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उत्तराखंड में शुरू हुआ बॉटल ब्रश की व्यावसायिक खेती पर शोध, किसानों को मिलेगा दोगुना फायदा

उत्तराखंड के सगंध पौध केंद्र सेलाकुई में पहली बार बॉटल ब्रश की व्यावसायिक खेती पर शोध हो रहा है। इससे किसान शहद और आवश्यक तेल का उत्पादन कर दोहरा मुनाफा कमा सकेंगे। जानिए इस खेती के लाभ।

उत्तराखंड के सगंध पौध केंद्र सेलाकुई में पहली बार बॉटल ब्रश की व्यावसायिक खेती पर वैज्ञानिक शोध किया जा रहा है। अभी तक इस पौधे को केवल सजावटी पौधे के रूप में सड़कों, पार्कों और घरों के आसपास लगाया जाता रहा है, लेकिन इसमें छिपे औषधीय और आर्थिक गुणों को अब वैज्ञानिक रूप से परखा जा रहा है।

बॉटल ब्रश की खेती से शहद और तेल दोनों का उत्पादन संभव

इस पौधे की पत्तियों से आवश्यक तेल (Essential Oil) निकाला जा सकता है, जबकि इसके फूलों से शहद उत्पादन किया जा सकता है, क्योंकि यह सालभर खिलता है। इससे किसानों को दोहरा मुनाफा मिलेगा – एक तो तेल बिक्री से, दूसरा शहद उत्पादन से। शोध के अनुसार, एक हेक्टेयर भूमि से लगभग ₹2.10 लाख तक की आय संभव है।

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किसानों के लिए होगा लाभकारी और सुरक्षित विकल्प

सगंध पौध केंद्र के वैज्ञानिकों के मुताबिक, बॉटल ब्रश पॉपुलर और यूकेलिप्टस जैसे पारंपरिक पौधों का बेहतर विकल्प बन सकता है। खासकर जंगली जानवरों से परेशान किसानों के लिए यह एक कम नुकसान और अधिक लाभ देने वाली फसल साबित हो सकती है।

सेलाकुई सगंध पौध केंद्र कर रहा वैज्ञानिक परीक्षण

यह पहली बार है जब देश में किसी स्थान पर बॉटल ब्रश के व्यवस्थित कृषिकरण पर रिसर्च किया जा रहा है। शोध पूरा होने के बाद किसानों को इसकी खेती के लिए तकनीकी जानकारी, प्रशिक्षण और आर्थिक लाभ के मॉडल दिए जाएंगे, जिससे वे पारंपरिक खेती की तुलना में बेहतर आय अर्जित कर सकें।

भविष्य में सजावटी से व्यावसायिक फसल बनेगा बॉटल ब्रश

बॉटल ब्रश को आमतौर पर केवल आकर्षक फूलों वाले पौधे के रूप में जाना जाता है, लेकिन इसके औषधीय, व्यावसायिक और कृषि उपयोगिता के कारण यह आने वाले वर्षों में एक प्रमुख कृषि फसल के रूप में उभरेगा। उत्तराखंड के किसान इसके कृषिकरण से आय और रोजगार के नए अवसर प्राप्त कर सकेंगे।

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