा मेडिकल में पढ़ाई करने वाले युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ रहे हैं। बीते एक साल में सरकारी क्षेत्र में ही करीब पांच हजार युवा नौकरी पा चुके हैं। ऐसे में युवा लोगों में नर्सिंग और पैरा मेडिकल कोर्स की रुचि बढ़ी है। इससे इस वर्ष प्राइवेट-सरकारी कॉलेजों में नर्सिंग और पैरा मेडिकल कोर्स करने वाले युवाओं की संख्या में वृद्धि हुई है। इसलिए पाठ्यक्रम चलाने वाले कॉलेजों ने सरकार से सीट बढ़ाने की मांग की। सरकार ने इस पर लगभग एक हजार नई सीटें जोड़ी हैं। इसमें पांच सौ नर्सिंग और पांच सौ पैरा मेडिकल सीटें हैं।
तीन मेडिकल कॉलेज प्रस्तावित: राज्य में प्रस्तावित कई मेडिकल कॉलेजों में दाखिले की मांग भी एक कारण है। काम पिथौरागढ़ और रुद्रपुर में चल रहा है। टीएचडीसी और सरकार के सहयोग से टिहरी में मेडिकल कॉलेज खोलने की योजना पर काम जारी है। साथ ही हल्द्वानी और हर्रावाला कैंसर रिसर्च इंस्टीट्यूट को स्वास्थ्य कर्मचारियों की आवश्यकता होगी। कुमाऊं में एम्स ऋषिकेश में बनने वाले सेटेलाइट सेंटर में भी नौकरी के नए अवसर पैदा होंगे।
स्वास्थ्य सचिव डॉ.आर राजेश कुमार ने कहा, ”स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर पैदा होने से इस क्षेत्र में युवाओं की दिलचस्पी तेजी से बढ़ रही है। इसे देखते हुए इस वर्ष नर्सिंग व पैरा मेडिकल के क्षेत्र में करीब एक हजार नई सीटों को मंजूरी दी है। इसमें कुछ की स्वीकृति नए कॉलेजों के लिए हैं जबकि कुछ सीटें पुराने कॉलेजों में बढ़ाई गई हैं।”