108 फीट की आदिगुरु शंकराचार्य की प्रतिमा का अनावरण: CM शिवराज और संतों ने परिक्रमा की; अद्वैत समाज का उद्घाटन जल्द ही

गुरुवार को आदिगुरु शंकराचार्य की प्रतिमा, जो ओंकार पर्वत पर स्थापित है, का अनावरण हुआ। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसका अनावरण स्वामी अवधेशानंद गिरी और अन्य संतों की मौजूदगी में किया। संतों और CM ने मूर्ति की पूजा की।

5 हजार साधु-संत प्रतिमा स्थल के आसपास ब्रह्मोत्सव में उपस्थित हैं। कुछ समय में अद्वैत समाज का उद्घाटन होगा। 2026 तक पूरा हो जाएगा।

108 फीट ऊंची यह तस्वीर एकता का प्रतीक है। यह ‘स्टैच्यू ऑफ वननेस’ कहलाता है। ये आदि शंकराचार्य की प्रतिमा बारह वर्षीय आचार्य शंकर को दिखाती है। इसी उम्र में वे वेदांत के प्रचार के लिए ओंकारेश्वर गए थे। 75 फीट ऊंचे प्लेटफॉर्म पर प्रतिमा 100 टन वजनी है। 88% कॉपर, 4% जिंक और 8% टिन से बना है। L&T, इसके 290 पैनल बनाने वाली कंपनी, जेटीक्यू चाइना से बनाया गया है। सभी 290 भागों को ओंकारेश्वर लाकर मिलाया गया है।

ओंकार पर्वत, जिसे मांधाता पर्वत भी कहा जाता है, 11.5 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला हुआ है। इसके मध्य में आदि गुरु शंकराचार्य की प्रतिमा लगाई गई है। यहां भी आचार्य शंकर अंतरराष्ट्रीय अद्वैत वेदांत संस्थान और अद्वैत लोक (शंकर संग्रहालय) की स्थापना की जा रही है।

108 फीट की आदि शंकराचार्य की ये प्रतिमा बारह साल के आचार्य शंकर को दिखाती है।
108 फीट की आदि शंकराचार्य की ये प्रतिमा बारह साल के आचार्य शंकर को दिखाती है।
अपडेट..।

हवन—पूजन के बाद केरल के पारंपरिक देवों का पूजन किया गया। आदिगुरु शंकराचार्य केरल में पैदा हुए थे।
CM ने अपनी पत्नी साधना सिंह के साथ चतुर्वेद पारायण महायज्ञ में भाग लिया। हवन पूजन में संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री उषा ठाकुर भी शामिल हुईं।
सुबह 11 बजे प्रधानमंत्री शिवराज सिंह चौहान कार्यक्रम स्थल पहुंचे। साथ में स्वामी अवधेशानंद जी गिरी महाराज, परमात्मानंद जी, स्वामी स्वरूपानंद जी और स्वामी तीर्थानंद जी हैं।
चित्र देखें..।

5 हजार साधु-संत प्रतिमा के अनावरण और ब्रह्मोत्सव में उपस्थित हैं।
5 हजार साधु-संत प्रतिमा के अनावरण और ब्रह्मोत्सव में उपस्थित हैं।
कलाकारों ने अनावरण कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत किया।
कलाकारों ने अनावरण कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत किया।
इन कलाकारों की वेशभूषा दक्षिणी भारत से प्रेरित है।
इन कलाकारों की वेशभूषा दक्षिणी भारत से प्रेरित है।
चतुर्वेद पारायण महायज्ञ में संतों ने वैदिक मंत्रोच्चार करके आहुतियां दीं।
चतुर्वेद पारायण महायज्ञ में संतों ने वैदिक मंत्रोच्चार करके आहुतियां दीं।
CM ने NHDC विश्राम गृह परिसर में आम का पौधा रोपा।
CM ने NHDC विश्राम गृह परिसर में आम का पौधा रोपा।
पूरी परियोजना पूरी होने पर अद्वैत लोग कुछ इस तरह दिखेंगे।
पूरी परियोजना पूरी होने पर अद्वैत लोग कुछ इस तरह दिखेंगे।
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ओंकारेश्वर में आदि शंकराचार्य ने गुरु दीक्षा प्राप्त की

शंकराचार्य का जन्म 508-9 ईसा पूर्व में केरल के कालड़ी गांव में हुआ था, और महासमाधि 477 ईसा पूर्व में हुई थी। पिता शिवगुरु और मां आर्याम्बा हैं। 32 वर्ष की छोटी आयु में ही ज्योतिष्पीठ बदरिकाश्रम, श्रृंगेरी पीठ, द्वारिका शारदा पीठ और पुरी गोवर्धन पीठ की स्थापना की थी। आज भी चारों पीठ बहुत प्रसिद्ध और पवित्र मानते हैं।

चार पीठों वाले संन्यासी को आसानी से “शंकराचार्य” कहा जाता है। चारों पीठों की स्थापना का सांस्कृतिक उद्देश्य उत्तर-दक्षिण और पूरब-पश्चिम को जोड़ना था। वास्तव में, केरल में जन्मे आदि शंकराचार्य का मध्यप्रदेश से क्या संबंध है? यहां क्लिक कर पूरी खबर पढ़ें

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