Anant Chaturdashi 2025: क्यों अनंत चतुर्दशी पर 14 गांठों वाला धागा बांधा जाता है? जानिए पीछे की धार्मिक और आध्यात्मिक कहानी

Anant Chaturdashi 2025 पर 14 गांठों वाला अनंत सूत्र धारण करने का महत्व और पूजा विधि जानें। जानिए इसके पीछे की धार्मिक कहानी और कैसे इस दिन भगवान विष्णु की पूजा से जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

Anant Chaturdashi 2025: अनंत चतुर्दशी का पर्व केवल गणेश विसर्जन का दिन नहीं है, बल्कि इसका एक गहरा आध्यात्मिक महत्व भी है। भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाए जाने वाले इस पावन पर्व पर भक्त भगवान विष्णु की विशेष पूजा करते हैं और ‘अनंत सूत्र’ नामक 14 गांठों वाले धागे को अपनी कलाई पर बांधते हैं। इस धागे के पीछे धार्मिक कथाएँ और कई प्रतीकात्मक अर्थ छुपे हैं। आइए जानते हैं Anant Chaturdashi 2025 के अवसर पर इस धागे का महत्व और उसकी पूजा विधि।

अनंत चतुर्दशी 2025 कब है? (Anant Chaturdashi 2025 Kab Hai)

पंचांग के अनुसार, इस साल Anant Chaturdashi 2025 6 सितंबर को मनाई जाएगी। इस दिन गणेशोत्सव का समापन होता है और भक्त गणपति बप्पा की मूर्ति का विसर्जन करते हैं। साथ ही, भगवान विष्णु की अनंत रूप में पूजा और अनंत सूत्र धारण करने की परंपरा भी निभाई जाती है।

अनंत सूत्र क्या है और क्यों बांधा जाता है?

अनंत सूत्र एक विशेष प्रकार का पवित्र धागा होता है, जिसमें कुल 14 गांठें होती हैं। यह धागा भगवान विष्णु की अनंत शक्ति, कृपा और संरक्षण का प्रतीक माना जाता है। इसे कच्चे सूत या रेशमी धागे से बनाया जाता है, जिस पर हल्दी और कुमकुम भी लगाया जाता है। अनंत चतुर्दशी के दिन इस धागे को कलाई पर बांधना अत्यंत शुभ माना जाता है।

14 गांठों का धार्मिक महत्व

अनंत सूत्र में मौजूद 14 गांठें भगवान विष्णु के 14 नामों का प्रतिनिधित्व करती हैं। ये नाम उनके विभिन्न रूपों और शक्तियों को दर्शाते हैं, जिनसे भक्तों को जीवन में अनंत सुख, समृद्धि और सुरक्षा प्राप्त होती है। इसके अलावा, ये गांठें हिंदू धर्म के 14 लोकों (भुवन) का भी प्रतीक हैं, जो ब्रह्मांड के विभिन्न आध्यात्मिक स्तर होते हैं। ये 14 लोक इस प्रकार हैं:

कुछ मान्यताओं के अनुसार, ये 14 गांठें भगवान राम के 14 वर्षों के वनवास के बाद राज्याभिषेक का भी प्रतीक हैं।

Anant Chaturdashi 2025 पूजा विधि

अनंत चतुर्दशी के दिन सुबह स्नान के बाद भगवान विष्णु की अनंत रूप में पूजा की जाती है। पूजा की शुरुआत चौकी पर कलश स्थापित करके की जाती है, जिसमें भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर रखी जाती है। इसके बाद, 14 गांठों वाले अनंत सूत्र को सामने रखकर ‘ॐ अनंताय नमः’ मंत्र का जाप किया जाता है। पूजा के पश्चात, यह धागा घर के मुखिया या परिवार के किसी सदस्य की कलाई पर बांधा जाता है और यह वर्ष भर सुरक्षित रखा जाता है।

अनंत सूत्र धारण करने के लाभ

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