Supreme Court ने ASG एसवी राजू की दलील में कहा कि यह कानूनी प्रक्रिया को नाकाम करने का प्रयास था

Supreme Court Verdict:

Supreme Court में अक्सर ऐसे मामले आते रहते हैं जो संविधान और कानून के लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण हैं। ऐसे मामलों में शीर्ष अदालत का फैसला भी बहुत महत्वपूर्ण होता है और बहुत बड़ा असर डालता है। Supreme Court ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय दिया है।

भारत में Supreme Court न्यायपालिका का अंतिम निकाय है। जब लोग सब कुछ खो देते हैं, तो वे शीर्ष अदालत की ओर देखते हैं, उम्मीद करते हैं कि यहां से उन्हें न्याय मिलेगा। आजादी के बाद से Supreme Court ने कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं, जो देश की जनता और उसके नागरिकों के हितों और अधिकारों के लिए महत्वपूर्ण हैं। देश की सर्वोच्‍च न्‍यायिक संस्‍था ने हाल ही में एक ऐसा निर्णय लिया है जिसका बहुत बड़ा असर होगा। न्यूजक्लिक के संस्‍थापक-सह-संपादक प्रबीर पुरकायस्‍थ के मामले में दो जजों की पीठ ने स्पष्ट कर दिया कि जांच एजेंसी या फिर पुलिस को लिखित में उस व्यक्ति को बताना चाहिए कि उसे किस आधार पर गिरफ्तार किया गया है, ताकि वह अपने मन मुताबिक वकील रख सके और कानूनी राहत के लिए उपाय खोज सके।

पिछले साल अक्टूबर में, प्रबीर पुरकायस्‍थ को UAPA की कठोर धाराओं के साथ ही IPC के अन्य सेक्‍शन के तहत गिरफ्तार किया गया था। 3 अक्टूबर 2023 को प्रबीर पुरकायस्‍थ को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने गिरफ्तार कर लिया था। 4 अक्टूबर 2023 को सुबह 6 बजे उन्हें सेशंस कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें रिमांड पर भेजा गया। इन सभी प्रक्रियाओं के दौरान उनके वकील को इसकी सूचना नहीं दी गई। जबकि कोर्ट ने उन्हें पहले से ही रिमांड पर भेज दिया था, प्रबीर पुरकायस्‍थ के लॉयर को इस संबंध में 5 अक्टूबर 2005 को सूचित किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने प्रबीर पुरकायस्‍थ  को रिहा करने का आदेश देते हुए दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल को फटकार लगाई।

दो जजों की बेंच का महत्वपूर्ण निर्णय

जमानत पर रिहा करने का आदेश देते हुए जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया। पीठ ने कहा, “तमाम प्रक्रिया बेहद गोपनीय तरीके से किया गया।” यह सिर्फ कानूनी प्रक्रिया को खुले तौर पर विफल करने का प्रयास था। आरोपी को गिरफ्तारी का आधार बताए बिना पुलिस हिरासत में रखना और कानूनी अवसरों से वंचित करना बेहद अनुचित है।कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि आरोपी को लिखित में गिरफ्तारी का आधार बताना चाहिए। ASG एसवी राजू,दिल्‍ली पुलिस की स्पेशल सेल, ने कोर्ट को बताया कि प्रबीर पुरकायस्‍थ  को मौखिक तौर पर गिरफ्तारी का आधार बताया गया था। कोर्ट ने इसे मानने से इनकार कर दिया|

PMLA से UAPA तक

पंकज बंसल मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा था कि मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम कानून के तहत गिरफ्तार आरोपी को लिखित में गिरफ्तारी का आधार बताना चाहिए। शीर्ष अदालत ने गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम कानून (UAPA) तक इस आदेश को बढ़ा दिया है जब उसने प्रबीर पुरकायस्‍थ मामले में फैसला सुनाया है। कोर्ट में ASG एसवी राजू ने इसका सशक्त विरोध किया। उन्‍होंने कहा कि पंकज बंसल मामले में दिया गया फैसला PMLA तक ही सीमित था और इसे UAPA मामले में शामिल नहीं किया जा सकता था। फैसला लिखने वाले जस्टिस संदीप मेहता ने कहा कि यूएपीए की धारा 43B(1) और पीएमएलए की धारा 19(1) में कोई प्रमुख या महत्वपूर्ण अंतर नहीं है। बता दें कि दोनों कानूनों की ये धाराएं गिरफ्तारी का अधिकार और प्रक्रिया बताती हैं। Supreme Court ने स्पष्ट रूप से कहा कि निजी स्वतंत्रता और जीने का अधिकार सबसे महत्वपूर्ण मौलिक अधिकार हैं।

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