कब भगवान शिव की Ekadashi मनाई जाएगी?

Rangbhari Ekadashi 2025: हिंदू धर्म में एकादशी को भगवान विष्णु की पूजा का दिन माना जाता है, लेकिन साल में एक एकादशी ऐसी भी आती है जब भगवान शिव की पूजा की जाती है।
Rangbhari Ekadashi 2025: हिंदू धर्म में एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित है। कथा कहती है कि एक बार मुर नामक एक दैत्य ने भगवान विष्णु को विश्राम करते समय युद्ध करने के लिए ललकारा, लेकिन भगवान निद्रा में थे, इसलिए दैत्य ने निद्रा में ही उन्हें मारने का निश्चय किया। फिर जैसे वह भगवान विष्णु के करीब पहुंचा तभी एकादशी नाम की एक कन्या भगवान विष्णु के शरीर से उत्पन्न हुई थी, और फिर उसने मुर नाम के दैत्य का वध कर दिया।
यह सुनकर भगवान विष्णु प्रसन्न हो गए और एकादशी को सभी तीर्थों और तीथियों में प्रधान होने का वरदान दिया। तभी से एकादशी तिथि भगवान को समर्पित है और उनकी पूजा का विधान है, लेकिन एक तिथि ऐसी भी है, जिसमें भगवान विष्णु की नहीं बल्कि भगवान शिव की पूजा की जाती है। इस एकादशी को रंगभरी एकादशी के नाम से जाना जाता है।
भगवान शिव की पूजा क्यों की जाती है?
इस दिन काशी विश्वनाथ में भगवान शिव और मां पार्वती की विशेष पूजा की जाती है। माना जाता है कि इसी दिन बाबा भोलेनाथ ने मां पार्वती को गौना कराकर पहली बार काशी नगरी में लाया थे, और सभी लोगों ने इसे उत्सव की तरह मनाया। यही तिथि पर भगवान विष्णु और आंवले के पेड़ की पूजा भी की जाती है।
रंगभरी एकादशी कब मनाई जाएगी?
यह दिन 09 मार्च को सुबह 07.45 बजे शुरू होगा और 10 मार्च को सुबह 07.44 बजे समाप्त होगा। उदया तिथि की मान्यता के कारण 10 मार्च को यह तिथि मनाई जाएगी। वहीं, 11 मार्च की सुबह 06.35 बजे से 08.13 बजे तक पारण करना होगा।
कैसे पूजा करनी चाहिए?
इस दिन जातक को सुबह जल्दी उठकर स्नान करके दीप जलाना चाहिए। फिर घर के मंदिर में गंगाजल से भगवान को अभिषेक कर दीपक जलाएं। साथ ही श्रीकृष्ण को पुष्प और तुलसी अर्पित करें। साथ ही भगवान शिव और मां पार्वती को भी जलाभिषेक कराएं और उन्हें बेलपत्र, फूल आदि अर्पित करें। इसके बाद भगवान को भोग लगाएं और उनकी आरती करें।