भाद्रपद माह 2025 का शुभ आरंभ 10 अगस्त से, जानें इस माह के प्रमुख पर्व, पूजा-पाठ के नियम, व्रत विधि और धार्मिक महत्व। श्रीकृष्ण, विष्णु और पार्वती की आराधना से प्राप्त करें देव कृपा और समृद्धि।
भाद्रपद माह 2025: भाद्रपद मास, जिसे भादो मास भी कहा जाता है, 10 अगस्त 2025 से आरंभ हो रहा है। यह महीना भक्ति, पर्व और ऋतु परिवर्तन का अद्भुत संगम लेकर आता है। इस पावन काल में श्रीकृष्ण, विष्णु, और माता पार्वती की पूजा का विशेष महत्व होता है। इस माह में कई प्रमुख त्योहार जैसे जन्माष्टमी, हरितालिका तीज, और गणेश चतुर्थी आते हैं, जिनका सही विधि से पालन करना देव कृपा पाने का मार्ग होता है।
भाद्रपद माह 2025 कब से कब तक रहेगा?
हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास 10 अगस्त से शुरू होकर 7 सितंबर 2025 को पूर्णिमा तक रहेगा। इसी दिन से पितृ पक्ष भी प्रारंभ होता है। सूर्य इस दौरान सिंह राशि में प्रवेश करते हैं, जिससे धार्मिक क्रियाकलापों का फल अधिक होता है। यह महीना अगस्त और सितंबर के बीच आता है और इसे भगवान विष्णु, श्रीकृष्ण, गणेश, शिव और पार्वती की पूजा के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
भाद्रपद माह का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
भाद्रपद माह को पूजा-पाठ, व्रत, और दान के लिए बेहद शुभ माना जाता है। इस समय श्रद्धा और भक्ति से भगवान श्रीकृष्ण की आराधना करने पर इच्छाएं पूरी होती हैं। पवित्र नदियों जैसे गंगा में स्नान का विशेष पुण्य होता है। यदि गंगा स्नान संभव न हो तो किसी भी पवित्र जलाशय में स्नान से समान फल प्राप्त होता है। तुलसी के पत्ते और माखन का भोग श्रीकृष्ण को अर्पित करना भी अत्यंत शुभ माना जाता है।
भाद्रपद मास के प्रमुख पर्व
इस माह में कई प्रमुख त्योहार मनाए जाते हैं, जिनमें श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, राधा जन्मोत्सव, गणेश चतुर्थी, कजरी तीज, हल षष्ठी, ऋषि पंचमी, अनंत चतुर्दशी, कुश अमावस्या, और विश्वकर्मा पूजा शामिल हैं। इस दौरान लड्डू गोपाल की स्थापना, शंख प्रतिष्ठा, श्रीमद्भागवत गीता का पाठ और संतान गोपाल मंत्र जाप का विशेष महत्व है।
भाद्रपद माह में करें ये कार्य
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प्रतिदिन भगवान श्रीकृष्ण को तुलसी पत्ता और माखन का भोग अर्पित करें।
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गंगा या किसी पवित्र नदी/सरोवर में स्नान करें।
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सात्विक और हल्का भोजन करें।
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तुलसी जल का सेवन करें।
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नियमित पूजा-पाठ, भजन-कीर्तन करें।
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धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लें और दान-पुण्य करें।
भाद्रपद माह में किन बातों से बचें?
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कच्चा या बासी भोजन न लें।
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दही और गुड़ को एक साथ खाने से बचें।
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मांसाहार और मदिरा का सेवन न करें।
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रविवार के दिन बाल न कटवाएं।
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नमक का अधिक सेवन न करें।
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क्रोध, झूठ और अपशब्दों से दूर रहें।
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