World Hemophilia Day 2025: हीमोफीलिया का कोई इलाज नहीं है; सिर्फ लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है. जानिए क्यों ये बीमारी खतरनाक हो सकती है

World Hemophilia Day 2025: हीमोफीलिया, एक दुर्लभ ब्लड डिसऑर्डर है जिसमें खून का जमना बंद हो जाता है। हीमोफीलिया से पीड़ित व्यक्ति को चोट लगने पर खून रुकना मुश्किल होता है। बहुत ज्यादा ब्लीडिंग होने से मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
World Hemophilia Day 2025: हीमोफीलिया एक रेयर ब्लड डिसऑर्डर है जिसमें शरीर में खून जमना बंद रहता है। चोट लगने पर खून बहता है और ब्लड क्लॉट बनने के बाद शरीर से खून बाहर निकलता है। लेकिन हीमोफीलिया से पीड़ित लोगों का खून सामान्य लोगों से अधिक बहता है। चोट लगते ही गंभीर ब्लीडिंग होने लगती है। इससे मरीज बहुत परेशान हो सकता है। कई बार अधिक खून निकलने से जोड़ों में सूजन, दर्द और अकड़न होता है। जानिए हीमोफीलिया के लक्षण और इलाज।
टाइप ए और टाइप बी हीमोफीलिया हैं। ये अलग-अलग जेनेटिक बदलावों से होते हैं। F8 जीन में म्यूटेशन से उत्पन्न हेमोफिलिया ए एक बहुत आम डिसऑर्डर है। लेकिन F9 जीन में म्यूटेशन से हेमोफिलिया बी होता है। चिंता की बात ये है कि हीमोफीलिया का कोई इलाज नहीं है, इसे सिर्फ मैनेज किया जा सकता है।
हीमोफीलिया के कारण
हीमोफीलिया की स्थिति होती है जब ब्लड क्लॉटिंग के लिए आवश्यक कुछ प्रोटीन कम हो जाते हैं। जो फैक्टर VIII या IX कहलाता है हीमोफिलिया की गंभीरता इन कारक की कमी से निर्धारित होती है। गंभीर हीमोफीलिया में या हल्की चोट में भी गंभीर ब्लीडिंग हो सकती है।
हीमोफीलिया के लक्षण क्या हैं?
हीमोफीलिया के आम लक्षण नहीं होते हैं। सिर्फ चोट लगने पर खून बहने और ब्लीडिंग जारी रहने से हालात खराब होने लगते हैं। ये भी लक्षण दिखाई दे सकते हैं।
जोड़ों का दर्द और सूजन- कई बार अधिक ब्लीडिंग से जोड़े प्रभावित होते हैं। जोड़ों में सूजन, दर्द और बार-बार अकड़न होती है। कुछ लोग हिलना-डुलना भी मुश्किल पाते हैं।
मसल्स में रक्तस्राव- मांसपेशियों में दर्द होने से मसल्स टिशू टूटने लगते हैं। ऐसे हालात में दर्द, सूजन और थकान बढ़ सकती है। जिस क्षेत्र में ब्लीडिंग हुई है, उस क्षेत्र की मांसपेशियां कमजोर हो सकती हैं।
जोड़ों और ब्रेन में ब्लीडिंग- जोड़ों के पास टिशूज अक्सर ब्लीड होते हैं। जो हेमर्थ्रोसिस है। इससे जड़ों में दर्द और लालिमा आती है। इलाज न करने पर क्षतिग्रस्त हो सकती है। ब्रेन अक्सर ब्लीड होता है। इंट्रासेरेब्रल ब्लीडिंग। ये मेडिकल इमरजेंसी कंडीशन है। इसमें पैरालिसिस भी हो सकता है।
गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ब्लीडिंग- कुछ मामलों में गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ब्लीडिंग हो सकता है, जिससे ब्लैक स्टूल या उल्टी होने का खतरा बढ़ जाता है। इससे पेट की सूजन या दर्द हो सकता है।
नाक से खून निकलना- हीमोफीलिया से पीड़ित लोगों की नाक से खून निकलता है। ऐसा हो सकता है। समय पर इलाज न करने से शरीर में खून की कमी हो सकती है, जिससे एनीमिया हो सकती है।
जल्दी चोट लगना- हीमोफीलिया के मरीज को सिर्फ हल्की चोट लगने पर खून निकलता है। आसानी चोट लगती है और अक्सर स्किन पर बैंगनी और लाल धब्बे पड़ते हैं। ऐसा स्किन ब्लीडिंग से होता है। ऐसा ब्लड वेसल्स फटने और टिशू में ब्लड लीक होने से होता है।