PM Shri Narendra Modi: भारत-मलेशिया व्यापक रणनीतिक भागीदारी पर संयुक्त वक्तव्य
PM Shri Narendra Modi:
PM Shri Narendra Modi: भारत के राजकीय दौरे लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के आमंत्रण को स्वीकार करते हुए मलेशिया के प्रधानमंत्री दातो सेरी अनवर इब्राहिम 20 अगस्त, 2024 को भारत आए। यह मलेशिया के प्रधानमंत्री की दक्षिण एशियाई क्षेत्र की पहली यात्रा थी। साथ ही यह दोनों प्रधानमंत्रियों की पहली बैठक थी, जिससे उन्हें बढ़े हुए रणनीतिक संबंधों का जायजा लेने का मौका मिला। उनके बीच व्यापक चर्चा हुई जिसमें तमाम ऐसे क्षेत्र शामिल थे जो भारत-मलेशिया संबंधों को बहुस्तरीय और बहुआयामी बनाते हैं।
प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम के साथ एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल भी था जिसमें विदेश मामलों के मंत्री दातो सेरी उतामा हाजी मोहम्मद बिन हाजी हसन, निवेश, व्यापार एवं उद्योग मंत्री तेंगकु दातुक सेरी जफरुल अब्दुल अजीज, पर्यटन, कला एवं संस्कृति मंत्री दातुक सेरी टिओंग किंग सिंग, डिजिटल मंत्री गोबिंद सिंह देव और मानव संसाधन मंत्री स्टीवन सिम शामिल थे।
प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम का राष्ट्रपति भवन में औपचारिक स्वागत किया गया और उन्होंने महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देने के लिए राजघाट का दौरा किया। उसके बाद दोनों प्रधानमंत्रियों के बीच द्विपक्षीय वार्ता हुई। वार्ता के बाद द्विपक्षीय दस्तावेजों के आदान-प्रदान के समय दोनों प्रधानमंत्री मौजूद रहे। प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम ने प्रधानमंत्री मोदी द्वारा आयोजित भोज में भाग लिया। प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम ने भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु से मुलाकात की। भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम से मुलाकात की। प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम ने इंडियन काउंसिल ऑफ वर्ल्ड अफेयर्स में भाषण भी दिया।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने माना कि 2015 में भारत और मलेशिया के बीच स्थापित इनहैंस्ड स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप ने द्विपक्षीय संबंधों को बहुआयामी बनाने में मदद की है। उन्होंने माना कि भारत और मलेशिया के बीच संबंध कई क्षेत्रों में विकसित एवं परिपक्व हुए हैं और इस गहरे जुड़ाव ने संबंधों को काफी व्यापक बनाया है। दोनों प्रधानमंत्रियों ने माना कि संबंधों को एक व्यापक रणनीतिक साझेदारी के रूप में सुदृढ़ करने के लिए मौजूदा समय बेहद अनुकूल है।
दोनों नेताओं ने भारत एवं मलेशिया और उसके लोगों के बीच गहरी मित्रता एवं सामाजिक-सांस्कृतिक संबंधों पर संतोष व्यक्त किया। दोनों देशों का साझा इतिहास और मलेशिया में जीवंत भारतीय प्रवासियों की मौजूदगी से यह सुनिश्चित होता है कि दोनों देश आर्थिक वृद्धि और विकास के क्षेत्र में भरोसेमंद साझेदार बने रहेंगे।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने द्विपक्षीय सहयोग के संपूर्ण दायरे पर चर्चा की जिसमें राजनीतिक, रक्षा एवं सुरक्षा सहयोग, आर्थिक एवं व्यापार, डिजिटल प्रौद्योगिकी, स्टार्टअप, फिनटेक, नवीकरणीय ऊर्जा सहित ऊर्जा, स्वास्थ्य सेवा, उच्च शिक्षा, संस्कृति, पर्यटन और लोगों के बीच संबंध शामिल थे।
दोनों नेताओं की उपस्थिति में श्रमिकों की भर्ती, रोजगार एवं प्रत्यावर्तन, आयुर्वेद एवं अन्य पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियां, डिजिटल प्रौद्योगिकी, संस्कृति, कला एवं विरासत, पर्यटन, लोक प्रशासन एवं शासन में सुधार, युवा एवं खेल और लाबुआन फाइनैंशियल सर्विसेज अथॉरिटी (एलएफएसए) एवं भारत के इंटरनेशनल फाइनैंशियल सर्विसेज सेंटर्स अथॉरिटी (आईएफएससीए) के बीच वित्तीय सेवा जैसे क्षेत्रों में सहयोग पर समझौता ज्ञापनों (एमओयू) का आदान-प्रदान हुआ।
मलेशिया ने वॉयस ऑफ द ग्लोबल साउथ समिट (वीओजीएसएस) की मेजबानी करने के लिए भारत की पहल की सराहना की। इससे एक ऐसा मंच उपलब्ध हुआ है जिसके जरिये ग्लोबल साउथ के देश आपस में विचार-विमर्श कर सकते हैं और अपनी चिंताओं, हितों एवं प्राथमिकताओं पर चर्चा करने के साथ-साथ विचारों एवं समाधानों का आदान-प्रदान कर सकते हैं। भारत ने वीओजीएसएस के सभी तीन संस्करणों में मलेशिया की भागीदारी की सराहना की।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने दोनों देशों के बीच लगातार उच्चस्तरीय यात्राओं के आयोजन पर संतोष व्यक्त किया। उन्होंने करीबी आपसी संपर्क के महत्व को स्वीकार किया और आपसी हित के द्विपक्षीय एवं बहुपक्षीय मुद्दों पर नियमित आदान-प्रदान एवं वार्ता आयोजित करने पर सहमति जताई। इसमें नियमित तौर पर जॉइंट कमीशन मीटिंग (जेसीएम) और फॉरेन ऑफिस कंसल्टेशंस का आयोजन शामिल हैं।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने के लिए दोनों देशों की संसदों के बीच बेहतर संपर्क और आदान-प्रदान को प्रोत्साहित किया।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने देश के विकास में युवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका को माना और इस उद्देश्य से दोनों देशों के युवाओं के बीच अधिक से अधिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने पर सहमति व्यक्त की।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने द्विपक्षीय व्यापार पर संतोष व्यक्त किया और स्वीकार किया कि व्यापार दोनों देशों की बढ़ी हुई रणनीतिक साझेदारी का एक महत्वपूर्ण आधार है। उन्होंने इस तथ्य का स्वागत किया कि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 19.5 अरब डॉलर के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया है। उन्होंने दोनों देशों के पारस्परिक लाभ के लिए द्विपक्षीय व्यापार को स्थायी तौर पर बढ़ाने के लिए दोनों देशों के उद्योग जगत को प्रोत्साहित किया। इस संदर्भ में उन्होंने उच्चस्तरीय सीईओ फोरम की सराहना की और 19 अगस्त 2024 को नई दिल्ली में आयोजित 9वीं बैठक की सराहना की।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने बढ़ते द्विपक्षीय निवेश का स्वागत किया और विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग एवं निवेश को प्रोत्साहित किया।
दोनों पक्षों ने आसियान-भारत वस्तु व्यापार समझौते (एआईटीआईजीए) की समीक्षा प्रक्रिया का समर्थन करने और उसे तेज करने के लिए सहमति जताई ताकि इसे कारोबारियों के लिए अधिक प्रभावी, उपयोगकर्ता के अनुकूल, सरल और व्यापार के लिहाज से सुविधाजनक बनाया जा सके। इसका लक्ष्य 2025 तक एक ठोस नतीजे तक पहुंचना और भारत एवं आसियान देशों के बीच आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत करना है।
दोनों देशों की समकालीन आर्थिक प्राथमिकताओं पर विचार करने की आवश्यकता को स्वीकार करते हुए दोनों प्रधानमंत्रियों ने मलेशिया-भारत व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते (एमआईसीईसीए) की संयुक्त समिति की दूसरी बैठक आयोजित करने के लिए चर्चा का स्वागत किया।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने द्विपक्षीय व्यापार और निवेश के लिए स्थानीय मुद्रा में निपटान के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक और बैंक नेगारा मलेशिया के बीच सहयोग की सराहना की। उन्होंने दोनों पक्षों के उद्योगों को स्थानीय मुद्राओं यानी भारतीय रुपया और मलेशियाई रिंगिट में व्यापार के चालान एवं निपटान को अधिक सुविधाजनक बनाने के लिए प्रोत्साहित किया।
डिजिटल सहयोग के क्षेत्र में दोनों प्रधानमंत्रियों ने डिजिटल प्रौद्योगिकी पर एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए जाने का स्वागत किया। उन्होंने डिजिटल क्षेत्र में भागीदारी को बेहतर करने और दोनों देशों के बीच डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचा, डिजिटल बी2बी भागीदारी, डिजिटल क्षमता निर्माण, साइबर सुरक्षा और 5जी, क्वांटम कंप्यूटिंग, क्लाउड कंप्यूटिंग, इंटरनेट ऑफ थिंग्स आदि उभरती प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए मलेशिया-इंडिया डिजिटल काउंसिल की बैठक जल्द आयोजित करने के लिए प्रोत्साहित किया।
नेताओं ने दोनों देशों की डिजिटल अर्थव्यवस्था की प्राथमिकताओं को माना और भारत के यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) की सफलता को स्वीकार किया। उन्होंने भारत और मलेशिया के बीच भुगतान प्रणाली के क्षेत्र में जारी भागीदारी की भी सराहना की।
दोनों पक्षों ने भारत-मलेशिया स्टार्टअप गठबंधन के जरिये स्टार्टअप इंडिया और मलेशिया के क्रैडल फंड एवं अन्य हितधारकों के बीच जारी चर्चाओं का स्वागत किया।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने अंतरिक्ष, परमाणु ऊर्जा, सेमीकंडक्टर, टीका एवं पहचाने गए अन्य क्षेत्रों सहित विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग को आगे बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने द्विपक्षीय रक्षा एवं सुरक्षा भागीदारी में निरंतर एवं मजबूत सहयोग को बढ़ी हुई रणनीतिक साझेदारी का एक मुख्य स्तंभ माना। दोनों पक्षों ने नियमित आदान-प्रदान एवं संवाद, अभ्यास और क्षमता निर्माण में सहयोग के जरिये रक्षा सहयोग को और बढ़ाने के लिए सहमति जताई।
दोनों पक्षों ने रक्षा उद्योग में सहयोग को विस्तार देने के साथ-साथ रक्षा अनुसंधान एवं विकास में सहयोग को बढ़ाने पर सहमति जताई।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने आतंकवाद की निंदा की और सभी देशों से आतंकवाद के सभी रूपों एवं अभिव्यक्तियों को अस्वीकार करने का आह्वान करने के लिए सहमति जताई। दोनों प्रधानमंत्रियों ने इस बात पर जोर दिया कि किसी भी देश को आतंकवादियों को पनाह नहीं देनी चाहिए। उन्होंने आतंकवादियों को घरेलू कानूनों और अंतरराष्ट्रीय समझौतों के अनुसार जल्द से जल्द न्याय के कटघरे में लाने के लिए मिलकर काम करने पर सहमति जताई।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने आतंकवाद और अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराध के बीच संबंधों को पहचानने और उससे सख्ती से निपटने के लिए भी सहमति जताई। दोनों देश इस संबंध में अपने सहयोग को बेहतर करने के लिए भी जारी हुए। इसमें आतंकवाद और अन्य पारंपरिक एवं गैर-पारंपरिक खतरों से निपटने के लिए सूचनाओं एवं सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करना शामिल है।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर भी सहमति जताई। क्षमता निर्माण में मजबूत द्विपक्षीय सहयोग और घनिष्ठ आदान-प्रदान को ध्यान में रखते हुए मलेशिया ने साइबर सुरक्षा, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मशीन लर्निंग जैसे क्षेत्रों में मलेशियाई नागरिकों के लिए भारत के तकनीकी एवं आर्थिक सहयोग (आईटीईसी) कार्यक्रम के तहत 100 सीटों के विशेष आवंटन का स्वागत किया।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने तमाम भागीदारी को जारी रखने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। इसमें मलेशिया के टुंकू अब्दुल रहमान विश्वविद्यालय में भारत के आयुष मंत्रालय के तहत आयुर्वेद प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान (आईटीआरए) द्वारा आयुर्वेद चेयर की स्थापना शामिल है। दोनों पक्षों ने फार्माकोपिया सहयोग पर समझौता ज्ञापन को जल्द से जल्द पूरा करने के लिए भी सहमति जताई।
दोनों पक्षों ने मलाया विश्वविद्यालय (यूएम) में भारतीय अध्ययन के तिरुवल्लुवर चेयर की स्थापना के लिए चर्चा का स्वागत किया।
दोनों पक्ष कृषि के क्षेत्र में संयुक्त अनुसंधान एवं विकास, क्षमता निर्माण और कृषि में डिजिटल प्रौद्योगिकी के उपयोग जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के लिए भी तत्पर हैं।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने दोनों देशों के बीच लंबे समय से चले आ रहे सांस्कृतिक संबंधों को ध्यान में रखते हुए ऑडियो-विजुअल को-प्रोडक्शन में सहयोग बढ़ाने के लिए भी सहमति जताई।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने सतत ऊर्जा को बढ़ावा देने और जलवायु परिवर्तन के अनुकूल उपायों में सहयोग को मजबूत करने पर सहमति जताई। मलेशिया ने अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) और आपदा रोधी बुनियादी ढांचे के लिए गठबंधन (सीडीआरआई) की स्थापना में भारत की पहल की सराहना की। दोनों प्रधानमंत्रियों ने इस बात पर भी सहमति जताई कि जलवायु परिवर्तन संबंधी चिंताओं को दूर करने के लिए एक ठोस वैश्विक प्रयास किए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने इस बात पर भी सहमति जताई कि इस दिशा में दोनों देशों द्वारा किए जा रहे प्रयासों सुदृढ करने की जरूरत है।
भारत ने इंटरनेशनल बिग कैट अलायंस (आईबीसीए) में संस्थापक सदस्य के तौर पर मलेशिया के शामिल होने के निर्णय का भी स्वागत किया। दोनों प्रधानमंत्रियों ने आईबीसीए के फ्रेमवर्क समझौते पर वार्ता को जल्द अंतिम रूप देने के लिए प्रोत्साहित किया।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने मलेशिया में रह रहे भारतीय नागरिकों द्वारा मलेशियाई अर्थव्यवस्था में लगातार किए जा रहे अमूल्य योगदान की सराहना की। उन्होंने दोनों देशों के बीच कुशल प्रतिभाओं के प्रवाह को अधिक व्यवस्थित और मजबूत करने पर भी सहमति जताई।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने दोनों देशों के बीच पर्यटन और लोगों के बीच आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के लिए हाल में की गई पहलों, विशेष तौर पर दोनों देशों द्वारा वीजा व्यवस्था में दी गई ढील, का स्वागत किया। दोनों प्रधानमंत्रियों ने पर्यटन में सहयोग बढ़ाने, सतत पर्यटन में सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने और दोनों देशों के बीच पर्यटन प्रवाह को बेहतर करने की संभावना तलाशने के लिए प्रतिबद्धता जताई। भारत ने 2026 को विजिट मलेशिया वर्ष घोषित करने और उस वर्ष के जश्न में मलेशिया द्वारा अतिरिक्त भारतीय पर्यटकों का स्वागत करने का उल्लेख किया।
दोनों नेताओं ने इस बात पर भी सहमति जताई कि दोनों देशों के बीच लोगों की अधिक से अधिक आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए कनेक्टिविटी काफी महत्वपूर्ण है। उन्होंने दोनों देशों के नागरिक उड्डयन अधिकारियों को आपसी हवाई कनेक्टिविटी बढ़ाने पर चर्चा जारी रखने के लिए प्रोत्साहित किया।
दोनों नेताओं ने समुद्री कानून पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (यूएनसीएलओएस) 1982 के अनुसार अंतर्राष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों के आधार पर नेविगेशन एवं उड़ान की स्वतंत्रता और निर्बाध वैध वाणिज्य का सम्मान करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। दोनों नेताओं ने सभी पक्षों से यूएनसीएलओएस 1982 सहित अंतर्राष्ट्रीय कानून के सार्वभौमिक मान्यता प्राप्त सिद्धांतों के अनुसार शांतिपूर्ण तरीकों से विवादों को निपटाने का आग्रह किया।
आसियान के साथ भारत की व्यापक रणनीतिक साझेदारी के महत्व की पुष्टि करते हुए मलेशिया ने आसियान की केंद्रीयता और 2025 में मलेशिया की आगामी आसियान अध्यक्षता के लिए भारत के पूर्ण समर्थन की सराहना की। मलेशिया ने मौजूदा व्यापक रणनीतिक भागीदारी को और मजबूत करने के लिए आसियान के नेतृत्व वाले ढांचे के जरिये आसियान और भारत के बीच बेहतर तालमेल का स्वागत किया।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, यूएनएचआरसी एवं अन्य बहुपक्षीय मंचों सहित संयुक्त राष्ट्र में सहयोग एवं समन्वय को मजबूत करने पर सहमति जताई। दोनों नेताओं ने इस बात पर जोर दिया कि शांति एवं विकास सुनिश्चित करने के लिए नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था का पालन करना अनिवार्य है। उन्होंने समकालीन वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित करने वाले बहुपक्षवाद को बढ़ाने के लिए मिलकर काम करने का संकल्प लिया ताकि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सहित अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों को अधिक प्रतिनिधिपरक बनाया जा सके। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी एवं अस्थायी दोनों श्रेणियों में विस्तार सहित उनमें विकासशील देशों का प्रतिनिधित्व बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करते हुए परिषद की सदस्यता को मजबूत बनाए जाने से मौजूदा वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने में उसे अधिक प्रभावी बनाया ज सकेगा। भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता के लिए मलेशिया के समर्थन की सराहना की।
प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम ने इस यात्रा के दौरान उन्हें और उनके प्रतिनिधिमंडल को गर्मजोशी के साथ किए गए स्वागत-सत्कार के लिए प्रधानमंत्री श्री मोदी को धन्यवाद दिया। साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को निकट भविष्य में आपसी सुविधा के अनुसार मलेशिया की यात्रा करने के लिए आमंत्रित किया।
Source: https://pib.gov.in/