AIIMS Research
रोगियों और उनके परिवार को मस्तिष्क से जुड़ी कई बीमारियां परेशान करती हैं। लंबे उपचार के बावजूद वे रोग पूरी तरह से नहीं उबर पाते हैं। हालाँकि, मिर्गी (Epilepsy) सहित मस्तिष्क से संबंधित कई कठिन बीमारियों में योग बहुत फायदेमंद है। मिर्गी के मरीजों को दवाओं के साथ योगाभ्यास करना मिर्गी को नियंत्रित करने में मदद करता है और दौरे की संभावना भी कम होती है। एम्स में इस बीमारी पर किए गए एक अध्ययन ने इसकी पुष्टि की है। डॉ किरनदीप कौर, एमएस के न्यूरोलॉजी विभाग में पीएचडी कर रहे हैं,
160 मिर्गी पीड़ितों पर अध्ययन
यह अध्ययन AIIMS में 160 मरीजों पर हुआ है और अमेरिका के जर्नल न्यूरोलॉजी में प्रकाशित हुआ है। सेंटर फॉर इंटीग्रेटेड मेडिसिन विभाग ने इस अध्ययन में सहयोग किया है। AIIMS के न्यूरोलॉजी विभाग की हेड डॉ. मंजरी त्रिपाठी ने कहा कि यह दुनिया में पहला अध्ययन है जो मिर्गी के कई मरीजों को योग और सामान्य व्यायाम करने से लाभ मिला है।
छह महीने तक किए गए अध्ययन में हुए ये खुलासे
अमेरिका के AIIMS में हुए अध्ययन में 160 मरीजों में से 80 को योगासन कराया गया, जबकि बाकी 80 मरीजों को नियंत्रण ग्रुप में योगासन (शाम योग) कराया गया। इन मरीजों को योग के महत्वपूर्ण पहलुओं, जैसे सांस की गति और सांस लेने और छोड़ने की जानकारी नहीं दी गई। 6 महीने तक चलने वाले इस अध्ययन के नतीजे भी डॉक्टरों को हैरान कर गए। बाकी मरीजों की तुलना में सही तरीके से ब्रीदिंग एक्सरसाइज (सांस लेने, छोड़ने और रोकने) करने वाले लोगों को सात गुना अधिक लाभ हुआ।
3 महीने के बाद मरीजों में तनाव और बेचैनी हुई कम
स्टडी के दौरान सभी मरीजों को प्रति हफ्ते पांच दिन ४५ से ६० मिनट का योगासन कराया गया। योग गुरु ने कुल सात सेशन संचालित किए। मरीजों को बाकी दिन योगासन करने के लिए बुलाया गया। इन मरीजों को योग क्रियाओं में सूक्ष्म व्यायाम, प्राणायाम और ध्यान (मेडिटेशन) का अभ्यास कराया गया। कुल योग का पच्चीस प्रतिशत मेडिटेशन था। 3 महीने के बाद, मिर्गी से पीड़ित लोगों का दर्द और बेचैनी काफी कम हो गया। इससे उनके मिर्गी के दौरों में भी कमी आई। कई मरीजों का दौरा सात गुना घट गया। सभी मरीजों को मिर्गी से बचाने के लिए लगातार दवाएं दी जाती रही। इन सभी को भविष्य में भी निरंतर योग करने की सलाह दी गई है।
योग से पाया जा सकता है नियंत्रण
भारत में एक करोड़ से अधिक लोग मिर्गी से पीड़ित हैं। इन मरीजों को शिक्षा, काम और सामाजिक जीवन से बहिष्कार का सामना करना पड़ता है। इस बीमारी में मरीज को दिमाग के न्यूरॉन्स में ज्यादा करंट लगने लगता है, शरीर पर नियंत्रण खो जाता है और कई बार बेहोश हो जाता है। यह बीमारी का कोई इलाज नहीं है, लेकिन मरीज दवाओं और योग से इसे नियंत्रण कर सकते हैं। AIMS के डॉक्टर अब यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि मिर्गी के मरीजों को पूरी तरह से दौरों से छुटकारा मिल सकता है?
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