Ashadha Purnima 2025: 10 जुलाई या 11 जुलाई…आषाढ़ पूर्णिमा कब है? यहां सही तारीख और शुभ मुहूर्त जानें

Ashadha Purnima 2025 Kab Hai: जुलाई माह में ही आषाढ़ पूर्णिमा मनाई जाने वाली है, ऐसे में लोग तारीख को लेकर कंफ्यूज है कि यह कब मनाई जाएगी 10 या फिर 11 जुलाई… तो आइए जानते हैं….
Ashadha Purnima 2025: पूर्णिमा का त्योहार हर महीने की आखिरी तारीख पर मनाया जाता है, जो भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, (Ashadha Purnima 2025) आषाढ़ पूर्णिमा के दिन श्री हरि की पूजा करके पवित्र नदी में स्नान करने से जातक के सभी पाप दूर होते हैं। साथ ही जातक के घर सुख-समृद्धि का स्थान होता है। आइए जानते हैं कि आषाढ़ पूर्णिमा कब है?
आषाढ़ पूर्णिमा कब है? Ashadha Purnima 2025
पंचांगानुसार आषाढ़ पूर्णिमा 10 जुलाई की देर रात 01.36 बजे शुरू होगी और 11 जुलाई की देर रात 02.06 बजे समाप्त होगी। यह पर्व 10 जुलाई को मनाया जाएगा क्योंकि उदया तिथि हिंदू धर्म में मान्यता है।
Ashadha Purnima 2025 शुभ अवसर
ब्रह्म मुहूर्त- सुबह 04 बजकर 10 मिनट से 04 बजकर 50 मिनट तक
विजय मुहूर्त- दोपहर 02 बजकर 45 मिनट से 03 बजकर 40 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त- शाम 07 बजकर 21 मिनट से 07 बजकर 41 मिनट तक
निशिता मुहूर्त- रात्रि 12 बजकर 06 मिनट से 12 बजकर 47 मिनट तक
Also Read:- Sawan 2025: महादेव सावन माह में पृथ्वी पर क्यों आते हैं…
इस दिन दान कर सकते हैं?
पूर्णिमा के दिन पूजा करने के लिए सात दान-पुण्य भी बताए गए हैं। यदि आप इस दिन व्रत कर रहे हैं, तो सुबह स्नान करने के बाद पूजा करें और फिर मंदिर या गरीबों में अन्न और धन दोनों का दान करना अनिवार्य है। पूर्णिमा के दिन दान करने से धार्मिक मान्यता है कि धन लाभ मिलता है और मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है।
पूर्णिमा के दिन जातक को पूजा के दौरान सुख-समृद्धि के लिए दूध देना चाहिए। साथ ही मां लक्ष्मी से सौभाग्य की कामना करें। इससे घर शांत और धनवान रहेगा।
जपें मां लक्ष्मी के ये मंत्र
या रक्ताम्बुजवासिनी विलासिनी चण्डांशु तेजस्विनी।
या रक्ता रुधिराम्बरा हरिसखी या श्री मनोल्हादिनी॥
या रत्नाकरमन्थनात्प्रगटिता विष्णोस्वया गेहिनी।
सा मां पातु मनोरमा भगवती लक्ष्मीश्च पद्मावती॥
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं त्रिभुवन महालक्ष्म्यै अस्मांक दारिद्र्य नाशय प्रचुर धन देहि देहि क्लीं ह्रीं श्रीं ॐ ।
ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ ।।