जानिए लता मंगेशकर के जीवन से जुड़ी कुछ अनजानी बातें –
लता जी का जन्म शास्त्रीय गायिका परिवार में हुआ था, वह पंडित दीनानाथ मंगेशकर ( एक थिएटर अभिनेता और शास्त्रीय गायिका ) पत्नी शेवंती ( शुदामती) की पुत्री है | सभी को लगता है कि लता जी का वास्तविक नाम लता मंगेशकर था. लेकिन नहीं, 28 सितंबर 1929 में जन्मी लता जी का वास्तविक नाम हेमा था, लेकिन बाद में उनके पिता के एक नाटक के प्रसिद्ध चरित्र लतिका के बाद उनको हेमा से लता के रूप में नामांकित कर दी गई |
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लता जी बहुत ही कम उम्र से वही तकरीबन 5 साल की उम्र से गायन का अध्ययन शुरू कर दिया था, और वह उस समय के प्रसिद्ध गायक अमन अली खान साहिब और अमानत खान से ललित कलाओं का अध्ययन किया | जब वह फिल्मी उद्योग में प्रवेश करना चाहती थी तब उस समय नूरजहां और शमशाद बेगम जय सोने अपनी भारी नाक वाली आवाज के साथ राज कर रही थी. तब लता जी को उनकी सुरीली और पतली आवाज के लिए अस्वीकार कर दिया, क्योंकि उस समय लता जी की आवाज बहुत ही पतली थी |
1942 में पिता के निधन के बाद लता जी ने 1942 से 1948 तक कई फिल्मों में अभिनय किया, लेकिन उनको इन फिल्मों में सफलता ना मिली. जिसकी वजह से उन्होंने अपना रुख मराठी फिल्मों की तरफ मोड़ लिया. उन्होंने मराठी फिल्म किटी हलाल के लिए गाना गाया |
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धीरे-धीरे अध्ययन और गायन के बाद लता जी के आवाज में इतनी मधुरता आई की उन्होंने उस समय के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के आंखों पर आंसू ला दिए. जब उन्होंने ‘ऐ मेरे वतन के लोगों जरा आंख में भर लो पानी’ गाना गाया. पंडित जवाहरलाल नेहरू ने यह बात खुद बताई उन्होंने इस पर स्पष्ट रूप से कहा कि जब उन्होंने यह गाना सुना था अब उनकी आंखों पर आंसू आ गए | वह भारत की पहली महिला बनी जिन्होंने 1974 में लंदन के रॉयल अल्बर्ट हॉल में प्रदर्शन किया| लता दीदी कहती हैं कि उनकी आवाज अभिनेत्री सायरा बानो को सबसे अच्छी लगती है.
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उन्होंने धीरे-धीरे अपनी इतनी लोकप्रियता हासिल कर ली. जिससे हर एक कोई उनकी आवाज को हर कोई सुनना चाहता था. और उनसे जुड़ना चाहता था. सन 1999 में उनको संसद सदस्य के रूप में नामित किया गया, हालांकि उम्र के साथ उनका स्वास्थ्य ठीक न रहने के कारण लता जी राज सभा के सत्र में शामिल ना हो सकी. जिससे वहां काफी धक्का-मुक्की भी हुई. संसद का सदस्य रहते हुए भी उन्होंने कभी भी संसद को मिलने वाले वेतन भत्ते, बाकि सुविधाएं कभी नहीं ली. लता जी को काफी उदार दिल का माना जाता है इसका वास्तविक उदाहरण देखने को तब मिला जब उन्होंने 2005 के कश्मीर भूकंप में सरकार को फंड के रूप में राहत देने का ऐलान दिया.