राज्यपंजाब

CM Bhagwant Mann का बड़ा प्रयास; कृषि वित्त को डिफॉल्टर गतिरोध से मुक्त करना

CM Bhagwant Mann: सुधार शुरू, सहकारी बैंक कृषि को ऋण देने को प्राथमिकता देंगे

सहकारी बैंकों के कामकाज में बड़े सुधार लाने के लिए CM Bhagwant Mann ने इन बैंकों के डिफाल्टर खाताधारकों से वसूली की प्रक्रिया में तेजी लाने के आदेश दिए, ताकि कृषि और संबद्ध गतिविधियों के लिए ऋण देने में कोई बाधा न आए।

आज यहां CM Bhagwant Mann  के सरकारी आवास पर आयोजित बैठक के दौरान सहकारी बैंकों के कामकाज की प्रगति की समीक्षा करते हुए CM Bhagwant Mann  ने कहा कि डिफॉल्टर बैंकों के विकास में सबसे बड़ी बाधा हैं क्योंकि उनके पास फंसा पैसा अन्य जरूरतमंद लोगों को वित्तीय सहायता में बाधा डालता है। CM Bhagwant Mann  ने कहा कि छोटे और मध्यम किसान हमेशा प्राथमिकता के आधार पर बैंकों को ऋण वापस करते हैं, लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि बड़े किसान सहकारी बैंकों के डिफॉल्टर हैं। उन्होंने यह भी कहा कि जिन सरकारी कर्मचारियों ने सहकारी बैंकों से ऋण लिया है, वे अपना बकाया तुरंत चुकाएं। CM Bhagwant Mann ने सहकारिता विभाग को डिफॉल्टरों से वसूली के लिए उचित प्रक्रिया अपनाने के निर्देश दिए ताकि ऋणों की पूरी वसूली सुनिश्चित की जा सके।

CM Bhagwant Mann  ने फसल ऋण की वसूली मात्र 65 प्रतिशत होने पर असंतोष व्यक्त करते हुए कहा कि इससे सहकारी बैंकिंग प्रणाली पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ रहा है। CM Bhagwant Mann ने कहा कि सहकारी बैंक फसल ऋण की समय पर अदायगी करने पर 3 प्रतिशत ब्याज छूट देते हैं, फिर भी बहुत से किसान ऋण की अदायगी नहीं करते, जिससे उन्हें न केवल अधिक ब्याज देना पड़ता है, बल्कि भविष्य में ऋण या अन्य लाभ लेने से भी वंचित होना पड़ता है। राज्य सरकार अपने किसानों के साथ भेदभाव को स्वीकार नहीं करेगी।

बैठक में बताया गया कि राज्य में किसानों को प्रतिवर्ष लगभग 8000 करोड़ रुपए का फसली ऋण सहकारी बैंकों के माध्यम से 3523 सहकारी समितियों के माध्यम से दिया जाता है। यह ऋण मात्र 7 प्रतिशत की ब्याज दर पर दिया जाता है तथा यदि किसान समय पर ऋण चुकाता है तो उसे ब्याज दर में 3 प्रतिशत की अतिरिक्त छूट मिलती है। इसके विपरीत, समय पर ऋण न चुकाने वाले किसानों को 2.5 प्रतिशत अतिरिक्त ब्याज देना पड़ता है, जो 9.5 प्रतिशत हो जाता है।

CM Bhagwant Mann ने फसली ऋण वसूली में बेहतरीन रिकार्ड रखने वाली प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों (पीएसीएस) को प्रोत्साहित करने के लिए विभाग को ऐसी सहकारी समितियों को विशेष तरीके से सम्मानित करने के निर्देश दिए, ताकि उन्हें सहकारी क्षेत्र में रोल मॉडल के तौर पर पेश किया जा सके। बैठक के दौरान बताया गया कि धूरी सर्कल के अंतर्गत आने वाली सहकारी समितियों की ऋण वसूली दर 99 प्रतिशत है और धूरी सर्कल एक मॉडल के तौर पर उभरा है। भगवंत सिंह मान ने इन समितियों को सम्मानित करने के लिए एक समारोह आयोजित करने के भी निर्देश दिए।

नाबार्ड द्वारा वर्ष 2024-25 के लिए रियायती पुनर्वित्त ऋण की वार्षिक सीमा कम करने पर चिंता व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब देश की खाद्य सुरक्षा में सबसे अधिक योगदान देता है और ऋण सीमा में इस तरह की कटौती से कृषि क्षेत्र पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। भगवंत सिंह मान ने कहा कि वह वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए ऋण सीमा को 3000 करोड़ रुपये तक बहाल करने के लिए नाबार्ड के चेयरमैन के समक्ष यह मुद्दा उठाएंगे।

जिला केन्द्रीय सहकारी बैंकों में प्रबंध निदेशक (एमडी) एवं जिला प्रबंधक (डीएम) की दोहरी नेतृत्व प्रणाली को समाप्त करने को हरी झंडी देते हुए CM Bhagwant Mann ने कहा कि बैंक का नेतृत्व एक ही अधिकारी को करना चाहिए ताकि कार्यप्रणाली अधिक प्रभावी हो सके तथा जिम्मेदारी स्पष्ट रूप से तय हो सके।

इस दौरान मुख्य सचिव केएपी सिन्हा, पंजाब राज्य सहकारी बैंक लिमिटेड के चेयरमैन जगदेव सिंह बाम, अतिरिक्त मुख्य सचिव-सह-वित्त आयुक्त सहकारिता आलोक शेखर, प्रमुख सचिव वित्त कृष्ण कुमार, प्रमुख सचिव खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति राहुल तिवारी, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव रवि भगत और विशेष प्रमुख सचिव कुमार अमित, रजिस्ट्रार सहकारी समितियां विमल कुमार सेतिया और पंजाब राज्य सहकारी बैंक लिमिटेड के एमडी हरजीत सिंह संधू भी बैठक में उपस्थित थे।

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