Bhadrapada purnima 2024: कल भाद्रपद पूर्णिमा, स्नान-दान का शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजन का विधान जानें

Bhadrapada Purnima September Pujan and Daan Muhurat: हिंदू धर्म में भाद्रपद मास की पूर्णिमा बहुत महत्वपूर्ण है। पितृ पक्ष भादो पूर्णिमा के अगले दिन शुरू होता है। यह जानना महत्वपूर्ण है कि इस वर्ष भाद्रपद पूर्णिमा पर स्नान करने का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि क्या है-

Bhadrapada Purnima 2024: हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि बहुत महत्वपूर्ण है। पूर्णिमा तिथि शिव और चाँद को समर्पित है। भक्त इस दिन भगवान विष्णु और चंद्रदेव के साथ मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं। पूर्णिमा, जिसे फुल मून भी कहते हैं, हर महीने आती है। आज भाद्रपद महीना है। भाद्रपद पूर्णिमा इस महीने की पूर्णिमा है। 17 सितंबर 2024, मंगलवार को भाद्रपद पूर्णिमा है। हिंदू धर्म में चंद्रमा पूर्णिमा के दिन अपनी 16 कलाओं से भरता है।

रवि योग का शुभ संयोग: भाद्रपद पूर्णिमा पर रवि योग है, जो एक अच्छा संयोग है। रवि योग शुभ योगों में से एक है। मान्यता है कि इस संयोजन में किसी भी कार्य को करने से लाभ मिलता है।

भाद्रपद पूर्णिमा स्नान: रवि योग पूर्णिमा के दिन सुबह 06:06 से दोपहर 01:53 तक रहेगा। सुबह 11:50 से दोपहर 12:39 तक अभिजित मुहूर्त रहेगा। विजय मुहूर्त फिर दोपहर 02:17 से 03:06 तक रहेगा।

पूर्णिमा तिथि कब से कब तक: पूर्णिमा तिथि 17 सितंबर 2024 को 11 बजे 44 मिनट पर शुरू होगी और 18 सितंबर को 8 बजे 4 मिनट पर समाप्त होगी।

भाद्रपद पूर्णिमा पितृ पक्ष का हिस्सा नहीं: द्रिक पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह की पूर्णिमा को श्राद्ध होता है। पूर्णिमा तिथि पर मरने वालों के लिए अमावस्या श्राद्ध तिथि पर भी महालय श्राद्ध किया जाता है। भाद्रपद पू्र्णिमा पितृ पक्ष से एक दिन पहले मनाया जाता है, लेकिन यह पितृ पक्ष में शामिल नहीं है।

भाद्रपद पूर्णिमा का महत्व: भाद्रपद पूर्णिमा के दिन स्नान करना बहुत महत्वपूर्ण है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु और चंद्र देव की पूजा करने से शुभफल मिलेंगे।

भाद्रपद पूर्णिमा पूजन विधि-

1. सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।

2. अब व्रत का संकल्प लें।

3. इस दिन भक्त भगवान विष्णु के स्वरूप भगवान सत्यनारायण की पूजा-अर्चना करते हैं।

4. व्रत का संकल्प लेने के बाद पूजा स्थल या पूजा रूम साफ करें।

5.भगवान सत्यनारायण की प्रतिमा या मूर्ति और श्रीयंत्र को स्थापित करें। अब भगवान विष्णु को तुलसी दल अर्पित करें।

6. शुद्ध देशी घी का दीया प्रज्वलित करें और भगवान विष्णु की मूर्ति के सामने कलश रखकर श्री हरि के मंत्रों का जाप करें।

7. सत्य नारायण व्रत कथा पढ़ें या सुनें।

8. कथा सुनने के बाद भगवान को भोग लगाएं।

9. ऊं जय जगदीश हरे मंत्र का जाप करें।

10. शाम को पूजा-अर्चना करने के बाद कलश का जल चंद्र देव को अर्पित करें।

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